मध्य प्रदेश की राजनीति में महिलाओं का योगदान

मध्य प्रदेश की राजनीति में महिलाओं का योगदान

मध्य प्रदेश की राजनीति में महिलाओं का योगदान

ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो, प्राचीन भारत में की महिलाओं को राजनीति के क्षेत्र में विशेष स्थान प्राप्त था उदाहरण के तौर पर वैदिक काल में सभा एवं समिति नामक संस्थानों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व प्राप्त था; किंतु मध्यकाल में महिलाओं का राजनीति के क्षेत्र से योगदान उपेक्षाकृत कम हुआ उनका कार्य क्षेत्र घरेलू कार्यों तक सीमित हो गया, और वर्तमान समय में भारत एवं मध्य प्रदेश की राजनीति में महिला का योगदान बढ़ रहा है लेकिन अभी भी महिलाओं का राजनीति में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। 

जहां भारत एवं मध्य प्रदेश में महिलाओं की आबादी लगभग 50% के करीब है, लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में उनका योगदान लगभग 10 से 15% ही है। 

आंकड़ों की बात करें तो, हाल ही में गठित मध्य प्रदेश की 16वीं विधानसभा में मध्य प्रदेश के 230 विधायक में केवल 27 महिला विधायक है जो कुल विधायकों का 11.72 प्रतिशत है। 

 

मध्य प्रदेश की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी कम होने के कारण-:

  • महिलाओं में शिक्षा एवं जागरूकता की कमी; मध्य प्रदेश में जहां पुरुष साक्षरता दर लगभग 78% है वहीं महिला साक्षरता दर मात्र 59% है। 

  • पुरुष प्रधान सोच-: पित्त प्रधान सोच की वजह से राजनीति में भी पुरुषों का ही बोलबाला रहता है तो घर के पुरुषों द्वारा उनके इस कार्य की आलोचना की जाती है। 

  • घरेलू कार्यों में व्यस्तता- महिलाएं विभिन्न प्रकार के घरेलू कार्य जैसे खाना बनाना बच्चों को संभालना आदि में व्यस्त होती है उन्हें राजनीति में जाने का समय ही नहीं मिल पाता। 

  • मनोवैज्ञानिक कारण-महिलाओं की राजनीति में रुचि पुरुषों की तुलना में कम होती है जो भी इसका एक कारण है। 

  • आर्थिक निर्भरता ना होना-चुकी चुनाव आदि लड़ने के लिए व्यापक धन की आवश्यकता होती है लेकिन महिलाओं के पास कार्यशील पूंजी नहीं होती जिससे वह राजनीति में प्रवेश ही नहीं कर पाती। 

  • महिला असुरक्षा का मुद्दा –वर्तमान में बलात्कार महिला, किडनैपिंग, यौन शोषण आदि महिला सुरक्षा के मुद्दा है जिस वजह से महिलाएं सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य नहीं करना चाहती। 

मध्यप्रदेश की प्रमुख महिला राजनीतिज्ञ एवं उनका योगदान-:

उमा भारती-:

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के टीकमगढ़ में इनका जन्म हुआ था। 

इनका योगदान

लोकसभा के सदस्य के रूप में

  • 1989 में खजुराहो संसदीय क्षेत्र से लोकसभा प्रत्याशी चुनी गई। 

पर्यटन मंत्री के रूप में

  • 1999 से 2000 तक भारत सरकार में पर्यटन राज्य मंत्री रहीं। 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में

  • 2003 से 2004 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहीं। 

अन्य योगदान-:

  • 2014 की मोदी सरकार में इन्हें जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री बनाया गया। 

  • साथ ही 1980 से 1990 के बीच राम जन्मभूमि आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

जमुना देवी-:

इनका जन्म धार के सरदारपुर में हुआ था। 

इनका योगदान

उपमुख्यमंत्री के रूप में

1998 में मध्य प्रदेश की पहली महिला उपमुख्यमंत्री बनी। 

मध्य प्रदेश विधानसभा के रूप में-

2003 से 2008 तक नेता प्रतिपक्ष के रूप में भूमिका निभाई। 

इन्हें मध्य प्रदेश की ‘बुआ जी’ के नाम से भी जाना जाता है। 

सुमित्रा महाजन-:

मध्य प्रदेश के इंदौर क्षेत्र से लगातार नौ बार सांसद रहीं। तथा लोकसभा अध्यक्ष के रूप में भी इन्होंने भूमिका निभाई। 

यशोधरा राजे सिंधिया:-

इनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ। 

योगदान –

  • 2013 से 2018 तक वाणिज्य,उद्योग एवं रोजगार मंत्री के रूप में भूमिका निभाई। 

  • 2020 से 2023 तक कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। 

उर्मिला सिंह-

मध्य प्रदेश की सिवनी जिले से अनेकों बार विधायक रहीं। 

योगदान

  • 1993 से 95 तक मध्य प्रदेश सरकार में डेयरी विकास राज्य मंत्री। 

  • 1998 से 2003 तक मध्य प्रदेश सरकार में सामाजिक कल्याण और जनजाति कल्याण मंत्री। 

  • इसके कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी भूमिका निभाई। 

अनसूया उइके-:

इनका जन्म मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हुआ था। 

योगदान –

  • अर्जुन सिंह की सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री के रूप में कार्य किया। 

  • राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष भी रही। 

  • छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में भी भूमिका निभाई। 

रंजना बघेल-:

इनका जन्म मध्य प्रदेश की धार में हुआ था;इन्होंने मध्य प्रदेश की विधानसभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री के रूप में भूमिका निभाई। 

हिना कावरे-:

इनका जन्म बालाघाट में हुआ। 

जिन्होंने 15 वीं विधानसभा के उपाध्यक्ष के रूप में भूमिका निभाई। 

इस प्रकार हमने देखा कि मध्य प्रदेश की राजनीति में महिलाओं का लगभग हर राजनीतिक पदों में योगदान रहा, और वर्तमान में राजनीति में महिलाओं के योगदान को बढ़ावा देने के लिए जहां मध्य प्रदेश सरकार ने सर्वप्रथम पंचायत में 50% महिला आरक्षण दिया वहीं केंद्र सरकार ने हाल ही में महिला शक्ति बंधन अधिनियम पारित कर लोकसभा एवं विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया। 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *