लोक सशक्तिकरण
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लोक शक्तिकरण का तात्पर्य-:
समाज के सभी वर्ग के लोगों को सशक्त बनाने से है।
अर्थात विशेष रूप से समाज के कमजोर एवं वंचित वर्ग के लोगों को मुख्य धारा से जोड़कर, उन्हें उच्च जीवन स्तर प्रदान करना।
उदाहरण- समावेशी विकास।
भारतीय दृष्टि से कमजोर एवं वंचित वर्ग
के अंतर्गत अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग ,दिव्यांग , वृद्धजन एवं महिलाएं शामिल है।
लोक सशक्तिकरण के विभिन्न पक्ष-:
महिला सशक्तिकरण
दिव्यांग सशक्तिकरण
वंचित वर्गों का सशक्तिकरण
वरिष्ठ नागरिकों का सामाजिक सशक्तिकरण।
लोक सशक्तिकरण का उद्देश्य
भेदभाव या अस्पृश्यता जैसी कुरीतियों की समाप्ति।
सामाजिक न्याय की स्थापना।
सभी वर्गों का समान प्रतिनिधित्व की प्राप्ति।
वंचित वर्गों को मुख्य धारा से जोड़ना।
नीति निर्देशक तत्वों को मूर्त रूप प्रदान करना।
आपसी संघर्ष को समाप्त कर राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता की स्थापना।
लोक सशक्तिकरण की प्रमुख चुनौतियां-:
गरीबी।
बेरोजगारी।
अस्पृश्यता।
असमानता।
भुखमरी या खाद्य असुरक्षा।
जागरूकता का अभाव।
लोक सशक्तिकरण के घटक
सार्वभौमिक शिक्षा।
खाद्य सुरक्षा एवं पेयजल की व्यवस्था।
रोजगार के अवसर की समानता।
निशुल्क कानूनी सहायता।
पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व।
लोगों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता।
लोक सशक्तिकरण के लिए सरकारी प्रयास
इसका उत्तर वंचित वर्गों के मुद्दों एवं उनके समाधान में है।