खाद्य सुरक्षा एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली

खाद्य सुरक्षा

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खाद्य सुरक्षा का तात्पर्य है-:

अर्थव्यवस्था में सभी लोगों तक खाद्यान्न की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना ताकि दे सक्रिय एवं स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकें।

खाद्य सुरक्षा की आयाम

खाद्य सुरक्षा में निम्न तीन आयाम शामिल हैं-: 

  • सभी लोगों के लिए खाद्यान्न की पर्याप्त उपलब्धता हो।

  • सभी लोगों तक खाद्यान्न की पहुंच हो।

  • सभी लोग उपलब्ध खाद्यान्न को खरीदने में समर्थ हों। (अर्थात खाद्यान्न की कीमत उनकी क्रय शक्ति से बाहर ना हो।

खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि इन तीनों आयामों की निरंतरता हो।

खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य-: 

  • सभी लोगों को वहनीय मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध करवाकर उन्हें स्वस्थ व सक्रिय बनाना।(मानव संसाधन का विकास करना)

  • भुखमरी, कुपोषण की समस्या दूर करना।

  • खाद्यान्न मूल्यों मैं स्थिरता लाना।

  • प्राकृतिक आपदाओं के समय खाद्यान्न आपूर्ति की समस्या से निपटना।

खाद्य सुरक्षा से लाभ

  • सभी लोगों को बहिनी मूल्य पर साधन उपलब्ध होगा जिससे लोग स्वस्थ एवं सक्रिय रहेंगे परिणाम स्वरूप मानव संसाधन का विस्तार होगा।

  • भूखमरी एवं कुपोषण की समस्या दूर होगी।

  • प्राकृतिक आपदा के समय खाद्य आपूर्ति की समस्या नहीं होगी

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के चरण

  • पर्याप्त मात्रा में निरंतर रूप से खाद्यान्न का उत्पादन किया जाए।

  • वर्तमान आवश्यकता से अतिरिक्त खाद्यान्न भंडारित (बफर स्टॉक)किया जाए।

  • भंडारित खाद्यान्न को उन क्षेत्रों में पहुंचाया जाए जिन क्षेत्रों में खाद्यान्न की कमी है।

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से जरूरतमंद लोगों को  वहनीय कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न का वितरण किया जाए।

अतः खाद्य सुरक्षा की प्रमुख घटक है-: 

  • बफर स्टॉक

  • वितरण प्रणाली

बफर स्टॉक

विपरीत परिस्थितियों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यापक मात्रा में जो खाद्यान्न भंडारित किया जाता है उसे बफर स्टॉक कहते हैं।

बफर स्टॉक के उद्देश्य

  • सभी लोगों को वहनीय मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध करवाकर उन्हें स्वस्थ व सक्रिय बनाना।(मानव संसाधन का विकास करना)

  • भुखमरी, कुपोषण की समस्या दूर करना।

  • खाद्यान्न मूल्यों मैं स्थिरता लाना।

  • प्राकृतिक आपदाओं के समय खाद्यान्न आपूर्ति की समस्या से निपटना।

  • उन क्षेत्रों में खाद्यान्न पहुंचाना जहां पर खाद्यान्न का उत्पादन कम होता है या बिल्कुल नहीं होता।

  • icds जैसी कल्याणकारी योजनाओं के क्रियांवयन के लिए।

भारत में बफर स्टॉक की स्थिति

बफर प्रतिमान-:

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था मैं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जितना खाद्यान्न भंडारित किया जाना आवश्यक होता है उसे बफर प्रतिमान कहते हैं।

2015 के खाद्यान्न भंडार मानक के अनुसार-: 

  • 1 अप्रैल को भारत का बफर स्टॉक न्यूनतम 21 मिलियन टन होना चाहिए।

  • 1 जुलाई को भारत का बफर स्टॉक न्यूनतम 41 मिलियन टन होना चाहिए।

  • 1 अक्टूबर को भारत का बफर स्टॉक न्यूनतम 30 मिलियन टन होना चाहिए।

  • 1 जनवरी को भारत का बफर स्टॉक न्यूनतम 21 मिलियन टन होना चाहिए

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली हेतु प्रतिवर्ष 64 मिलियन टन खाद्यान्न की आवश्यकता होती है।

  • इस वर्ष लगभग 40 मिलियन टन गेहूं खरीदा गया।

  • जुलाई 2021 को भारत में खाद्यान्नों का कुल बफर स्टॉक 90 मिलियन टन है। जिसमें से गेहूं का बफर स्टॉक 60 मिलियन टन तथा धन का बफर स्टॉक लगभग 29 मिलियन टन है।

भारत में बफर स्टॉक से संबंधित मुद्दे

  • पर्याप्त भंडारण की पर्याप्त भण्डार गृहों का अभाव

  • भंडारित अनाज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए पर्याप्त उन्नत तकनीकी अभाव।

  • भंडारण में लागत अधिक आना।

परिणाम स्वरूप व्यापक मात्रा में अनाज खुले में रख दिया जाता है जिससे वह अनाज या तो सड़ जाता है या बह जाता है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली

सरकार द्वारा ,बफर स्टॉक में भंडारित खाद्यान्न को, वहनीय कीमतों पर सभी जरूरतमंद लोगों को वितरित करने के लिए जिस प्रणाली की शुरुआत की गई उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली कहते हैं

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत सरकार गरीबों को चिन्हित करके, उन्हें वहनीय कीमतों पर गेहूं, चावल, मिट्टी का तेल आदि उपलब्ध करवाती है।

भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का विकास

  • भारत में सर्वप्रथम सार्वजनिक वितरण प्रणाली की शुरुआत 1939 में की गई तब इसे राशनिंग प्रणाली कहा जाता था। जिसके तहत गेहूं चावल जैसी अनिवार्य खाद्यान्न उचित दामों पर दिए जाते थे।

  • इसके बाद आजादी के उपरांत 1951 से पंचवर्षीय योजना के साथ इस प्रणाली की शुरुआत की गई जिसे जन वितरण प्रणाली कहा जाता था प्रथम पंचवर्षीय योजना में केवल गेहूं चावल का ही वितरण किया जाता था जबकि द्वितीय पंचवर्षीय योजना से गेहूं चावल के साथ साथ चीनी खाद्य तेल मिट्टी का तेल आदि दिया जाने लगा।

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए 1965 में फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना की गई।

  • भारत में नवीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली की शुरुआत 1992 से की गई इसके तहत पिछड़े क्षेत्रों के गरीब लोगों को चिन्हित करके उन्हें आधे दामों पर खाद्यान्न तथा मिट्टी का तेल उपलब्ध करवाया जाता था।

  • जिसे 1997 में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली की शुरुआत की गई जिसके तहत-: वास्तविक गरीबों की पहचान करके , 6 करोड़ परिवारों को आधे दामों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराकर ,इस प्रणाली का लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया.

अंत्योदय अन्न योजना-: 

भारत से भुखमरी की समस्या को समाप्त करने के लिए इस योजना की शुरुआत वर्ष 2000 में की गई इस योजना के तहत 1 करोड़ अत्यंत गरीब  परिवारों को अंत्योदय कार्ड प्रदान करके और भी सस्ती दर पर तथा पर्याप्त मात्रा में,आवश्यक खाद्यान्न उपलब्ध करवाया जाता है।

वर्तमान में अंत्योदय कार्डधारक परिवारों की संख्या 2.45 करोड़ हो गई।

अन्नपूर्णा अन्य योजना

इस योजना की शुरुआत …..में की गई इस योजना के तहत ऐसे वृद्ध लोग जो खाद्य पूर्ति करने में असमर्थ हैं उन्हें फ्री में खाद्यान्न प्रदान किया जाता है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उद्देश्य

 स्टॉक के उद्देश्य

  • सभी लोगों को वहनीय मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध करवाकर उन्हें स्वस्थ व सक्रिय बनाना।(मानव संसाधन का विकास करना)

  • भुखमरी, कुपोषण की समस्या दूर करना।

  • खाद्यान्न मूल्यों मैं स्थिरता लाना।

  • प्राकृतिक आपदाओं के समय खाद्यान्न आपूर्ति की समस्या से निपटना।

  • किसानों से फसल खरीद कर उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य प्रदान करना।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कार्यप्रणाली

सार्वजनिक वितरण प्रणाली का क्रियान्वयन भारतीय खाद्य निगम द्वारा किया जाता है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में केंद्र सरकार की भूमिका

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य द्वारा फसलों को खरीद कर उसे भंडारित करना।

  • खाद्यान्न  को उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचाना

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में राज्य सरकार की भूमिका

  • लाभार्थियों अर्थात गरीब व्यक्तियों की पहचान करना।

  • व्यक्तियों को उनकी स्थिति के अनुसार विभिन्न प्रकार के राशन कार्ड प्रदान करना जैसे बीपीएल कार्ड ,अंत्योदय कार्ड।

  • उचित मूल्य की दुकानों को लाइसेंस देना उनका निरीक्षण करना।

वर्तमान भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत लगभग 500000 उचित मूल्य की दुकानों का नेटवर्क है जिसका लाभ भारत के……16करोड…….परिवारों को मिलता है।

कोरोना कल के दौरान लगभग 80 करोड लोगों को टारगेट करके उनको खाद्यान्न उपलब्ध करवाया गया था

सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कमियां या दोष

  • वास्तविक लाभार्थियों की स्पष्ट पहचान ना हो पाना। जिसके कारण अनेकों बार गरीबों को राशन नहीं मिल पाता जबकि अमीरों को राशन मिल जाता है

  • फर्जी राशन कार्ड बनाया जाना।

  • खाद्यान्न हेतु पर्याप्त भंडारण की व्यवस्था का अभाव

  • वितरित खाद्यान्न निम्न गुणवत्ता का होना।

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार की समस्या जिस कारण से उचित मूल्य के सरकारी विक्रेता कुछ खाद्यान्न बाजारों में बेचकर लाभ कमा लेते हैं

  • उचित मूल्य की दुकान अघोषित समय पर केवल एक बार ही  खुलना।

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अधिकांशतः केवल गेहूं चावल मिट्टी तेल आदि का ही वितरण किया जाता है मोटे अनाजों तथा दालों आदि नहीं ,जो अधिक पोषण युक्त होते हैं

सार्वजनिक वितरण प्रणाली मैं सुधार के सुझाव

  • राशन कार्ड धारक लोगों की स्थिति का पुनः मूल्यांकन किया जाए

व्यक्तियों की आय-व्यय का लेखा देखकर , ऐसे लोगों का राशन कार्ड रद्द कर दिया जाए जिनकी जिनका आय-व्यय निर्धारित सीमा से अधिक है

  • उचित मूल्य की दुकानों को पूर्णता कंप्यूटरीकृत किया जाए

  • उचित मूल्य की दुकानों आयात एवं निर्यात को पारदर्शी बनाया जाए तथा उनका समय-समय पर निरीक्षण किया जाए।

  • उचित मूल्य की दुकान खुलने का दिनांक एवं समय पहले से घोषित किया जाए तथा महीने में कम से कम 1 हफ्ते तक यह दुकान खोले ताकि सभी गरीब अपना राशन ले सकें।

  • उचित मूल्य की दुकानों मैं कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था की जाए ताकि वितरित किए जाने वाले खाद्यान्न की गुणवत्ता में कमी ना आए।

भारत में खाद्य सुरक्षा की स्थिति

  • विश्व विकास सूचकांक के अनुसार विश्व के कुल भूख से ग्रस्त लोगों में से 50% लोग भारत में पाए जाते हैं।

  • रंगराजन समिति की रिपोर्ट के अनुसार भारत के 29% लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।

योजना आयोग के अनुसार शहरी क्षेत्र का वह व्यक्ति जो 21 किलो कैलोरी से कम तथा ग्रामीण क्षेत्र का वह व्यक्ति जो 24 किलो कैलोरी से कम भोजन प्राप्त करता है वह देखती खाद्य सुरक्षा की सीमा से बाहर है।

भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियां

  • बढ़ती जनसंख्या

  • भंडारण की समस्या(व्यापक मात्रा में अनाज सड़ जाता है या निम्न गुणवत्ता का हो जाता है)

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार

  • जलवायु परिवर्तन(सूखा अकाल बाढ) के कारण खाद्यान्न उत्पादन में कमी

  • खाद्यान्न उत्पादन में क्षेत्रीय विषमता की समस्या।

  • कृषि में अत्यधिक रसायनों के प्रयोग से खाद्य पदार्थों का विषैला होना।

खाद्य सुरक्षा हेतु सरकार द्वारा चलाए जाने वाले कार्यक्रम

केंद्र सरकार की कार्यक्रम

  • लोक वितरण प्रणाली

  • एकीकृत बाल विकास योजना

  • अंत्योदय अन्य योजना

  • अन्नपूर्णा अन्य योजना

  • मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम

राज्य सरकार की योजना

  • दीनदयाल रसोई योजना

  • राम रोटी योजना

  • अन्नपूर्णा योजना।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013

एक नियम के तहत राष्ट्र के सभी जरूरतमंद लोगों को वहनीय कीमतों पर पर्याप्त आवश्यक खाद्यान्न उपलब्ध करवाने के लिए वर्ष 2013 में राष्ट्रीय खाद सुरक्षा अधिनियम बनाया गया।

  • इस अधिनियम के तहत 75% तक ग्रामीण जनसंख्या तथा 50% तक शहरी जनसंख्या को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न प्राप्त करने का कानूनी अधिकार दिया गया।

  • प्रत्येक लाभार्थी को प्रत्येक माह 5 किलो चावल या गेहूं प्रदान किया जायेगा। जिसमें से चावल ₹3 प्रति के लिए से कम ने तथा गेहूं ₹2 प्रति के लिए से कम राशि में प्रदान किया जाएगा।

  • प्रत्येक गर्भवती महिला तथा स्तनपान कराने वाली महिला को स्थानीय आंगनवाड़ी से मुक्त भोजन प्रदान किया जाएगा

  • इस अधिनियम के तहत लाभार्थियों को किसी कारण बस खाद्यान्न मिल पाने की स्थिति में उन्हें खाद्य सुरक्षा भत्ता प्रदान किया जाएगा।

भारतीय खाद्य निगम

भारतीय खाद्य निगम की स्थापना वर्ष 1965 में की गई जिसके प्रमुख उद्देश्य या कार्य निम्न हैं-: 

  • सरकार की एजेंसी के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य द्वारा खाद्यान्न फसलों का क्रय करना।

  • क्रय की गई खाद्यान्न फसल को भंडारित करना।

  • बफर स्टॉक के रूप में भंडारित खाद्यान्न को उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचाना।

मध्य प्रदेश में खाद्य सुरक्षा

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार मध्य प्रदेश में लगभग 7.6 करोड़ आबादी निवासरत है; जिसमें से 5.44 करोड़ से अधिक पात्र हितग्राहियों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत न्यूनतम मूल्य पर खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है। 

मध्य प्रदेश गेहूं और धान का उत्पादन तथा उपार्जन

  • गेहूं का उत्पादन और उपार्जन

    • मध्य प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 22 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन होता है

    • वर्ष 2022-23 में रवि की फसल में एमएसपी रेट पर लगभग 46 लाख मैट्रिक टन गेहूं का उत्पादन किया गया। 

  • धन का उत्पादन एवं उपार्जन

    • मध्य प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 7 मिलियन धान का उत्पादन होता है 

    • वर्ष 2021-22 में धान का 45 लाख मैट्रिक टन उपार्जन किया गया। 

भंडारण-:

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपार्जित खाद्यान्न को भंडारी करके रखना आवश्यक होता है ताकि समय-समय पर खाद्य वितरण प्रणाली के माध्यम से लोगों को सस्ते दरों पर दिया जाए

मध्य प्रदेश में खाद्यान्न की भंडारण का कार्य मध्य प्रदेश भंडारण एवं रसद निगम द्वारा किया जाता है। 

मध्य प्रदेश की भंडारण क्षमता-:

मध्य प्रदेश वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक कार्पोरेशन की 293 शाखों में 218 लाख मैट्रिक टन कार्यशील भंडारण क्षमता है। 

इसके अतिरिक्त आवश्यकता पड़ने पर मध्य प्रदेश सरकार निजी भंडार गोदामों में भी सरकारी खाद्यान्न भंडार करके रखती हैं। 

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