मध्य प्रदेश की आधारभूत संरचना

 आधारभूत संरचना

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किसी भी अर्थव्यवस्था की विभिन्न आर्थिक क्रियाओं (उत्पादन वितरण व्यापार) का सुचारू रूप से संचालन करने तथा आर्थिक प्रगति के लिए जिन सुविधाओं एवं सेवाओं की आवश्यकता होती है उन्हें अधोसंरचना या आधारभूत संरचना कहते हैं। 

जैसे-: सड़क बिजली परिवहन संचार शिक्षा स्वास्थ्य आदि। 

अधोसंरचना के प्रकार

अधोसंरचना के प्रकार

आर्थिक अधोसंरचना-:

आर्थिक अधोसंरचना में वे सभी सेवाएं एवं सुविधाएं शामिल है जो प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक क्रियाओं(उत्पादन) में सहायक होती है। 

जैसे -: परिवहन उर्जा संचार की सुविधाएं। 

सामाजिक अधोसंरचना-:

सामाजिक अधोसंरचना में भी सभी सेवाएं एवं सुविधाएं शामिल हैं जो मानव पूंजी निर्माण में सहायक है। (क्योंकि मानव पूंजी आर्थिक विकास में सहायक होती है)

तथा आर्थिक विकास में अप्रत्यक्ष रूप से सहायक होती है। 

जैसे -: शिक्षा ,स्वास्थ्य,आवास बैंकिंग। 

अधोसंरचना का महत्व या अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका

किसी भी राज्य के आर्थिक विकास में अधोसंरचना की महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसके महत्व को हम निम्न बिंदुओं द्वारा समझ सकते हैं-: 

  1. औद्योगिक विकास में सहायक-: किसी भी क्षेत्र के औद्योगिक विकास की गति वहां की अधोसंरचना पर निर्भर होती है  जिस क्षेत्र में पर्याप्त अधोसंरचना जैसे सड़क संचार विद्युत व्यवस्था आदि विकसित होगी उस क्षेत्र में उद्योगों का तीव्र विकास होगा ,क्योंकि उद्योगों के लिए लगातार कच्चा माल एवं ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिसके लिए परिवहन एवं ऊर्जा की पर्याप्त व्यवस्था आवश्यक है। 

  2. विदेशी एवं संस्थागत निवेश में वृद्धि-: विदेशी एवं संस्थागत निवेशक उन्हीं क्षेत्रों में ज्यादा निवेश करते हैं जहां पर पर्याप्त अधोसंरचना का विकास होता है। अतः यह विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने में सहायक है।

  3. उत्पादकता बढ़ाने में सहायक-: संचार परिवहन ऊर्जा आदि अधोसंरचना की लगातार पूर्ति उद्योगों एवं कृषि क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक है उदाहरण के लिए यदि किसान को पर्याप्त विद्युत प्राप्त नहीं होती तो वह अपना पंप नहीं चला पाएगा पंप नहीं चलाएगा तो सिंचाई नहीं कर पाएगा सिंचाई नहीं करेगा तो फसल की उत्पादकता कम होगी। 

  4. निर्यात बढ़ाने में सहायक-: अधोसंरचना के विकास उत्पादन में वृद्धि होती जिससे निर्यात भी बढ़ता हुआ आयात में कमी होती,

  5. जीवन स्तर सुधारने में सहायक शिक्षा स्वास्थ्य आवास बैंकिंग बीमा परिवहन आदि के विकास से व्यक्तियों के जीवन स्तर सुधार आता है। 

  6. पारस्परिक जुड़ाव में सहायक  -:संचार एवं परिवहन जैसी अधोसंरचनाओं के विकास से विभिन्न स्थान आपस में एक दूसरे से जुड़ जाते हैं जिससे राज्य की एकता एवं एकजुटता को बढ़ावा मिलता है। 

  7. बेरोजगारी को दूर करने में सहायक-: अधोसंरचना के विकास से अकुशल जनसंख्या कुशल जनसंख्या में बदल जाती है और कुशल होने के कारण उन्हें रोजगार मिल जाता है या वे स्वयं स्वारोजगार का शृजन कर लेते हैं जिससे बेरोजगारी में कमी आती है

एक अनुमान के अनुसार यदि अधोसंरचना पर 1%  अधिक व्यय किया जाए तो जीडीपी में भी 1% से अधिक वृद्धि हो जायेगी।  

अधोसंरचना के अविकसित होने से प्रभाव-: 

  • औद्योगिक विकास में कमी आती है। 

  • कृषि एवं उद्योग क्षेत्र की उत्पादकता कम होती है। 

  • विदेशी निवेश में कमी आती है। 

  • निर्यात में कमी आती है आयात में वृद्धि होती है। 

  • शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसी अधोसंरचना के अभाव में व्यक्तियों का जीवन स्तर निम्न हो जाता है। 

  • मानव संसाधन कुशल मानव संसाधन नहीं बन पाता जिससे उन्हें रोजगार नहीं मिलता और बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न होती है। 

अधोसंरचना के विकास के समक्ष चुनौतियां

  • तकनीकी एवं कुशल मानव संसाधनों की कमी। (अधोसंरचना के विकास के लिए कुशल मानव संसाधन की आवश्यकता होती है जैसे कुशल इंजीनियर कुशल डॉक्टर ,कुशल टेक्नीशियन)

  • दुर्गम एवं जटिल भौगोलिक संरचना वाले क्षेत्रों में अधोसंरचना का विकास ना हो पाना। 

  • अधोसंरचना के विकास में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी एवं सरकारी भ्रष्टाचार की समस्या।    

  • अधिग्रहण की समस्या। (अधोसंरचना के विकास के लिए व्यापक क्षेत्र की आवश्यकता होती है अत: जमीन का अधिग्रहण करना पड़ता है)

  • विस्थापन की समस्या ।(वर्तमान में अधोसंरचना का विकास नगरोन्मुखी है अर्थात समानता नगरों में ही बेहतर आधारभूत संरचना विकसित है जिससे गांव के लोग शहर में प्रवासित होते हैं। 

आधारभूत संरचना के विकास हेतु सुझाव-:

  • आधारभूत संरचना का विकास सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर किया जाए ताकि अधोसंरचना का तीव्र विकास हो एवं प्रशासनिक भ्रष्टाचार कम हो। 

  • अधोसंरचना के विकास हेतु मानव संसाधन को प्रशिक्षित किया जाए उनमें उद्यमशीलता बढ़ाई जाए। 

  • खुले क्षेत्रों में अधोसंरचना का विकास किया जाए, जैसे शहर के अंदर से सड़क निकालने की बजाए बाईपास से सड़क निकाली जाए। ताकि अधिग्रहण की समस्या कम हो। 

  • वर्तमान में अधोसंरचना का विकास नगरोन्मुखी है अतः इसे ग्राम मोहन मुखी बनाया जाए अर्थात ग्रामोन्मुखी बनाया जाए ,ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोग अधोसंरचना के अभाव में शहरी क्षेत्र में पलायन ना करें।

मध्य प्रदेश में परिवहन

सामान्यतः किसी वस्तु या यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की प्रक्रिया परिवहन कहलाती है और परिवहन के लिए किन साधनों का उपयोग होता है उन्हें वाहन कहते हैं। 

परिवहन का महत्व-: 

  • परिवहन ,उद्योगों के लिए कच्चे माल की लगातार आपूर्ति में सहायक है। 

  • उत्पादित माल को बिक्री केंद्रों तथा उपभोक्ता तक पहुंचाने में सहायक है। 

  • परिवहन वस्तुओं के क्रय विक्रय अर्थात आर्थिक व्यापार में सहायक है उदाहरण के लिए पन्ना के किसी एक व्यक्ति को कटनी से लोहा चाहिए तथा कटनी के व्यक्ति को पन्ना से आंवला चाहिए तो यह कार्य परिवहन द्वारा ही संभव हो पाता है। 

  • परिवहन विभिन्न स्थानों को आपस में जोड़ने में सहायक है।   

  • यात्रियों के तीव्र एवं सुलभ भ्रमण मैं सहायक है

  • परिवहन कृषि विपणन में सहायक है। 

इन्हीं कारणों से परिवहन को देश की जीवन रेखा कहा जाता है

मध्य प्रदेश में परिवहन की स्थिति-: 

आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार-: मध्यप्रदेश में

  • सड़कों की कुल लंबाई 64923 किलोमीटर। 

  • रेल परिवहन की कुल लंबाई 6100 किलोमीटर। 

राज्य में पांच सार्वजनिक हवाई अड्डे हैं जिसमें से तीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे भोज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भोपाल। 

देवी अहिल्याबाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा इंदौर। 

छत्रसाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा खजुराहो। 

इसके अलावा मध्यप्रदेश में 33 हवाई पट्टियां हैं। 

मध्य प्रदेश में प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में सड़कों की कुल लंबाई 52 किलोमीटर है जो आसपास के राज्यों की औसत प्रति वर्ग किलोमीटर सड़क लंबाई से भी कम है। 

जबकि राष्ट्रीय स्तर पर सड़कों का घनत्व प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में 75 किलोमीटर सड़क है। 

मध्य प्रदेश में परिवहन के विकास की समस्याएं

यातायात विकास के मामले में मध्यप्रदेश अन्य राज्यों की तुलना में पीछे है जिसके निम्न कारण है-: 

  • मध्य प्रदेश की जटिल भौगोलिक संरचना-: मध्य प्रदेश पर्वत पहाड़ियों बीहड़ों वाला प्रदेश है अतः यहां पर सड़क एवं रेल परिवहन का विकास करना काफी मुश्किल होता है। 

  • यातायात के क्षेत्र में राजनीतिक इच्छाशक्ति में कमी

  • परिवहन विकास में प्रशासनिक भ्रष्टाचार

  • परिवहन के विकास हेतु उच्च तकनीकी का अभाव। हवाई परिवहन आदि का विकास नहीं हो पा रहा। 

  • यातायात के विकास में भूमि अधिग्रहण एवं भूमि अधिग्रहण के कारण विरोध की समस्या। 

मध्यप्रदेश में सड़क परिवहन  

मध्य प्रदेश ग्रामीण जनसंख्या गांव वाला राज्य है अतः ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन का सबसे सुलभ एवं सस्ता रास्ता सड़क परिवहन ही है क्योंकि -:इसे किसी भी दिशा में मुड़ कर बनाया जा सकता है 

सड़कों परिवहन का स्टॉप कहीं भी बनाया जा सकता है  

किसी भी समतल या गैर समतल मैदान में सड़क बनाया जा सकता है। 

वर्तमान में मध्यप्रदेश में सड़कों की कुल लंबाई 64923 किलोमीटर है। जिन्हें निम्न चार भागों में बांटा जा सकता है-: 

राष्ट्रीय राजमार्ग -:

वे सड़कें जो देश के बड़े बड़े नगरों व्यापारिक केंद्रों तथा विभिन्न राज्यों की राजधानियों को आपस में जोड़ती हों तथा जिनका निर्माण एवं रखरखाव केंद्र सरकार के भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा किया जाता है, उन्हें राष्ट्रीय राजमार्ग कहते हैं। 

मध्य प्रदेश से होकर 44 राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं और मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 8772 किलोमीटर है। 

पन्ना सतना तथा रीवा के चित्र सहित राष्ट्रीय राजमार्ग -: 39 गुजरता है। 

राजकीय राजमार्ग-:

वे सरके जो राज्य की राजधानी को प्रमुख जिलों एवं प्रमुख व्यापारिक नगरों से जोड़ती हैं, तथा जिनका निर्माण एवं रखरखाव राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाता है राजकीय मार्ग कहते हैं। 

वर्तमान में मध्य प्रदेश क्षेत्र से होकर 94 राजकीय राजमार्ग गुजरते हैं और मध्यप्रदेश में राज्य की राजमार्गों की कुल लंबाई लगभग 11500 किलोमीटर है। 

पन्ना क्षेत्र से राजकीय राजमार्ग 55 तथा राजकीय राजमार्ग 63 गुजरता है। 

रेपुरा से राजकीय राजमार्ग 23 गुजरता है। जो छतरपुर से जबलपुर तक जाता है। 

जिला मार्ग-:

वे सड़कें जो जिला मुख्यालय को जिले के महत्वपूर्ण स्थलों, या बड़े शहरों से जोड़ती हैं। तथा जिनका रखरखाव जिला परिषद एवं लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाता है उन्हें जिला सड़के कहते हैं। 

मध्य प्रदेश में जिला सड़कों की कुल लंबाई लगभग 22000 किलोमीटर है। 

ग्रामीण सड़कें-:

वे सड़क जो एक गांव को दूसरे गांव से या जिला सड़कों से जोड़ती है तथा जिन का रखरखाव ग्राम पंचायत द्वारा किया जाता है उन्हें ग्रामीण सड़क के कहते हैं। 

मध्य प्रदेश में ग्रामीण सड़कों की कुल लंबाई 23000 किलोमीटर है। 

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सड़क परिवहन के विकास हेतु किए गए प्रयास-: 

सरकार सड़कों से समग्र राज्य के लिए होने वाले आर्थिक एवं सामाजिक लाभ को ध्यान में रखकर लगाता सड़कों के विकास के लिए प्रयासरत है यही कारण है कि वर्ष 1956 में मध्य प्रदेश में कुल सड़कों की लंबाई लगभप/-ग 27000 किलोमीटर थी जो अब बढ़कर लगभग 65000 किलोमीटर हो चुकी है। 

मध्य प्रदेश सरकार ने सड़कों के विकास के लिए नियम ने कदम उठाए

  • मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना इस योजना की शुरुआत 2010-11 में की गई इसका मुख्य उद्देश्य दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों को मुख्य सड़कों से जोड़ना है। इस योजना के तहत दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में पक्की सड़क बनवाई जाती है। 

  • मुख्यमंत्री ग्रामीण परिवहन योजना 

इस योजना की शुरुआत वर्ष 2014 में की गई जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण परिवहन का विकास करना था

इस योजना के तहत गांव को निकट के ब्लॉक तहसील से जुड़ा जाता है। 

  • मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना यह योजना वर्ष 2014 में प्रारंभ की गई

इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की घर से लेकर उनके खेतों तक सड़कों का निर्माण करना। इस योजना के तहत मनरेगा योजना के मजदूरों से कार्य करवा कर खेत तक सड़कों का निर्माण किया जाता है। 

  • मध्य प्रदेश परिवहन नीति 2010-: मध्य प्रदेश भारत का पहला राज्य जिसने सर्वप्रथम परिवहन के विकास हेतु औपचारिक परिवहन नीति बनाई। 

मध्य प्रदेश परिवहन नीति 2010 का मुख्य उद्देश्य वाहनों का नियंत्रण एवं नियमन करना तथा आम जनता तक परिवहन की सेवा उपलब्ध करवाना था। 

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना2000-: इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों तक बारहमासी सड़कों का निर्माण करना है इस योजना के तहत अभी तक मध्य प्रदेश में लगभग 7500 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। 

मध्य प्रदेश रेल परिवहन

भारी मात्रा के सामान को लंबी दूरी तक ले जाने के लिए रेल परिवहन सड़क परिवहन की तुलना में सस्ता एवं सुलभ संसाधन है। 

मध्यप्रदेश में रेल परिवहन का विकास।

मध्य प्रदेश में रेल परिवहन का विकास ब्रिटिश काल से ही शुरू हो गया था मध्यप्रदेश में सर्वप्रथम 1865 से 1878 के मध्य मुंबई से दिल्ली को जाने वाला रेल मार्ग निकाला गया था। 1867 में इलाहाबाद जबलपुर रेल मार्ग खोला गया। 1895 में बिना कटनी रेल मार्ग बिछाया गया। 

इस प्रकार मध्य प्रदेश में 1865 से लगातार रेलवे का विकास होता रहा अतःवर्तमान में मध्यप्रदेश में 6100 किलोमीटर का रेल मार्ग है। 

मध्य प्रदेश के समस्त रेलवे क्षेत्र को 4 जोनों में बांटा जा सकता है

  1. पश्चिमी मध्य रेलवे जोन। 

  2. पश्चिमी रेलवे जोन। 

  3. दक्षिण पूर्वी रेलवे जोन

  4. उत्तर मध्य रेलवे जोन।

पश्चिमी मध्य रेलवे जोन-: पश्चिमी मध्य रेलवे जोन का मुख्यालय मध्यप्रदेश के जबलपुर में ही है, इसके अंतर्गत कटनी रीवा सतना भोपाल गुना सागर कोटा खजुराहो आदि का रेलवे क्षेत्र आता है। 

इसके अतिरिक्त निम्न रेलवे जोन का क्षेत्र मध्य प्रदेश में आता है। 

पश्चिमी रेलवे जोन-: 

इसके अंतर्गत मध्य प्रदेश का उज्जैन इंदौर खंडवा रतलाम मंदसौर आदि का रेलवे क्षेत्र आता है। 

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन-: 

इसके अंतर्गत मध्य प्रदेश का छिंदवाड़ा, बालाघाट आदि का रेलवे क्षेत्र आता है।

उत्तर मध्य रेलवे जोन-: इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश का ग्वालियर दतिया अधिकारी क्षेत्र आता है। 

रेलवे के क्षेत्रीय विस्तार को प्रभावित करने वाले कारक

रेलवे का सर्वाधिक विस्तार उन्हीं क्षेत्रों में हुआ है जहां पर अग्रो लिखित परिस्थितियां विद्यमान थी-: 

  • जहां कि मैदान अपेक्षाकृत समतल है

  • जिन क्षेत्रों में नदियां झरने आदि कम है 

  • जिन क्षेत्रों में खनिज पदार्थों की प्रचुरता है

  • जिन क्षेत्रों में औद्योगिक केंद्र अधिक है

  • जो क्षेत्र बड़े-बड़े नगरों, बंदरगाहों तथा हवाईअड्डे के नजदीक है। 

रेलवे का महत्व

  • रेल के माध्यम से व्यापक मात्रा में खनिजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जा सकता है जैसे-:  कोयले एवं पेट्रोलियम का परिवहन। 

  • रेलवे कृषि क्षेत्र के लिए आवश्यक खाद को ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचाने में सहायक। 

  • रेलवे व्यापक मात्रा में यात्रियों की परिवहन में सहायक है। 

वर्तमान में राज्य के सकल मूल्य वर्धन में रेलवे का अंश 1.11 प्रतिशत है। 

मध्यप्रदेश में वायु परिवहन

वायु परिवहन आरामदायक तीव्रतम तथा प्रतिष्ठित परिवहन सेवा, इसके द्वारा भौगोलिक बाधाओं को भी सुगमता से पार किया जा सकता है। 

मध्यप्रदेश में वायु परिवहन का प्रारंभ 1948 को इंदौर से ग्वालियर के मध्य किया गया। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 5 सार्वजनिक हवाई अड्डे हैं। 

  • राजा भोज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भोपाल। 

  • देवी अहिल्या बाई होलकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा इंदौर। 

  • छत्रसाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा खजुराहो। 

  • रानी दुर्गावती हवाई अड्डा जबलपुर। 

  • राजमाता विजय राजे सिंधिया हवाई अड्डा ग्वालियर।

वायु परिवहन से संबंधित समस्याएं

  • किराए की दर अधिक होने से वायुयानों  की समस्त क्षमता का उपयोग ना हो पाना। 

  • पुरानी वायुयान या उपकरण की खराबी के कारण दुर्घटना होना। 

  • एयर पायलट को पर्याप्त प्रशिक्षण ना दिया जाना। 

  • मौसम खराब होने की स्थिति में वायु सेवा रद्द किया जाना। 

  • वायु परिवहन सेवा के विकास में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी तथा प्रशासनिक भ्रष्टाचार।

उपाय-: 

  • किरायों की दर में कमी की जाए तकरीर बयान की संपूर्ण क्षमता का उपयोग हो सके

  • पुराने वायुयानों को अच्छी तरह से रिपेयर किया जाए उनका उपयोग ना किया जाए ताकि दुर्घटना न हो। 

  • एयर पायलटों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाए। 

  • वायु परिवहन के विकास में सार्वजनिक निजी क्षेत्र भागीदारी (ppp) बढ़ाया जाए.

मध्य प्रदेश में विद्युत क्षेत्र

विद्युत सेवा न केवल औद्योगिक गतिविधियों को संचालित करके आर्थिक विकास में सहायक है बल्कि विद्युत लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में भी सहायक है। 

क्योंकि विद्युत के माध्यम से ही हम विभिन्न सुखदाई उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं जैसे-: बल्ब, पंखा, टीवी आदि। 

मध्यप्रदेश में विद्युत की स्थिति

वर्तमान में मध्य प्रदेश की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता लगभग 19000 (18660) मेगा वाट है। यह

वर्तमान में मध्यप्रदेश में विद्युत का उत्पादन तथा उनका वितरण करने के लिए निम्न संस्थान संचालित है-: 

  • मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी लिमिटेड जबलपुर,-: यह मध्यप्रदेश में विद्युत उत्पादन करने का कार्य करती है। 

  • मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड जबलपुर-: यह कंपनी संपूर्ण मध्यप्रदेश में विद्युत को पहुंचाने और ट्रांसमिशन करने का काम करती है। 

विद्युत का वितरण करने वाली कंपनियां

    • मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड जबलपुर। 

यह जबलपुर शहडोल रीवा सागर संभाग में विद्युत वितरण करती है। 

  • मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड भोपाल। 

यह भोपाल होशंगाबाद चंबल ग्वालियर संभाग में विद्युत वितरण करती है। 

  • मध्य प्रदेश पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड इंदौर। 

यह कंपनी इंदौर उज्जैन संभाग में विद्युत वितरण करती है। 

इनके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में विद्युत का विस्तार करने हेतु वर्ष 1960 में मध्य प्रदेश ग्रामीण विद्युतीकरण निगम की स्थापना की गई।  

मध्य प्रदेश के सभी घरों तक विद्युत की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किए गए प्रयास

  • अटल ज्योति योजना 2013-: इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के घरों में भी 24 घंटे तथा खेती के लिए कम से कम 10 घंटे विद्युत उपलब्ध करवाना था। 

  • बकाया बिजली बिल माफी योजना 2018-: इस योजना के तहत प्रदेश की श्रमिकों तथा बीपीएल कार्ड धारकों की बकाया बिजली बिल माफ किए गए। 

  • इंदिरा ग्रह ज्योति योजना 2019-: इस योजना का उद्देश्य गरीबी रेखा की परिवारों को कम दरों पर बिजली उपलब्ध करवाना है

इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को प्रतिमाह केवल ₹100 की लागत से बिजली प्रदान की जाती है। 

  • इंदिरा किसान ज्योति योजना 2019-: इस योजना के तहत मध्य प्रदेश के किसानों को 10 हॉर्स पावर तक की सिंचाई पंप चलाने के लिए आधी दर पर विद्युत उपलब्ध करवाई जाती है। 

मध्यप्रदेश में शिक्षा सेवा-:

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मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा-:

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मध्यप्रदेश में संचार सेवा-: 

सूचना एवं विचारों आदि का आदान-प्रदान संचार कहलाता है और इन विचारों तथा सूचनाओं के आदान-प्रदान करने में सहायक सेवा को संचार सेवा कहते हैं। संचार सेवा के अंतर्गत रेडियो दूरदर्शन इंटरनेट आदि सेवाओं को शामिल किया जाता है। 

संचार सेवा लोगों के मध्य संपर्क को बढ़ाने में तो सहायक है ही साथ ही आर्थिक विकास में भी सहायक है जैसे एक ऑफिस में बैठकर विभिन्न शाखाओं का निरीक्षण किया जा सकता है ऑनलाइन मीटिंग की जा सकती है जिससे व्यवसायिक या उद्योग गतिविधियों के समय में बचत होती है। 

मध्य प्रदेश की संचार सेवा को निम्न भागों में बांटा जा सकता है 

  • डाक तार

  • दूरदर्शन

  • आकाशवाणी

  • पत्रकारिता। 

  • दूरसंचार

मध्यप्रदेश में डाक तार सेवा-: वर्तमान में मध्य प्रदेश में लगभग 8500 डाकघर कार्यरत हैं जल के माध्यम से एक स्तान का कोई भी वस्तु या पद दूसरे स्थान तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। 

मध्यप्रदेश में दूरदर्शन सेवा-: वर्तमान में मध्यप्रदेश में 86 दूरदर्शन प्रसारण केंद्र संचालित है। 

मध्यप्रदेश में आकाशवाणी सेवा-: वर्तमान में मध्यप्रदेश में 26 आकाशवाणी केंद्र संचालित हैं। 

मध्यप्रदेश में दूरसंचार की स्थिति

दूरसंचार सेवा का तत्पर मोबाइल फोन सेवा से है। मध्यप्रदेश में दूरसंचार की सुविधा का सबसे पहले प्रारंभ 18 56 में हुआ था किंतु स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत व्यवस्थित रूप से संचार सेवा का विकास 1974 से हुआ और वर्तमान मध्य प्रदेश में लगभग प्रत्येक परिवार में न्यूनतम एक मोबाइल अवश्य है। 

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