प्रमुख आर्थिक अंतरराष्ट्रीय संगठन

अंतरराष्ट्रीय संगठन

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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष

पृष्ठभूमि-:

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात युद्धरत देशों की अर्थव्यवस्था को गति देने ,अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौद्रिक एवं वित्तीय व्यवस्था को नियंत्रित एवं नियमित करने, तथा विश्व व्यापार को विनियमित करने  के  उद्देश्य से वर्ष 1944 को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में  ब्रेटेनवुड्स सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें 44 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

और इस सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना की नींव रखी गई तथा सुनियोजित योजना के तहत 27 दिसंबर 1945 को वाशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना की थी। 

तंतु में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में अपना कार्य 1 मार्च 1947 से प्रारंभ किया।

वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में विश्व के 190देश शामिल है 

उद्देश्य

  • अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना (अर्थात सदस्य राष्ट्र को आवश्यक विदेशी मुद्रा भंडार प्रदान करना)

  • विनिमय दर को स्थिर बनाए रखना।

  • अनावश्यक विनिमय प्रतिबंधों को समाप्त करना या न्यूनतम करना।

  • सदस्य राष्ट्रों की प्रतिकूल भुगतान संतुलन को अनुकूल बनाने में वित्तीय सहायता करना।

 अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्य

  • सदस्य राष्ट्रों के भुगतान संतुलन को अनुकूल करने के लिए उन्हें अल्पकालीन ऋण उपलब्ध करवाता है। 

  • सदस्य राष्ट्रों की मांग पर उन्हें वित्तीय सलाह भी देता है

  • सदस्य राष्ट्र की वित्तीय नीतियां के उचित क्रियान्वयन हेतु तकनीकी सहायता एवं प्रशिक्षण प्रदान करता है। 

  • अपने सदस्य राष्ट्रों की आर्थिक एवं वित्तीय नीतियों की निगरानी करता है  

  • सदस्य राष्ट्र की आर्थिक नीतियों के वैश्विक स्तर पर प्रभाव की समीक्षा भी करता है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की संरचना

बोर्ड ऑफ गवर्नर्स

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में शीर्ष स्तर पर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स होता है जिसमें सभी देशों के गवर्नर (वित्त मंत्री या केंद्रीय बैंक का अध्यक्ष) शामिल होते हैं बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक प्रत्येक वर्ष में एक बार होती है जिसके द्वारा विभिन्न नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं। 

कार्यकारी बोर्ड

तथा बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णयों का क्रियान्वयन करने के लिए एक कार्यकारी बोर्ड होता है जिसमें कुल 24 सदस्य होते हैं जिसमें से 5 सदस्य सर्वाधिक कोटा धारक देशों के होते हैं एवं शेष 19 सदस्य बोर्ड ऑफ गवर्नर द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। 

प्रबंधक निर्देशक

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के स्टाफ को दिशा निर्देश देने के लिए एक प्रबंधक निदेशक होता है जिसकी नियुक्ति कार्यकारी बोर्ड की वोटिंग द्वारा 5 वर्ष के लिए होती है। 

Special drawing right(SDR)/ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का कोटा

एसडीआर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्मित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निधि है। 

जिसमें प्रत्येक सदस्य देश का वित्तीय अंशदान शामिल होता है। एसडीआर को निम्न 5 मुद्राओं के रूप में रखा जाता है-: 

  • यूएस डॉलर

  • यूरो

  • चीनी युआन

  • जापानी येन

  • ब्रिटिश पाउंड

जिस देश की एसडीआर शेयर धारिता अधिक होती है, उस देश को उतना अधिक ही वोटिंग अधिकार प्राप्त होता है,

जैसे अमेरिका की एसडीआर में शेयर धारिता 17.46 प्रतिशत है अतः अमेरिका को 16.52% वोटिंग अधिकार (मताधिकार)है जबकि भारत की एसडीआर में शेयर धारिता 2.76% है अतः भारत को 2.64% वोटिंग अधिकार प्राप्त है। 

भारत और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एसडीआर में भारत की शेयर धारिता 2.76% है, शेयर धारिता के आधार पर भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का आठवां सबसे शीर्ष देश है। 

  • भारत ने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के संकट के समय आईएमएफ से ₹817 करोड़ के मूल्य के बराबर विदेशी मुद्रा खरीदी थी

  • भारत ने 1991 के वित्तीय संकट को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 2.2 बिलियन डॉलर का अल्पकालीन ऋण भी लिया था।

विश्व बैंक

पृष्ठभूमि

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात  युद्धरत देशों की अर्थव्यवस्था को गति देने ,अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौद्रिक एवं वित्तीय व्यवस्था को नियंत्रित एवं नियमित करने, तथा विश्व व्यापार को विनियमित करने  के  उद्देश्य से वर्ष 1944 को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में  ब्रेटेनवुड्स सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें 44 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 

और इस ब्रिटेन वुड्स सम्मेलन में पुनर्निर्माण एवं विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक(IBRD) की स्थापना को मंजूरी दी गई जिसके तहत वर्ष 1944 में वाशिंगटन डीसी में पुनर्निर्माण एवं विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक (IBRD) की स्थापना की गई जिससे लोकप्रिय रूप से विश्व बैंक कहा गया. 

किंतु इसमें अपना कार्य जून 1946 से प्रारंभ किया। 

वर्तमान में विश्व बैंक में सदस्य देशों की संख्या 189 है। 

विश्व बैंक के उद्देश्य/कार्य

  • सदस्य राष्ट्रों को आर्थिक विकास तथा पुनर्निर्माण के लिए दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध करवाना। 

  • सदस्य राष्ट्रों में विदेशी निवेश को बढ़ावा देना। 

  • विकाशसील सदस्य राष्ट्र के आर्थिक विकास की रूपरेखा 

विश्व बैंक की पूंजी

विश्व बैंक के सभी सदस्य देश विश्व बैंक को अपना अपना वित्तीय अंशदान प्रदान करते हैं जिससे विश्व बैंक की पूंजी का निर्माण होता जो देश जितनी अधिक वित्तीय पूंजी का अंशदान करता है उसे उतना अध्यक्ष वोटिंग अधिकार प्राप्त होता है जैसे विश्व बैंक की कुल पूंजी ने अमेरिका की शेयर धारिता 17. 25% है अतः अमेरिका की वोटिंग अधिकार शक्ति 15. 60%

जबकि भारत की शेयर धारिता 3.13% है अतःभारत को विश्व बैंक में 3% का वोटिंग अधिकार प्राप्त है। 

विश्व बैंक की पूंजी में शेयर धारिता के आधार पर भारत का स्थान सातवां है।

विश्व बैंक समूह

विश्व बैंक समूह के अंतर्गत निम्न पांच संस्थाए शामिल है-: 

  • अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक

  • अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी(IDA)

  • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम

  • विदेशी  विनियोग गारंटी संस्था

  • अंतरराष्ट्रीय निवेश विवाद निपटारा केंद्र

एशियाई विकास बैंक

यह एक क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्था है जिसकी स्थापना एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था का विकास करने के लिए वर्ष 1966 को की गई थी, वर्तमान में इसका मुख्यालय मनीला (फिलीपीन) में है। 

वर्तमान में किस बैंक में 68 सदस्य देश शामिल हैं

 एशियाई विकास बैंक के उद्देश्य

  • सदस्य देशों के समावेशी विकास के लिए ऋण उपलब्ध करवाना

  • सदस्य राष्टो मैं निर्धनता कम करके उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाना

  • सदस्य राष्ट्रों की विकास परियोजना को प्रोत्साहित करना

एशियाई विकास बैंक के कार्य-

  • यह सदस्य देशों की अधोसंरचना जैसे शिक्षा स्वास्थ्य परिवहन आदि के विकास के लिए ऋण उपलब्ध करवाता है

  • सदस्य राष्ट्रों को तकनीकी सहायता एवं आर्थिक सलाह की सेवा प्रदान करता है

  • सदस्य राष्ट्रों के मध्य विदेशी पूंजी निवेश को बढ़ावा देता है।

एशियाई विकास बैंक की संरचना

बोर्ड ऑफ गवर्नर 

यह विकास बैंक की सर्वोच्च संस्था है जिसमें प्रत्येक सदस्य देश का एक प्रतिनिधि शामिल होता हैं। बोर्ड ऑफ गवर्नर द्वारा ही एशियाई विकास बैंक की सभी नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं

बोर्ड ऑफ डायरेक्टर

 इसमें कुल 12 सदस्य शामिल होते हैं जिनकी नियुक्ति बोर्ड ऑफ गवर्नर द्वारा की जाती है। 

बैंक का अध्यक्ष 

एशियाई विकास बैंक में एक अध्यक्ष होता है जिसका चुनाव बोर्ड ऑफ गवर्नर द्वारा ही किया जाता है बोर्ड ऑफ डायरेक्टर कभी अध्यक्ष होता है।

एशियाई विकास बैंक की पूंजी

सदस्य देशों के वित्तीय अनुदान से एशियाई विकास बैंक की पूंजी का निर्माण होता है, वर्तमान में एशियाई विकास बैंक में सर्वाधिक पूंजी(शेयर धारिता) जापान की है जापान के बाद अमेरिका अमेरिका के बाद चीन और चीन के बाद भारत का स्थान।

विश्व व्यापार संगठन

विश्व व्यापार संगठन एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो विभिन्न देशों के मध्य वस्तुओं एवं सेवाओं के मुक्त व्यापार संबंधी नियम बनाते हैं।

पृष्ठभूमि

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात युद्धरत देशों की अर्थव्यवस्था को गति देने , अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौद्रिक एवं वित्तीय व्यवस्था को नियंत्रित करने  तथा विश्व के व्यापार को विनियमित करने के उद्देश्य से, वर्ष 1944 को अमेरिका के ब्रेटेनवुड्स में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ जिसमें 44 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया इसे ब्रेटेनवुड्स से सम्मेलन कहा जाता है। 

इस इस सम्मेलन में लिए गए निर्णय के तहत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष विश्व बैंक की स्थापना हुई तथा इंटरनेशनल व्यापार संगठन की नींव रखी गई। 

किंतु विश्व के समाजवादी और पूंजीवादी देशों के मध्य मतभेद होने के कारण विश्व व्यापार संगठन नहीं बन पाया। हालांकि 1947 में पश्चिम के पूंजीवादी देशों ने मिलकरgeneral agreement on tariffs and trade(GATT) की स्थापना की। जो निर्मित वस्तु के आयात निर्यात में सीमा शुल्क की कटौती से संबंधित समझौता था, वर्ष1948 में भारत गेट का सदस्य बना। 

तथा गेट की समीक्षा करने के लिए समय-समय पर दीर्घकालीन बैठकें आयोजित की जाती थी जिन्हें राउंड कहा गया और गेट के आठवें राउंड की बैठक(1986-94) उरूग्वे में हुई इसलिए इसे उरुग्वे वार्ता कहा जाता है। तथा उरूग्वे वार्ता में गेट की कमियों को दूर करते हुए विश्व व्यापार संगठन की स्थापना का निर्णय लिया गया, जिसके तहत -:1 जनवरी 1995 में विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हुई जिसका मुख्यालय जेनेवा में है। 

गेट(GATT) एवं WTO में अंतर

  • गेट अनौपचारिक संगठन था जबकि डब्ल्यूटीओ औपचारिक संगठन है, क्योंकि गेट की ना तो कानूनी मान्यता थी ना ही इसका मुख्यालय था और ना ही इसका प्रशासनिक तंत्र था

  • गेट के फैसले सदस्य देशों के लिए बाध्यकारी नहीं होती थी जबकि डब्ल्यूटीओ के फैसले सदस्य देशों के लिए बाध्यकारी होते हैं

  • गेट मुख्यत पश्चिम के विकसित यूरोपीय देशों का प्रतिनिधित्व करता था वही डब्ल्यूटीओ विकसित और विकासशील सभी देशों का प्रतिनिधित्व करता है इसमें वर्तमान में 164 सदस्य देश है। 

  • गेट की बैठकें अनियमित होती थी जबकि डब्ल्यूटीओ की बैठक में प्रत्येक 2 वर्ष के अंतराल में नियमित रूप से की जाती हैं

  • गेट के दायरे में केवल वस्तुओं का विदेशी व्यापार आता था जबकि डब्ल्यूटीओ के दायरे में वस्तुओं के साथ-साथ सेवाओं का विदेशी व्यापार भी आता है।

विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य

  1. अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधी नियमों का निर्धारण करना एवं उनका क्रियान्वयन करना।

  2. मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना अर्थात विदेशी व्यापार के दौरान लगने वाले सीमा शुल्क में कटौती करना । ताकि वैश्वीकरण को बढ़ावा मिल सके

  3. अंतरराष्ट्रीय व्यापार की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना।

  4. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी विवादों को सुलझाने में मध्यस्थता करना।

विश्व बैंक के कार्य

  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियमों का क्रियान्वयन करने के लिए सदस्य राष्ट्र की व्यापारिक नीतियों पर निगरानी रखने का कार्य करता है

  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रतिरोधों को समाप्त करने का कार्य करता है

  • विकासशील देशों की अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्षमता का निर्माण करने के लिए उन्हें तकनीकी एवं प्रशिक्षण संबंधी सहायता करता है

  • विभिन्न देशों के मध्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार को लेकर होने वाले विवादों को सुलझाने का कार्य करता है।

विश्व व्यापार संगठन की संरचना

मंत्रीस्तरीय सम्मेलन (ministerial conference)

विश्व व्यापार संगठन का मंत्री स्तरीय सम्मेलन प्रत्येक 2 वर्ष में एक बार आयोजित होता है। जिसमें सभी सदस्य देशों के मंत्री शामिल होते हैं मंत्री स्तरीय सम्मेलन द्वारा ही सभी नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं।

जनरल काउंसिल

विश्व व्यापार संगठन को प्रशासकीय एवं प्रबंधन संबंधी सहायता एवं सलाह देने के लिए विश्व व्यापार संगठन की जनरल काउंसिल होती है। 

समितियां

विश्व व्यापार संगठन के विभिन्न कार्यों को संचालित करने के लिए अनेकों समितियां संचालित हैं जैसे-:

 व्यापार नीति समीक्षा निकाय,( trade policy review body)

विवाद निपटारा निकाय, (dispute settlement body)

वस्तु एवं सेवा में व्यापार पर परिषद, बौद्धिक संपदा के अधिकारों के व्यापार संबंधित पहलुओं पर परिषद। 

विश्व व्यापार संगठन का भारत पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव 

  • अन्य देशों के आयात प्रतिबंधों में कटौती हुई जिससे भारत के निर्यात को बढ़ावा मिला।

  • भारत में विदेशी पूंजी निवेश बढ़ा

  • भारत में विदेशी तकनीकी का विस्तार हुआ।

 नकारात्मक प्रभाव

  • लघु सूचना उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

  • निर्यात तो बढ़ा किंतु  निर्यात की तुलना में  आयात और अधिक बढ़ा, परिणाम स्वरूप भुगतान संतुलन विपरीत हो गया।

दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संघ (ASEAN)

वर्ष 1967 को दक्षिण पूर्वी एशिया के 5 राष्ट्रों ने मिलकर आपसी सहयोग को बढ़ावा देकर अपना विकास करने के लिए एक औपचारिक संगठन का निर्माण जिससे दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन आसियान कहा जाता है।

वर्तमान में आसियान में 10 देश शामिल हैं। जैसे -: इंडोनेशिया मलेशिया ,फिलीपींस ,सिंगापुर ,थाईलैंड, ,म्यांमार .  

आसियान के उद्देश्य

  • सदस्य राष्ट्रों के मध्य आपसी विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलक्षाकर कर आपसी सहयोग को बढ़ावा देना।

  • सदस्य राष्ट्रों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को सुधारना।

  • सदस्य राष्ट्रों के मध्य आपसी व्यापार को बढ़ावा देना।

  • कृषि (मत्स्य)एवं कृषि आधारित उद्योगों का विकास करना।

भारत आसियान का सदस्य नहीं है किंतु वर्ष 2004 में भारत और आसियान के मध्य एक व्यापारिक समझौता हुआ जिसके तहत भारत और आसियान के मध्य अंतर राष्ट्रीय मुक्त व्यापार को बढ़ावा मिला।

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन(SAARC)

8 दिसंबर 1985 को भारत सहित दक्षिण एशिया के 8 देशों में मिलकर आपसी सहयोग के माध्यम से अपना विकास करने के लिए जिस औपचारिक संगठन की स्थापना की उसे सार्क कहा जाता है।

सर्क का मुख्यालय काठमांडू में है।

सार्क के उद्देश्य

  • सदस्य देशों के मध्य आपसी विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना तथा आपसी सहयोग को बढ़ावा देना।

  • सामूहिक (आपसी )आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना.

  • सदस्य राष्ट्रों की जनता के जीवन स्तर में सुधार लाना महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा।

  • अंतर्राष्ट्रीय आपसी व्यापार को बढ़ावा देना।

सार्क के सिद्धांत

  • कोई भी अंतर्राष्ट्रीय निर्णय लेते समय सदस्य राष्ट्रों की जनता के कल्याण को ध्यान में रखेगा।

  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सदस्य राष्ट्रों को वरीयता देना।

  • सदस्य राष्ट्र की अखंडता संप्रभुता का सम्मान करना उनके आंतरिक मामले में कोई हस्तक्षेप ना करना।

सार्क के प्रमुख समझौते

Sapta-: South Asian preferential trading agreement

यह समझौता 1993 को ढाका में सार्क के सदस्यों के मध्य हुआ। जिसके तहत सदस्य राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार में आपसी व्यापार को वरीयता देंगे।

Safta-: South Asia free trade agreement

यह समझौता वर्ष 2004 को सार्क के सदस्यों के मध्य हुआ, जिसके तहत आपसी व्यापार बढ़ाने हेतु सदस्य राष्ट्रीय द्वारा आपसी व्यापार के लिए सीमा शुल्क को कम करने का प्रावधान था।

सार्क की असफलता के कारण

  • सदस्य राष्ट्रों के मध्य व्यक्तिगत रूप से राजनीतिक संघर्ष की स्थिति होना जैसे -: भारत और पाकिस्तान के मध्य सीमा विवाद।

  • सार्क का कोई निश्चित सीमित उद्देश्य ना होना।

  • सदस्य राष्ट्रों द्वारा सार्क के सिद्धांतों का उल्लंघन किया जाना जैसे-:  आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा।

  • शर्ट में कोई विकसित देश शामिल नहीं है पर परिरामस्वरूप पर्याप्त धन ना होना।

  • सार्क की बैठकें कम समय अंतराल पर नियमित रूप से ना होना।

NAFTA-: North American free trade agreement

उत्तरी अमेरिका के देशों ने जैसे अमेरिका कनाडा और मेक्सिको के मध्य आपसी व्यापार मैं सीमा शुल्क को कम करने के लिए 1984 में जो समझौता हुआ उसे नाफ्टा के नाम से जाना जाता है।

इस समझौते उत्तरी अमेरिका के देशों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार मैं तीव्र बढ़ोतरी हुई।

ओपेक-: organisation of petroleum exporting countries.

वर्ष 1960 में विश्व के विभिन्न पेट्रोलियम उत्पादक देशों में पेट्रोलियम के निर्यात संबंधी मुद्दों को विनियमित करने के लिए जिस संगठन का निर्माण किया उसे ओपेक (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन)के नाम से जाना जाता है।

ओपेक का वर्तमान में मुख्यालय वियना(ऑस्ट्रेलिया) में है.

ओपेक के कुल 15 सदस्य देश हैं जिसमें से शामिल हैं-: इराक, ईरान, सऊदी अरब, कुवैत वेनेजुएला ,इक्वाडोर ,नाइजीरिया आदि।

ओपेक के उद्देश्य

  • सदस्य देशों के मध्य पेट्रोलियम नीति का एकीकरण करना

  • पेट्रोलियम उचित एवं स्थाई मूल्य निर्धारित करना।

  • उपभोक्ता राष्ट्रों के लिए पेट्रोलियम की नियमित अपूर्ति बनाए रखना।

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