[शब्द के प्रकार]
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दो या दो से अधिक वर्णों का वह योग जिसका कोई अर्थ हो, उसे शब्द कहते हैं।
जैसे-:
न्+अ+य्+अ+न्+अ = नयन। नयन का अर्थ है:- नेत्र या आंख।
पद:-
जब किसी शब्द का प्रयोग किसी वाक्य में किया जाता है तो उस शब्द को पद कहा जाता है।
वाक्य :–
दो या दो से अधिक शब्दों का व्यवस्थित क्रम जिसका कोई अर्थ हो उसे वाक्य कहते हैं।
जैसे:- राम स्कूल जा रहा है।
यह वाक्य है क्योंकि यह शब्दों का व्यवस्थित क्रम भी है, और इसका अर्थ भी निकल रहा है।
किंतु जब हम जिसे अव्यवस्थित क्रम में लिख देते हैं, तो यह निरर्थक हो जाता है जैसे:- रहा राम स्कूल जा है।
शब्द के भेद/ प्रकार:-
उत्पत्ति के आधार पर:-
तत्सम शब्द
तद्भव शब्द
देशज शब्द
विदेशज शब्द
संकर शब्द।
रचना के आधार पर:-
रूढ़ शब्द
यौगिक शब्द
योगरूढ़ शब्द
देशज शब्द:-
देशज का अर्थ है :-देश में जन्मा।
अर्थात हमारी देश की क्षेत्रीय भाषा(हिंदी) में प्रचलित ऐसे शब्द जिनकी उत्पत्ति हमारे देश में ही स्थानीय क्षेत्रों से हुई है, उन्हें देशज शब्द कहते हैं।
जैसे:- थैला, पगड़ी, लोटा, गड़बड़, खोखला।
तुम थैला लेकर सब्जी ले आओ।
पगड़ी पहन लो।
एक लोटा पानी पिला दो।
तुमने बहुत बड़ी गड़बड़ कर दी।
उसका सामान खोखला है।
विदेशज शब्द:-
विदेशज का अर्थ है:- विदेश में जन्मा ।
अर्थात हमारे देश की क्षेत्रीय भाषा(हिंदी) में प्रचलित ऐसे शब्द जिन की उत्पत्ति विदेशों में हुई है उन्हें विदेशज शब्द कहते हैं।
जैसे:-
अरबी शब्द:-अमीर, असर, इलाज, इज़्ज़त, हकीम, हलवाई,तहसील,जिला, नगद, शराब,किला।
वह गांव का सबसे अमीर आदमी है।
इस दवाई का कोई असर नहीं हुआ।
स्वास्थ्य खराब होने पर तुरंत इलाज करवाना चाहिए।
कभी भी अपनी इज्जत नहीं खोनी चाहिए।
उस गांव का हकीम बेहतर इलाज करता है।
आज हलवाई ने बहुत अच्छा खाना बनाया।
तहसील एवं जिला दोनों जगह जाना है।
हमको नगद पैसे चाहिए।
तुम शराब पीते हो?
रानी दुर्गावती का किला कहां है?
फारसी शब्द :-अफसोस, अमरूद, आईना, आमदनी, आवाज, आराम, चालाक, जागीर, मकान, बुखार, लेकिन।
मुझे आपकी बात सुनकर बहुत अफ़सोस हुआ।
चलो आज अमरूद खाते है।
आईना में अपना मुंह देखो।
उसकी आमदनी कितनी है?
तुम्हारी आवाज सुरीली है।
तुम आराम करो।
वह बहुत चालाक लड़का है।
पहले पूणा की जागीर शिवाजी के पास थी।
यह मकान किसका है?
तुम्हें बुखार है क्या?
वह जा रहा था लेकिन बारिश होने लगी तो नहीं आया।
तुर्की शब्द :- बहादुर, कैंची, चाकू, बीबी, बेगम, बावर्ची, सुराग, लाश।
वह बहुत बहादुर है।
इसी कैंची से काट दो।
राहुल ने चाकू मारकर हत्या कर दी।
उसकी बीवी बहुत सुंदर है।
आज बेगम को घूमने जाना है।
बावर्ची ने अच्छा खाना बनाया है।
कोई तो सुराग मिलेगा।
उसकी लाश को जला दो।
पुर्तगाली शब्द :- अलमारी, पतलून, प्याज, गोभी, पपीता, संतरा, आलू, अचार, तोलिया, मिस्त्री, कॉफी ,काजू।
अलमारी से केक निकाल लो।
तुम्हारी पतलून बहुत लंबी है।
सब्जी में प्याज कम डालना।
तौलिया डालकर चलो।
अंग्रेजी शब्द:- ऑफिस, पेंशन, रेल, मोबाइल, स्टेशन।
आज ऑफिस में ज्यादा काम है।
तुम्हें काफी ज्यादा पेंशन मिल रही है।
तुम रेल से जा रहे हो क्या?
आज मोबाइल लेकर नहीं जाना।
तुम स्टेशन में ठहरना।
तुम रिक्शा(जापानी शब्द) से चले जाना।
चाय में चीनी(चीनी शब्द) कम है।
संकर शब्द:-
हमारे देश की क्षेत्रीय भाषा में प्रचलित ऐसे शब्द जिनकी उत्पत्ति 2 भिन्न भाषाओं के शब्दों के योग से हुई है उन्हें संकर शब्द कहते हैं।
जैसे:-
रेल(अंग्रेजी)+गाड़ी(हिंदी)= रेलगाड़ी।
पान(हिंदी)+दान (फारसी)=पानदान।
नाका(हिंदी)+बंदी (फारसी)=नाकाबंदी।
रेल(अंग्रेजी)+यात्री(संस्कृत)= रेलयात्री।
तत्सम एवं तद्भव शब्द:-
संस्कृत भाषा हिंदी भाषा की जननी है अर्थ संस्कृत भाषा से ही हिंदी भाषा का विकास हुआ है,अतः हिंदी भाषा के अधिसंख्य आधारभूत शब्दों की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के शब्दों से हुई।
हिंदी भाषा में अभी भी अनेकों संस्कृत भाषा के मूल शब्द प्रचलित हैं जिन्हें तत्सम शब्द कहते हैं तथा कुछ शब्द संस्कृत भाषा के परिवर्तित रूप हैं जिन्हें तद्भव शब्द कहते हैं
तत्सम शब्द:-
तत्सम का अर्थ है:- उसके सामान।
अर्थात हिंदी भाषा में प्रयुक्त होने वाले ऐसे शब्द, जो मूलत: संस्कृत भाषा के शब्द है; उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं।
अतः तत्सम शब्दों का प्रयोग संस्कृत भाषा और हिंदी भाषा दोनों में होता है।
जैसे:-चतुर्थ, चूर्ण, तिलक, ताम्र, पत्र, संध्या, हस्त,लोक, कार्य, अग्नि।
तद्भव शब्द:-
तद्भव का अर्थ है:-उसके होना।
अर्थात् हिंदी भाषा में प्रयुक्त होने वाले ऐसे शब्द, जो संस्कृत भाषा(किसी अन्य भाषा) के शब्दों से सरल रूप में परिवर्तित होकर बने हैं उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं।
जैसे :-अग्नि को आग कहना ,आम्र को आम कहना,हस्त को हाथ कहना।
अतः तद्भव शब्दों का प्रयोग केवल हिंदी भाषा में होता है, संस्कृत भाषा में नहीं।
जैसे:-चौथा, चूरन, टीका, तांबा, पत्ता, शाम, हाथ,लोग,काम,आग।
तद्भव केवल संस्कृत भाषा की ही नहीं बल्कि अंग्रेजी भाषा के भी होते हैं जैसे:-
ऑफिसर का तद्भव शब्द है-अफसर
हॉस्पिटल का तद्भव शब्द है- अस्पताल।
बॉटल का तद्भव शब्द है- बोतल।
स्लेट का तद्भव शब्द है- सिलेट।
कैप्टन का तद्भव शब्द है- कप्तान।
तद्भव शब्द | तत्सम शब्द |
घर | गृह |
मौत | मृत्यु |
पत्थर | प्रस्तर |
चमार | चर्मकार |
कुआं | कूप |
छाता | छत्र |
खेत | क्षेत्र |
कीडा़ | कीट |
भीख | भिक्षा |
घी | घृत |
घोड़ा | घोटक |
दांत | दंत |
तांबा | ताम्र |
चरित | चरित्र |
ब्याह | विवाह |
ऊंचा | उच्च |
पलंग | पर्यंक |
पत्ता | पत्र |
तीखा | तीक्ष्य |
सूरज | सूर्य |
रतन | रत्न |
आग | अग्नि |
खीर | क्षीर |
तद्भव शब्द | तत्सम शब्द |
कपड़ा | कर्पट |
पीठ | पृष्ठ |
कंधा | स्कन्ध |
भभूत | विभूति |
बाती | वर्तिका |
ढीट | धृष्ट |
नारियल | नारिकेल |
सिंगार | श्रंगार |
मुंदरी | मुद्रिका |
देवर | द्विवर |
काटना | कर्तन |
चौकी | चतुष्पादिका |
दिन | दिवस |
रात | रात्रि |
पैर | पाद |
गंवार | ग्रामीण |
अचरच | आश्चर्य |
भगत | भक्त |
केला | कदली |
तद्भव शब्द | तत्सम शब्द |
विसरना | विस्मृत |
कोख | कुक्षि |
लंगोट | लिंगपट्ट |
चबूतरा | चत्वाल |
गांठ | ग्रंथि |
पुस्तक | पोथि |
माथा | मस्तक |
भाई | भ्राता |
भगिनी | बहन |
माता | मातृ |
पिता | पितृ |
चांद | चन्द्र |
कौआ | काक |
ईंट | ईष्टिका |
उजाला | उज्जवल |
क्रोधी | क्रुद्ध |
भैंस | महिषी |
सेठ | श्रेष्ठी |
सपना | स्वप्न |
तद्भव शब्द | तत्सम शब्द |
चोरी | चौर्य |
सुहाग | सौभाग्य |
तलाब | तडा़ग |
पत्रिका | पाती |
पाहुन | प्राघुर्ण |
पानी | पाणि |
बसेरा | वासगृह |
भांजा | भगिनेय |
सुई | सुचिका |
मिट्टी | मृत्तिका |
यहां | यत्र |
घाम | उष्ण |
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रचना के आधार पर शब्दों के प्रकार:-
रूढ़ शब्द
यौगिक शब्द
योगरूढ़ शब्द
रूढ़ शब्द:-
ऐसे शब्द जिन्हें, और अधिक छोटे सार्थक शब्दों (खंडों) में विभाजित नहीं किया जा सकता है ,उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं।
जैसे:- विद्या, पुत्र,ज्ञान, पूजा, गाय।
योगिक शब्द:-
ऐसे शब्द जो दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों के योग से मिलकर बने होते हैं उन्हें योगिक शब्द कहते हैं।
जैसे:- विद्यालय, राजपुत्र, विज्ञान, पूजारी, सामाजिक।
यहां पर विद्यालय शब्द विद्या + आलय से बना है।
योगरूढ़ शब्द:-
ऐसे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों के योग से मिलकर तो बने होते हैं किंतु उनका अर्थ उन शब्दों के अर्थ से अलग, विशिष्ट प्रकार का होता है उन्हें योगरूढ़ कहते हैं जैसे:-लंबोदर (गणेश), दशानन (रावण), नीलकंठ (भगवान शिव), पंकज (कमल)।
रुप परिवर्तन के आधार पर:-
विकारी शब्द
अविकारी शब्द
विकारी शब्द:-
ऐसे शब्द जिनका रूप लिंग ,वचन एवं कारक के अनुसार परिवर्तित हो जाता हैं, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं
जैसे:- लड़का- लड़की
लड़का पड़ रहा है, लड़की जा रही है।
नदी-नदियां
नदी बह रही है, हिमालय से अनेकों नदियां निकलती हैं।
किताब- किताबें
विकारी शब्द चार प्रकार के होते :-
संज्ञा(किताब, सचिन), सर्वनाम(मैं, तुम, उसे), विशेषण(अच्छा, बुरा, नीला), क्रिया(दौड़ना, जागना, लेना, देना)।
अविकारी शब्द:-
ऐसे शब्द जिनका रूप लिंग ,वचन एवं कारक के अनुसार कोई परिवर्तन नहीं होता हैं, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं।
जैसे – आज, कल, कब, इधर, उधर, परंतु, और, इसलिए, क्योंकि।
अर्थ के आधार पर शब्दों के प्रकार:-
एकार्थी शब्द
अनेकार्थी शब्द
समानार्थी शब्द
विपरीतार्थी शब्द
एकार्थी शब्द:-
ऐसे शब्द जिनका केवल एक ही अर्थ निकलता है उन्हें एकार्थी शब्द कहते हैं
जैसे:- जबलपुर, मछली, टमाटर, सब्जी, सूर्य।
अनेकार्थी शब्द:-
ऐसे शब्द जिनके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते हैं
जैसे:- पन्ना (पन्ना का अर्थ पन्ना जिला से भी हो सकता है, और कागज से भी हो सकता है)
हार (पराजय, पहनने वाला गले का हार)
हर्ष (व्यक्ति का नाम, खुशी/प्रसन्नता)
कनक(स्वर्ण, धतूरा)
सोना (नींद लेना, धातु)
उत्तर(उत्तर दिशा, जवाब)
कर्ण(कुंती पुत्र, कान, त्रिभुज में समकोण के सामने की भुजा)
करीब (लगभग, समीप, सगा)
समानार्थी /पर्यायवाची शब्द:-
किसी शब्द के समान अर्थ देने वाले शब्दों को उस शव्द का समानार्थी या पर्यायवाची शब्द कहते हैं।
जैसे :-
सूर्य के समानार्थी शब्द हैं-सूरज, दिवाकर, भास्कर, रवि, भानु।
बादल के समानार्थी शब्द हैं- मेघ,जलज,आकाश।
पुष्प के समानार्थी शब्द है:- फूल,सुमन।
भले ही समानार्थी शब्दों का अर्थ एक समान होता है किंतु विषय एवं स्थान को ध्यान में रखें बिना, प्रत्येक वाक्य में कोई भी समानार्थी शब्द का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
जैसे-:
लटकाना का समानार्थी शब्द है टांगना किंतु सदैव ‘लटकाने’ के स्थान पर ‘टांगने’ का उपयोग नहीं किया जा सकता।
इसीलिए निम्न उदाहरण से समझा जा सकता-भिखारी मुंह लटकाए बैठा है।
भिखारी मुंह टांगे बैठा है। यह गलत होगा।
उसी प्रकार
सूरज की किरणें तिरछी पड़ रही है।
रवि की किरणें तिरछी पड़ रही है।
दूसरा वाक्य उपयुक्त नहीं होगा।
समानार्थक शब्द के प्रकार-:
पूर्ण समानार्थक शब्द
अपूर्ण समानार्थक शब्द
पूर्ण समानार्थक/पर्यायवाची शब्द
ऐसे समानार्थक शब्द, जो केवल मूल शब्द के समान ही अर्थ का बोध कराते हैं, अर्थात जिनका कोई दूसरा अर्थ नहीं निकलता उन्हें पूर्ण समानार्थक या पूर्ण पर्यायवाची शब्द कहते हैं।
जैसे -: पिता का पूर्ण पर्यायवाची शब्द होगा- पितृ।
पूरा का पूर्ण पर्यायवाची होगा- पूर्ण।
अंतर का पूर्ण पर्यायवाची होगा-भिन्नता।
अपूर्ण समानार्थक/पर्यायवाची शब्द:-
ऐसे समानार्थक शब्द, जो सामान्यतः मूल शब्द के समान अर्थ का बोध कराते हैं किंतु उनका दूसरा अर्थ भी होता है।
जैसे-:
पिता का अपूर्ण पर्यायवाची होगा -: पालक, क्योंकि पालक का अर्थ पालने वाला होता है पालक माता भी हो सकती है।
पूरा का अपूर्ण पर्यायवाची होगा-: समग्र।
समग्र का अर्थ समस्त होता है अर्थात सभी।
अंतर का अपूर्ण पर्यायवाची होगा-: दूरी। क्योंकि दूरी का जहां एक और अर्थ होता है दो चीजों के मध्य अंतर बना कर रखना वही दूरी का दूसरा अर्थ होता है लंबाई।
विपरीतार्थी /विलोम शब्द:-
किसी शब्द का, विपरीत अर्थ देने वाले शब्दों को विपरीतार्थी या विलोम शब्द कहते हैं।
जैसे:-
‘जय’ का विपरीतार्थी शब्द है- पराजय।
‘पाप’ का विपरीतार्थी शब्द है- पुण्य।
‘सत्य’ का विपरीतार्थी शब्द है- असत्य।
‘मित्र’ का विपरीतार्थी शब्द है- शत्रु।