ऊष्मा
ऊष्मा का अर्थ
ऊष्मा वह ऊर्जा है जो अपेक्षाकृत कम तापमान वाली वस्तु पर आरोपित होकर उसके तापमान को बढ़ा देती हैं अर्थात उसे गर्म कर देती है
उदाहरण के लिए किसी जलती हुई आग से निकलने वाली तापीय ऊर्जा ऊष्मा का स्थानांतरण सदैव उच्च तापमान वाली वस्तु से निम्न तापमान वाली वस्तु की ओर होता है यही कारण है कि जब हम किसी गर्म वस्तु को छूते हैं तो उस गर्म वस्तु की ऊष्मा का स्थानांतरण हमारे हाथ की ओर होने लगता है परिणाम स्वरूप हमें गर्मी का एहसास होता है इसके विपरीत……. जब हम किसी बर्फ के टुकड़े को छूते हैं तो वह बर्फ का टुकड़ा हमें ठंडा प्रतीत होता है क्योंकि हमारे हाथ की ऊष्मा का स्थानांतरण बर्फ की ओर होता है।
तापमान किसी वस्तु के गर्माहट या ठंडेपन को मापने वाली भौतिक राशि को तापमान कहते हैं।
अर्थात यदि किसी वस्तु।का तापमान अधिक है तो इसका अर्थ है कि वह वस्तु?गर्म है अर्थात उसमें अधिक ऊष्मा निहित है।
तापमान और ऊष्मा अंतर-
- तापीय ऊर्जा को उष्मा कहते हैं। जबकि ऊष्मा के स्थानांतरण को मापने वाली भौतिक राशि को तापमान कहते हैं
- तापमान का si मात्रक केल्विन है जबकि ऊष्मा का si मात्रक जूल है
ऊष्मा के मात्रक
s.i unit -:
ऊष्मा का s.i मात्रक jule है। एक जुल ऊष्मा का तत्पर ऊष्मा की उस मात्रा से है।जो एक किलोग्राम साधारण जल।एक कैल्विन बढ़ाने के लिए आवश्यक होती है।
Cgs unit -:
ऊष्मा का s. मात्रक calories है एक ग्राम साधारण जल के तापमान कोविशेष।बढ़ाने के लिए आवश्यक उष्मा की मात्रा को एक कैलोरी ऊष्मा कहते हैं।
BTU UNIT-:
एक पाउंड साधारण जल के तापमान को एक फारनेहाइट बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को एक वीटीयू कहते हैं।
ऊष्मा का स्थानांतरण
जब तापांतर के कारण उसमें एक पदार्थ से दूसरे पदार्थ में एक ही पदार्थ के उच्च ताप वाले बिंदु से ताप वाले बिंदु की ओर प्रवाहित होते हैं तो इस प्रक्रिया को पूछना का स्थानांतरण कहते हैं ऊष्मा के स्थानांतरण की मुख्यतःतीन विधियां हैं
• चालन विधि
• संवहन विधि
• विकिरण विधि
चालन विधि
जब किसी सुचालक वस्तु का एक भाग दूसरे भाग की उपेक्षा अधिक गर्म होता है तो उचित वाले भाग केक का अपने की स्थान में स्थित रहकर निम्न तापमान वाले कणों को उसमें प्रदान करते हैं फल स्वरुप ऊष्मा का स्थानांतरण उच्च तापमान वाले भाग से निम्न तापमान वाले भाग की ओर होता ऊष्मा के स्थानांतरण की इस विधि को चालन विधि कहते हैं
उदाहरण के लिए जब हम जलती हुई आग में लोहे की छड़ के एक हिस्से को रखते हैं तो ऊष्मा स्थानांतरण की चालन विधि के कारण लोहे की छड़ का दूसरा हिस्सा भी धीरे-धीरे गर्म हो जाता है
ऊष्मा की चालकता के आधार पर पदार्थों को दो भागों में बांटा गया है
सुचालक पदार्थ-
वे पदार्थ जिनमें ऊष्मा का प्रवाह आसानी से हो जाता है उन्हें सुचालक पदार्थ कहते हैं
जैसे-: सभी धातुएं अशुद्धि युक्त जल।।
कुचालक पदार्थ-
वे सभी पदार्थ जिनमें ऊष्मा का प्रवाह आसानी से नहीं होता है यह बिल्कुल भी नहीं होता है उन्हें कुचालक पदार्थ कहते हैं
उदाहरण के लिए-: कांच कपड़ा रबड़ लकड़ी,
चालन विधि के अनुप्रयोग
• चूंकि धातु ऊष्मा के सुचालक होती है अतः खाना बनाने वाले बर्तन धातु के बनाए जाते हैं
ताकि उनमें आग कीऊष्मा खाना तक आसानी से पहुंच सके,
• चाय के प्याले धातु किस के लिए नहीं बनाए जाते ताकि चाय पीते समय चाय की ऊष्मा
का चालन ना हो और हमारी और ना जले,
संवहन विधि
ऊष्मा स्थानांतरण की विधि जिसके अंतर्गत द्रव्य गैसीय पदार्थ के गर्म कण स्वयं संचारित होकर अपेक्षाकृत कम गर्म कणों का स्थान लेकर ऊष्मा का स्थानांतरण करते हैं उस्मा के स्थानांतरण की इस विधि को संवहन कहते हैं
उदाहरण के लिए-: जब हम पानी गर्म करते हैं तो पानी की निचली सतह के जल के कारण शीघ्रता से गर्म होकर ऊपर उठते हैं और ऊपर उठकर कम गर्म कणों का स्थान लेकर संपूर्ण पानी को गर्म कर देते.
विकिरण विधि –
के स्थानांतरण की वह विधि जिस में ऊष्मा का स्थानांतरण बिना किसी माध्यम के विद्युत चुंबकीय तरंगों द्वारा होता है उसे उसमें के स्थानांतरण की विकिरण विधि कहा जाता है
उदाहरण के लिए-:
• सूर्य की उसमें पृथ्वी तक विकिरण विधि द्वारा ही स्थानांतरित होती है
• गर्मी में हल्के रंग के कपड़ों को वरीयता इसलिए दी जाती है क्योंकि वे विकिरण से प्राप्त
ऊष्मा को परावर्तित कर दें अर्थात अवशोषित ना करें और हमें कम गमी लगे,
ऊष्मा का प्रभाव
जब किसी पिंड को ऊष्मा प्रदान की जाती है तो उष्मा के प्राप्ति कारण उस पिंड में होने वाले परिवर्तन को ऊष्मा का प्रभाव कहते हैं ऊष्मा के प्रभाव से निम्न परिवर्तन होते हैं
• भौतिक परिवर्तन
• रासायनिक परिवर्तन
1. भौतिक परिवर्तन
• आयतन में परिवर्तन-:
जब किसी वस्तु में उस्मा डाली जाती है तो उस वस्तु का आयतन बढ़ जाता है इसके विपरीत जब किसी पिंड से उष्मा निकाली जाती है तो उसके आयतन में कमी आती है
• तापमान में परिवर्तन -:
जब किसी वस्तु में या पिंड में ऊष्मा आरोपित की जाती है तो उसका तापमान बढ़ जाता है इसके विपरीत किसी पिंड से उष्मा निकालने पर उसका तापमान घट जाता है
• अवस्था में परिवर्तन-:
जब किसी ठोस वस्तु मैं उसके गलनांक बिंदु के बराबर उस्मा आरोपित की जाती है तो वह वस्तु अपनी ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाती है
इसी प्रकार जब किसी द्रव पदार्थ मैं उसके क्वथनांक के बराबर उस्मा आरोपित की जाती है तो वह द्रव पदार्थ अपनी द्रव अवस्था से गैस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है
• विलायक की विलयन क्षमता में परिवर्तन
जब किसी विलायक में उस में आरोपित की जाती है तो उसकी विलयन क्षमता बढ़ जाती है
2. रासायनिक परिवर्तन
ऊष्मा के द्वारा पदार्थों के रासायनिक गुणधर्म की परिवर्तन आ जाता है
जैसे-:
__पोटेशियम क्लोरेट और मैग्नीज डाइऑक्साइड के मिश्रण को गर्म करने पर अर्थात उस मिश्रण में ऊष्मा आरोपित करने पर ऑक्सीजन गैस मुक्त होकर निकलती है
गुप्त ऊष्मा
किसी पदार्थ की अवस्था परिवर्तन में प्रयुक्त होने वाली उस्मा को उस पदार्थ की गुप्त ऊष्मा कहते हैं
अर्थात किसी पदार्थ की अवस्था को परिवर्तित करने के लिए आवश्यक उस्मा गुप्त ऊष्मा कहलाती है
गुप्त ऊष्मा का मात्रक
गुप्त ऊष्मा का एस आई मात्रक जूल /किलोग्राम है गुप्त ऊष्मा का सीजीएस मात्रक कैलोरी /ग्राम है
गुप्त ऊष्मा के प्रकार
1. गलन की गुप्त ऊष्मा 2. वाष्पन की गुप्त ऊष्मा
गलन की गुप्त ऊष्मा
एक निश्चित ताप पर किसी ठोस पदार्थ को द्रव अवस्था में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा को उस पदार्थ की गलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं। उदाहरण के लिए बर्फ के गलन की गुप्त ऊष्मा 80 कैलोरी प्रति ग्राम है इसका अर्थ यह है कि जीरो डिग्री सेल्सियस ताप पर 1 ग्राम बर्फ को जल में बदलने के लिए 80 कैलोरी ऊष्मा की
आवश्यकता होती है यदि किसी बंद कमरे में बर्फ को पिघलाया लाया जाता है तो बंद कमरे का तापमान कम हो जाता है क्योंकि कमरे की उष्मा बर्फ को पिघलाने में प्रयुक्त हो जाती है तथा वह जल के अंदर निहित रहती है
वाष्पन की गुप्त ऊष्मा
एक निश्चित ताप पर किसी द्रव अवस्था के पदार्थ को गैस या भाप में बदलने के लिए आवश्यक उस्मा को उस पदार्थ की वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं उदाहरण के लिए जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 534 कैलोरी होती है अर्थात 0 डिग्री तापमान पर 1 ग्राम जल को बस में बदलने के लिए 534 कैलोरी ऊष्मा की आवश्यकता होगी यानी कि 1 ग्राम भाप में 534 कैलोरी ऊष्मा निहित होती है जबकि 1 ग्राम जल में मात्र 80 कैलोरी ऊष्मा निहित होती है अतः इसीलिए गर्म जल की उपेक्षा भाप से जलने का खतरा ज्यादा रहता है,
ताप का मापन
-: किसी वस्तु की गर्माहट या ठंडे पानी को मापने वाली भौतिक राशि तापमान कहलाती है
तापीय साम्य -:
जब भिन्न भिन्न तापमान वाली 2 वस्तुएं एक दूसरे के संपर्क में होती है तो ऊष्मा का प्रबाह अधिक तापमान वाली वस्तु से निम्न तापमान वाली वस्तु की ओर तब तक होता रहता है जब तक कि दोनों वस्तुओं का तापमान एक समान ना हो जाए
और दोनों वस्तुओं के तापमान एक समान होने की स्थिति को ही तापीय साम्य कहते हैं
ताप मापन के पैमाने
ताप मापन का पैमाना में दो आधारों पर बनाया जाता है
• प्रथम जल का हिमांक बिंदु
• द्वितीय जल का क्वथनांक बिंदु
इन दोनों बिंदुओं के बीच आंकिक मान दिया जाता है और इस आंकित मान को डिग्री कहा जाता है वर्तमान समय में तापमान मापन के मुक्ता 3 पैमाने सर्वाधिक प्रचलित है
• सेल्सियस पैमाना
• फार्नेहाइट पैमाना
• केल्विन पैमाना
सेल्सियस पैमाना
इस पैमाने में हिमांक बिंदु 0डिग्री सेल्सियस को तथा भाव बिंदु 100 डिग्री सेल्सियस निर्धारित किया गया है तथा हिमांग और भाप बिंदु के बीच की दूरी को 100 बराबर भागों में बांटा गया है जिन्हें डिग्री सेल्सियस कहा जाता है
फर्नेहाइट पैमाना
इस पैमाने में हिमांक बिंदु 32 डिग्री फारेनहाइट को तथा भाप बिंदु 112 डिग्री फारेनहाइट को निर्धारित किया गया है
तथा हिमांक बिंदु और भाप बिंदु के बीच की दूरी को 180 बराबर भागों में बांटा गया हैस जिन्हें डिग्री फारेनहाइट कहते हैं
केल्विन पैमाना
केल्विन पैमाने में हेमंत बिंदु 273 केल्विन को तथा भाप बिंदु 373 केल्विन को निर्धारित किया गया है तथा हिमांक बिंदु और धात बिंदु के बीच की दूरी को सब बराबर भागों में बांटा गया है जिसे केल्विन कहा जाता है
ताप मापन के विभिन्न पैमानों में संबंध
ताय विभिन्न पैमानों में संबंध
C–0
–32
– 223
S
कैल्विन से सैल्सियस निकालने हेढ – K – 273 fसे सैल्सियस निकालने हेतु c of–32)x5/ सैल्सियस से निकालने के लिए –OF–Trc+32)
तापमापी (thermameter)
तापमापी वह यंत्र है जो किसी भी वस्तु के तापमान को माप कर संख्यात्मक रूप में व्यक्त करता
और तापमापी में ऐसे पदार्थों का उपयोग किया जाता है जिन पदार्थों के गुणधर्म ताप परिवर्तन के अनुपात में परिवर्तित होते हैं, जैसे-: मरकरी ताप बढ़ने पर मरकरी का आयतन पड़ता है तब घटने पर मरकरी कार्टून घटता है
तापमापी के प्रकार
द्रव तापमापी-:
वह तापमापी जिसमें तापमान मापने के लिए पारा तथा अल्कोहल जैसे द्रव पदार्थों का उपयोग किया जाता है उसे द्रव्य-तापमापी कहते हैं पारा युक्त. द्रव तापमान से केवल माइनस 40 डिग्री सेल्सियस से लेकर 350 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान ही मापा जा सकता है क्योंकि मरकरी का हिमांक बिंदु माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तथा भाग बिंदु 357 डिग्री सेल्सियस होता है
माइनस 40 डिग्री सेल्सियस नीचे माइनस 115 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान मापने के लिए अल्कोहल युक्त द्रव्य तापमापी का उपयोग किया जाता है
डॉक्टरी तापमापी-:
एक प्रकार का पारा युक्त द्रव्य तापमापी ही होता है जिसका उपयोग डॉक्टर मनुष्य के शरीर के तापमान को मापने के लिए करते हैं इसका न्यूनतम बिंदु 95 डिग्री फारेनहाइट तथा उच्चतम बिंदु 110 डिग्री फारेनहाइट होता है
गैस तापमापी-:
वह तापमापी जिसमें पदार्थों का तापमान मापने के लिए नाइट्रोजन हाइड्रोजन जैसी गैसों का उपयोग किया जाता है उसे गैस तापमापी कहते हैं
हाइड्रोजन युक्त गैस तापमापी से माइनस 200 डिग्री सेल्सियस से 500 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान मापा जा सकता है यह तापमापी तापमान परिवर्तन के अनुपात में गैस के दाब में होने वाले परिवर्तन के सिद्धांत के आधार पर कार्य करता है
प्रतिरोध तापमापी-:
वह तापमापी जो तापमान के अनुपात में धातुओं के विद्युत प्रतिरोध में होने वाले परिवर्तन के सिद्धांत के आधार पर कार्य करता है उसे प्रतिरोध तापमापी कहते हैं प्लैटिनम प्रतिरोध तापमापी 1200 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान मापा जा सकता है
संपूर्ण विकिरण तापमापी-:
वह तापमापी जो गरम वस्तु से निकलने वाली विकिरण द्वारा उसके तापमान को संख्यात्मक रूप में मापता है उसे संपूर्ण विकिरण तापमापी कहते हैं। इस तापमापी से दूर स्थित गरम वस्तु के संपर्क में आए उसके बिना 800 डिग्री सेल्सियस से 4000 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान मापा जा सकता है यह तापमापी स्टीफन के नियम पर आधारित है
:-विशेष-:
तापीय प्रसार
ताप बढ़ने से वस्तु के आयतन में होने वाली वृद्धि को तापीय प्रसार कहते हैं तापीय प्रसार के अनुप्रयोग
• किसी कांच की बोतल में फंसे हुए कार्क को निकालने के लिए कांच की गर्दन को थोड़ा
गर्म किया जाता है जिससे उसका प्रचार हो जाता है परिणाम स्वरूप फसा हुआ कार्क निकल आता है
• लकड़ी के पहिए पर लोहे का घेरा आसानी से चढ़ाने के लिए लोहे के घेरे को गर्म किया
जाता है
ऊष्मा धारिता-:
जब किसी पदार्थ में उष्मा प्रवाहित की जाती है तो पदार्थ अपनी प्रथम अवस्था से दुतीय अवस्था में आने से पूर्व कुछ ऊष्मा अवशोषित कर लेता है और पदार्थ द्वारा ऊष्मा अवशोषित करने की क्षमता को ऊष्मा धारिता कहते हैं
थर्मोस्टेट-:
थर्मोस्टेट वह युक्ति है जो किसी पदार्थ का तापमान स्थिर रखती है वर्तमान में इसका उपयोग रेफ्रिजरेटर आदि के तापमान को स्थिर या नियत रखने के लिए किया जाता है
न्यूटन का शीतलन का नियम-:
इस नियम के अनुसार अपेक्षाकृत कम गर्म वस्तु के ठंडे होने की दर उस वस्तु तथा बाहरी परिवेश के तापांतर के समानुपाती होता है अर्थात ऊष्मा छय की दर = तापांतर यदि किसी गरम वस्तु और उसके बाहरी परिवेश के मध्य का तापान्तर अधिक है तो वह वस्तु शीघ्रता से ठंडी होगी इसके विपरीत यदि गरुण वस्तु और उसके बाहरी परिवेश के मध्य का तापांतर कम है तो वह वस्तु उतनी ही कम दर से ठंडी होगी उदाहरण के लिए दूध को शीघ्रता से ठंडा करने के लिए दूध की गिलास के चारों तरफ पानी भर दिया जाता है
परम शन्य ताप-:
भौतिकी में जीरो डिग्री केल्विन या माइनस 273 डिग्री सेल्सियस तापमान को सबसे न्यूनतम तापमान माना गया है इसे ही परम शून्य ताप कहते हैं
सीबेक प्रभाव –
जब दो भिन्न–भिन्न गुणधर्म वाली धातुओं को उच्च ताप और निम्न ताप से जोड़कर बंद परिपथ बनाया जाता है तो उन धातु में विद्युत का प्रवाह होने लगता है इसे ही सीबेक प्रभाव करते हैं