भारत में मिट्टी के प्रकार/SOIL OF INDIA

भारत में मिट्टियांभारत में मिट्टियां /BHARAT ME MITTIYON KE PRAKAR

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में भारत की मिट्टियों को आठ प्रकारों में वर्गीकृत किया है-:

  1. जलोढ़ मिट्टी

  2. लाल मिट्टी 

  3. काली मिट्टी

  4. लेटराइट मिट्टी

  5.  पर्वतीय मिट्टी 

  6. मरुस्थलीय मिट्टी 

  7. दलदली मिट्टी 

  8. लवणीय मिट्टी। 

जलोढ़ मिट्टी-:

यह भारत के सर्वाधिक क्षेत्र में पाई जाने वाली मिट्टी है। 

निर्माण-: नदियों द्वारा बहाकर ले गए अवसादों के निक्षेपण से। 

उपयोग-: धान की खेती के लिए उपयुक्त, इसके अतिरिक्त गेहूं और आलू के लिए भी यह उपयोगी होती है। 

क्षेत्र विस्तार-: जलोढ़ मिट्टी भारत के लगभग 15 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में पाई जाती है,

  • प्रमुख क्षेत्र-: 

    • हिमालय का तराई प्रदेश। 

    • असम-ब्रह्मपुत्र मैदान। 

    • पूर्वी तथा पश्चिमी तटीय क्षेत्र। 

    • नदियों का डेल्टाई क्षेत्र। 

लाल मिट्टी -:  

भारत की दूसरी सर्वाधिक विस्तार वाली मिट्टी। 

निर्माण-: रविवार अग्नि चट्टान ऑन (जैसे कि- ग्रेनाइट, नीस,कुटप्पा) के अपक्षय से। 

उपयोग-: बाजार तथा मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त। 

और

काली मिट्टी -:

यह भारत की तीसरी सर्वाधिक विस्तार वाली मिट्टी है। 

निर्माण-: बेसाल्टिक चट्टानों के अपक्षय से। 

उपयोग -: कपास की फसल के लिए उपयोगी। 

क्षेत्र विस्तार-: यह भारत के 5.5 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में पाई जाती है। 

  • प्रमुख क्षेत्र

    • ढक्कन का पठारी क्षेत्र। 

    • महाराष्ट्र, दक्षिण-पश्चिम मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश। 

लेटराइट मिट्टी-:

यह भी लाल रंग की मिट्टी है। 

निर्माण-: 200 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में निक्षालन की क्रिया से। 

उपयोग-: चाय ,कॉफी, इलायची ,काजू की खेती के लिए उपयुक्त तथा ईंटों के लिए भी प्रयोग की जाती हैं। 

क्षेत्र-: लेटराइट मिट्टी भारत के 3.7% भाग पर पाई जाती है। 

  • प्रमुख क्षेत्र-:

    • पर्वतों के गिरीपदीय क्षेत्र एवं पश्चिमी घाट में। 

    • उदाहरण के लिए – मेघालय, असम,उड़ीसा,केरल,कर्नाटक तमिलनाडु। 

पर्वतीय मिट्टी -:

भारत की पांचवीं सबसे बड़ी मिट्टी। 

निर्माण-: पर्वतीय क्षेत्रों में पर्वतीय चट्टानों के टूटने से। 

प्रयोग-: यह मिट्टी बागानी कृषि के लिए उपयुक्त है जैसे-चाय, कहवा, सेव, नाशपाती,मसाला। 

क्षेत्र-: यह भारत की लगभग 2.85 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में पाई जाती है। 

  • प्रमुख क्षेत्र-: हिमालय क्षेत्र प्रायद्वीपीय पठारी क्षेत्र। 

  • जैसे- जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड अरुणाचल प्रदेश,तमिलनाडु। 

मरुस्थलीय मिट्टी -: 

निर्माण -: यह न्यून वर्षा तथा अधिकतम वशीकरण वाले क्षेत्र में निर्मित होती है। 

उपयोग-: मोटा अनाज (जैसे-मक्का, बाजरा,ज्वार, सरसों के लिए उपयुक्त। 

क्षेत्र– राजस्थान, गुजरात, दक्षिण हरियाणा, दक्षिण पंजाब

लवणीय मिट्टी-:

इस रेह मिट्टी, कलर मिट्टी, उसर मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है। 

निर्माण-: उच्च जल स्तर वाले इलाकों में किसी केशिकत्व की क्रिया से। 

उपयोग -: यह कृषि की दृष्टि से कम उपजाऊ मिट्टी है

क्षेत्र-: गुजरात का कच्छ क्षेत्र, डेल्टा क्षेत्र, इंदिरा सागर नहन का क्षेत्र। 

दलदली मिट्टी-:

यह हल्की काले रंग की मिट्टी होती है। 

निर्माण-: अत्यधिक जल वाले क्षेत्रों में वनस्पतियों के सड़ने से। 

उपयोग-: दलदली मिट्टी मैंग्रोव, सुन्दरी तथा केजूराइना जैसे वनों के लिए उपयुक्त है। 

प्रमुख क्षेत्र-: केरल, उत्तराखंड,सुंदरबन डेल्टा। 

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