सब्सिडी ,,नगद लेनदेन

सब्सिडी

जब सरकार गरीब एवं वंचित वर्ग के लोगों को कम कीमत पर आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध करवाने के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य का कुछ हिस्सा स्वयं भुगतान करती है तो सरकार द्वारा दी गई इस वित्तीय सहायता को सब्सिडी कहते हैं।

जैसे-: गरीबों को एलपीजी गैस उपलब्ध करवाने के लिए ,सरकार गैस में सब्सिडी देती है।

 सब्सिडी के उद्देश्य-:

  • गरीब एवं वंचित वर्ग के नागरिकों को ऐसी अनिवार्य वस्तुएं व सेवाएं उपलब्ध करवाना जो उनकी क्रय शक्ति से बाहर है।

  • कृषिगत उत्पादों को बढ़ावा देना इसीलिए किसी सब्सिडी दी जाती है

  •  वस्तु एवं उत्पादों के मूल्य में स्थिरता बनाए रखना।

(यदि किसी वस्तु के मूल्य बढ़ते हैं तो सरकार उस वस्तुओं की लागत में सब्सिडी देगी जिससे उसकी लागत कम आएगी परिणाम स्वरूप उसके मूल्य कम हो जाएंगे)

सब्सिडी के प्रकार

सब्सिडी वितरण के आधार पर

  • प्रत्यक्ष सब्सिडी-:

वह सब्सिडी जो सरकार, सीधे प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता को धन राशि के रूप में देती है।

 जैसे-: गैस सिलेंडर में दी जाने वाली सब्सिडी/यदि कोई गैस सिलेंडर खरीदना है तो उसे गैस सिलेंडर की पूरी कीमत देनी पड़ती है किंतु सरकार उसके खाते में गैस की सब्सिडी डाल देती है

  • अप्रत्यक्ष सब्सिडी-: 

वह सब्सिडी जिसके माध्यम से सरकार वस्तुओं एवं सेवाओं के का कुछ हिस्सा स्वयं भुगतान करके वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य को कम कर देती है।

जैसे -: यूरिया में दी जाने वाली सब्सिडी। यूरिया की की एक बोरी लगभग ₹1200 की होती है किंतु सरकार किसानों को ₹250 में उपलब्ध करवाती है.

भारत में सब्सिडी के रूप-

  • खाद्य सब्सिडी

  • कृषि सब्सिडी

  • पेट्रोलियम पदार्थों की सब्सिडी 

  • सूक्ष्म मध्यम एवं लघु उद्योगों को सब्सिडी।

खाद्य सब्सिडी

गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य सरकार खाद्यान्न में सब्सिडी प्रदान करती है।

खाद्य सब्सिडी सरकारी उचित मूल्य की दुकानों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप में गरीबों को प्राप्त होती है।

सरकारी उचित मूल्य की दुकानों पर ₹25 किलो गेहूं मात्र 1 या ₹2 किलो में प्राप्त हो जाता है।

कृषि सब्सिडी-: 

किसानों को बीज, कृषि उपकरण, रसायनिक खाद, कीटनाशक आदि खरीदने के लिए सरकार द्वारा जो सब्सिडी प्रदान की जाती है उसे कृषि सब्सिडी कहते हैं।

ताकि किसानों की कृषि लागत कम हो सके और किसानों का उत्पादन तेजी से बढ़े, परिणाम स्वरूप उन्हें आधिक से अधिक मुनाफा हो।

कृषि सब्सिडी में बुराई

  • किसान अधिक अधिक मात्रा में कीटनाशक एवं रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करेंगे जिससे पर्यावरण को हानि पहुंचेगी।

  • कृषि के लिए विद्युत में अधिक से अधिक सब्सिडी प्राप्त होने से विद्युत की खपत अधिक होगी तथा भूमिगत जलस्तर भी नीचे चला जाएगा।

भारत सरकार प्रतिवर्ष 160,000 करोड रुपए सब्सिडी पर खर्च करती।

जो सकल घरेलू उत्पाद का 2% है

कुल सब्सिडी में से लगभग 53% सब्सिडी खाद्य सब्सिडी के रूप में दी जाती है

सब्सिडी का लाभ, महत्त्व या आवश्यकता 

  • सब्सिडी सामाजिक कल्याण में सहायक है क्योंकि सब्सिडी से गरीब एवं वंचित वर्ग के लोगों को ऐसी अनिवार्य वस्तु प्राप्त हो जाती हैं जो उनकी क्रयशक्ति से बाहर हैं।

  • सब्सिडी विशेषकर खाद्य सब्सिडी खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सबसे उपयोगी अस्त्र है।

  • बाजार में वस्तुओं के मूल्य को स्थिर बनाए रखने में सहायक है।

  • कृषि सब्सिडी किसानों की लागत को कम करने तथा उनका उत्पादन बढ़ाकर उनकी स्थिति में सुधार करने में सहायक है।

  • आर्थिक समानता स्थापित करने में सहायक है इसके लिए सरकार  गरीबों को अधिक सब्सिडी देती है।

सब्सिडी के प्रतिकूल प्रभाव

  • राजकोषीय घाटा में वृद्धि होती है (क्योंकि सरकारी व्यय काफी ज्यादा बढ़ जाता है)

  • करो मैं वृद्धि सब्सिडी के लिए पर्याप्त वित्त उपलब्ध करवाने के लिए सरकार दरों में वृद्धि करती है जिससे करभार बढ़ता है

  • सब्सिडी अनावश्यक उपभोग में वृद्धि होती है क्योंकि इन लोगों को कम मूल्य पर वस्तु प्राप्त हो जाने से दे इसका फिजूल खर्च करने लगते हैं।

  • सब्सिडी अर्थव्यवस्था की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को अवरुद्ध करता है

अतः इसीलिए w.t.o. ने सब्सिडी को कम या समाप्त करने की बात कही है

उपाय-: 

  • केवल अनिवार्य एवं क्रय शक्ति के बाहर वाली वस्तु पर ही सब्सिडी दी जाए सभी वस्तुओं पर नहीं।

  • सब्सिडी केवल वास्तविक गरीबों को ही प्रधान की जाए इसके लिए गरीबों को पुनः चिन्हित किया।

  • सब्सिडी में चरणबद्ध तरीके से कटौती की जाए।

नगद लेनदेन

जब वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय विक्रय नगद मुद्रा द्वारा किया जाता है तो इसे नगद लेनदेन कहते हैं,

किंतु नगद लेन-देन कुछ दोष हैं-: 

  • नगद लेनदेन में समय अधिक लगता है।

  • नगद लेनदेन मैं नगद को सुरक्षित रखने का खतरा रहता है‌।

  • नगद लेनदेन से सरकार को संबंधित लेनदेन की जानकारी नहीं होती जिससे कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है।

नगद विहीन लेनदेन(cashless transaction)-: 

जब अर्थव्यवस्था में वस्तुओं एवं सेवाओं का लेनदेन नगद मुद्रा द्वारा नहीं किया जाता बल्कि अन्य माध्यमों से किया जाता है जैसे-: चेक द्वारा , नेट बैंकिंग द्वारा तो उससे नगद विहीन लेनदेन कहते हैं।

 नगद विहीन लेनदेन माध्यम

  • बैंकिंग चेक के माध्यम से भुगतान।

  • इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से भुगतान

  • एटीएम के माध्यम से लेनदेन

नकद विहीन लेनदेन के लाभ/ उपयोगिता

  • समय की बचत (बिजली का एवं पानी का बिल जमा करने के लिए काउंटर में नहीं जाना पड़ता)

  • नगद धनराशि बैंक अकाउंट में सुरक्षित रहती है चोरी होने का खतरा नहीं रहता

  • कालाबाजारी में कमी आती है

  • बैंक खातों के माध्यम से लेनदेन होने से बैंकों की साख सृजन क्षमता बढ़ती है।

  • सरकार को लोगों की आय-व्यय का लेखा जोखा आसानी से प्राप्त हो जाता है

अतः वर्तमान में सरकार द्वारा नगद विहीन लेनदेन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

और नगद विहीन लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए संशोधित आयकर अधिनियम के तहत निम्न प्रावधान किए गए हैं-:

  • कोई भी व्यक्ति एक दिन में दो लाख से अधिक का नगद लेन-देन नहीं कर सकता है।

  • तथा एक ही दिन में बनाए गए ऐसे दिन जिनकी राशि दो लाख से अधिक से उसमें से₹199000 तक का ही नगद भुगतान किया जा सकता है बाकी शेष राशि को ऑनलाइन भुगतान ही करना पड़ेगा चाहे वह कितने दिन बाद क्यों ना हो

  • किसी धार्मिक संस्थान में ₹2000 से अधिक की धनराशि नगद दान नहीं कि कर सकते

  • ₹20000 से अधिक ना तो नगद राशि में लोन ले सकते हैं ना ही उसका (लोन) पेमेंट कर सकते है

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