विकसित भारत@2047
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Toggleप्रस्तावना-:
15 अगस्त 2022 को स्वतंत्रता दिवस के समय, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किला से दिए जाने वाले भाषण के दौरान, विकसित भारत की अवधारणा रखी, जिसके अंतर्गत उन्होंने भारत को वर्ष 15 फरवरीअगस्त 2047 तक विकासशील से विकसित राष्ट्र बनाने का आवाहन किया।
उन्होंने अपने विकसित भारत के भाषण में कहा कि-: “पिछली शताब्दी के तीसरे दशक का उद्देश्य स्वाधीनता प्राप्ति रहा,और इस 21वीं शताब्दी के तीसरे दशक का उद्देश्य भारत को विकसित राष्ट्र बनाना होगा, जिस प्रकार स्वाधीनता प्राप्ति का लक्ष्य 1947 को प्राप्त हुआ इस प्रकार इस शताब्दी में वर्ष 2047 को हम यह विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करेंगे”
उन्होंने इस भाषण में इस बात पर जोड़ दिया कि ‘इस विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में जितनी भूमिका सरकारी तंत्र की है उतनी ही भूमिका हमें व्यक्तिगत स्तर पर करनी चाहिए जैसे- शिक्षक के तौर पर ऐसा कुछ करें जो विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक हो। एक नागरिक के तौर पर अपनी कर्तव्यों का निष्ठा पूर्व पालन करें।’
विकसित भारत की वास्तविक अवधारणा-:
कोई भी राष्ट्र विकसित राष्ट्र तक कहलाता है जब वह निम्न मापदंडों को पूरा करता हो-:
वह वैश्विक स्तर पर शीर्ष जीडीपी ग्रोथ वाले राष्ट्रों में शामिल हो।
प्रति व्यक्ति आय के मामले में उच्च मध्यम आय से ऊपर की स्थिति हो।
लोगों का जीवन स्तर एवं जीवन प्रत्याशा उच्च स्तर की हो।
शिक्षा,स्वास्थ्य एवं आधोसंरचना का बेहतर विकास हो।
लोगों में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक जागरूकता।
भारत जीडीपी के मामले में तो शीर्ष स्थान पर है किंतु अन्य मानकों में अभी विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में नहीं है।
हालांकि, यदि हम इतिहास में गौर फरमाए, तो पाते हैं कि-: भारत, प्राचीन समय में “सोने की चिड़िया” के नाम से जाना जाता था। अर्थात भारत विकसित राष्ट्र था किंतु औपनिवेशिक काल के आर्थिक दुष्प्रभावों के कारण हम विकासशील राष्ट्रों की श्रेणी में आ गए और अभी भी विकासशील राष्ट्रों की श्रेणी में है।
भारत में विकसित राष्ट्र संबंधित चुनौतियां-:
भारत, में विकसित राष्ट्र के मार्ग में अग्रोलिखित सामाजिक ,राजनीतिक, आर्थिक चुनौतियां हैं-:
आर्थिक चुनौतियां-:
जीडीपी के मामले में भले ही भारत ने तीसरा स्थान प्राप्त कर लिया हो, किंतु अभी भी भारत की प्रति व्यक्ति आय 2200 डॉलर से कम है, जबकि अमेरिका की 80000 डॉलर है।
बेरोजगारी– लगभग 7% से अधिक
गरीबी- वैश्विक बहुआयामी सूचकांक के अनुसार 15.6 प्रतिशत।
भुखमरी– भुखमरी सूचकांक में 105 वां स्थान है।
सामाजिक चुनौतियां-:
निक्षरता – भारत में केवल 73% लोग ही साक्षर (जबकि विकसित देशों में ही आंकड़ा 80% से अधिक)
असमानता- भारत का 90% धन केवल 10% से कम अमीरों के पास है।
घरेलू हिंसा– महिलाओं की स्वतंत्रता में पाबंदी है।
-:मानव विकास सूचकांक में हमारा स्थान 132 वां है।
स्वास्थ्य चुनौतियां-:
31% ग्रामीण जनसंख्या को अपना इलाज करने के लिए 30 किलोमीटर से अधिक दूर जाना पड़ता है।
हमारे देश की जीवन प्रत्याशा 69 वर्ष है, जबकि जापान जैसे देशों की 80 वर्ष से अधिक
मातृ मृत्यु दर (97/प्रति लाख)एवं शिशु मृत्यु दर (28 /प्रति हजार) की अधिकता।
कृषि पर निर्भरता-:
भारतीय कृषि प्रधान राष्ट्रीय अभी भी भारत की 55% से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है
कृषि का मानसून पर निर्भर होना।
कृषि जागरूकता में कमी।
निम्न उत्पादकता।
जबकि विकसित राष्ट्र में, प्राथमिक क्षेत्र की तुलना में द्वितीय और तृतीय क्षेत्र का विकास अधिक होता है।
विदेशी निर्भरता-:
भारत का 75% से अधिक क्रूड ऑयल विदेश से आयात होता है, (लगभग 25 प्रतिशत से अधिक कोयला विदेश से आयात होता है)
विभिन्न नवीन तकनीक के लिए विदेशों पर निर्भरता जैसे- MRI ,रोबोटिक तकनीक.
राफेल जैसे लड़ाकू विमान के लिए फ्रांस जैसे देशों पर निर्भरता।
इसके अतिरिक्त विदेशी विवाद जैसे चीन और पाकिस्तान की सीमा विवाद से निपटने की चुनौतियां भारत में विद्यमान है जो भारत को विकसित भारत बनने से रोक रही है।
विकसित भारत संबंधी प्रयास-:
प्रधानमंत्री आवास योजना 2015।
उज्ज्वला योजना 2016।
स्टार्टअप योजना ,स्टैंड अप योजना 2016
आयुष्मान योजना 2018।
हर घर जल योजना 2019।
इसके अतिरिक्त भी सामाजिक-आर्थिक विकास की अनेकों योजना संचालित है, तथा विभिन्न लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
विकसित भारत @2047 के लक्ष्य-:
2047 तक, भारत की प्रति व्यक्ति आय को $2000 से $20000 पहुंचाना।
2047 तक, 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी प्राप्त करना।
2047 तक, भारत के सभी लोगों को न्यूनतम बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराना।
भारत के निर्यात3 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ाना
100 मिलियन नए रोजगारों का साजन
विकसित भारत अभियान के लिए हाल ही में 15 नवंबर 2023 से नरेंद्र मोदी द्वारा ‘विकास भारत लक्ष्य यात्रा‘ की शुरुआत की गई जो निश्चित ही इस दिशा में उल्लेखनीय कदम है।
निष्कर्ष-:
निसंदेह यह विकसित भारत का लक्ष्य एक विशालतम लक्ष्य है, जिसकी मार्ग में अनेकों चुनौतियां विद्वान है किंतु यह असंभव नहीं है, सुनिश्चित रणनीति तथा जनभागीदारी द्वारा, इसे प्राप्त किया जा सकता है।
इस हेतु हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी अपनी कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करते हुए राष्ट्र विकास में योगदान देना चाहिए, ताकि हम पुनः आर्थिक क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्र एवं शैक्षिक क्षेत्र में विश्व गुरु की अवधारणा को साकार कर सके और इसका लाभ भारत के नागरिकों को मिले।