[बायोमार्कर]
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Toggleबायोमार्कर शरीर के ऐसे स्वास्थ्य संकेतक होते हैं, जिससे शरीर के स्वास्थ्य की स्थिति तथा विभिन्न बीमारियों या कुपोषण आदि का पता लगाया जाता है।
उदाहरण के लिए-: हमारे रक्त में wबीसी की अत्यधिक मात्रा बढ़ना ल्यूकेमिया के लक्षण को दर्शाता है।
हेमेटोलॉजी-:
चिकित्सा विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत रक्त तथा रक्त से संबंधित विभिन्न बीमारियों का अध्ययन एवं उपचार किया जाता है।
हेमेटोलॉजी के सामान्य विकार-:
एनीमिया- रक्त में लाल रक्त कोशिका या हीमोग्लोबिन की कमी हो जाना।
सामान्यतः लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या 4 से 6 मिलियन प्रति माइक्रोमीटर होती है।
ल्यूकेमिया– एक प्रकार का रक्त कैंसर है, इसमें डब्ल्यूबीसी की मात्रा तीव्र गति से बढ़ती है।
हमारे शरीर में WBC की मात्रा 4000 से 11000 प्रति माइक्रो लीटर।
लिंफोमा – यह भी एक प्रकार का रक्त कैंसर है,जिसमें लिंफोसाइट की मात्रा बढ़ जाती है।
एक वयस्क व्यक्ति में लिंफोसाइट की मात्रा 1000 से 4800 प्रति माइक्रो लीटर होती है।
सिकल सेल एनीमिया -: यह एक अनुवांशिक रोग है जिसमें आरबीसी का आकर अर्द्ध-चंद्राकार हो जाता है।
हीमोफीलिया-: यह एक अनुवांशिक रोग है जिसमें रक्त का छक्का नहीं जमता, रक्त बहता ही रहता है
थैलेसीमिया – यह भी एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसमें पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन का निर्माण नहीं होता इसलिए दो-तीन हफ्तों में एक बार खून चढ़ाना पड़ता है।
हेमेटोलॉजी संबंधी प्रमुख टेस्ट
कंपलीट ब्लड काउंट (CBC)-
ब्लू में आरबीसी, बीबीसीब्लड प्लेटलेट्स आदि काउंट करने के लिए।
बेसिक मेटाबॉलिक पैनल (BMP)-ब्लू में ग्लूकोज तथा कैल्सियम आदि की मात्रा चेक करने के लिए।
थायराइड पैनल-थायराइड हार्मोन का लेवल ज्ञात करने के लिए।
लिपिड पैनल-रक्त में कोलेस्ट्रॉल लेवल ज्ञात करने के लिए।
लिवर फंक्शन टेस्ट -: लीवर से संबंधित बीमारियों का पता लगाने के लिए।
विडाल टेस्ट– बैक्टीरियल इनफेक्शन जैसी टाइफाइड आदि का पता लगाने के लिए।
बायोकेमेस्ट्री
विज्ञान की शाखा जिसके अंतर्गत जीवो में होने वाली रासायनिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
उदाहरण के लिए-: उपापचय की क्रिया का अध्ययन।
र्नप
बायोकेमेस्ट्री शब्द ‘कार्ल न्यूबर्ग’ ने दिया था उन्हें बायोकेमेस्ट्री का जनक कहा जाता है।
बायोकेमेस्ट्री की शाखाएं-:
मॉलेक्युलर बायोकेमेस्ट्री- इसमें डीएनए ,प्रोटीन, RNA तथा उनके संश्लेषण से संबंधित अंतर क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
कोशिका विज्ञान- इसके अंतर्गत कोशिका के विभिन्न कोशिकाओं तथा उनमें होने वाली रासायनिक क्रियो का अध्ययन किया जाता है।
मेटाबॉलिज्म- इसके अंतर्गत श्वसन ,पाचन जैसी जैविक क्रियो का अध्ययन किया जाता है।
अनुवांशिकी-इसके अंतर्गत जीन तथा अनुवांशिक लक्षणों की वंशानुगति का अध्ययन किया जाता है।
न्यूरो केमिस्ट्री- इसके अंतर्गत मस्तिष्क में होने वाली रासायनिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
महत्व -:
विभिन्न शारीरिक क्रियाएं जैसे- पाचन ,उत्सर्जन, श्वसन आदि को समझने में सहायक।
शारीरिक ग्रोथ को समझने तथा उसके लिए आवश्यक दवाइयां प्रिसक्राइब करने में सहायक।
बीमारियों की पहचान तथा उनके उपचार में उपयोगी।
कृषि के लिए आवश्यक फर्टिलाइजर तथा उन्नत बीज के निर्माण में।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में विभिन्न खाद्य पदार्थ जैसे- चीज, पनीर आदि के निर्माण में उपयोगी।
फॉरेंसिक साइंस में –अपराधियों को पकड़ने में सहायक।
बायोकेमेस्ट्री संबंधित प्रमुख टेस्ट-:
डायबिटिक टेस्ट
फास्टिंग शुगर टेस्ट।
Hba1c टेस्ट।
किडनी फंक्शन टेस्ट
GFR टेस्ट।
यूरिया टेस्ट
यूरिन एल्बुमिन टेस्ट
इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट
सिरम इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट
यूरिन इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट
इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट के अंतर्गत शरीर में सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड, बायोकार्बोनेट का मापन किया जाता है।
लिवर फंक्शन टेस्ट
GGT टेस्ट।
ALT टेस्ट
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट
एचडीएल टेस्ट (high density lipoprotein)
एलडीएल टेस्ट (low density lipoprotein)
विटामिन टेस्ट
विटामिन b12 टेस्ट
विटामिन d3 टेस्ट
हार्मोनल टेस्ट
T3 टेस्ट
T4 टेस्ट
TSH टेस्ट
सेरोलॉजी-:
सेरोलॉजी के अंतर्गत रक्त, सिरम या अन्य तरल के प्रतिरक्षी पदार्थ जैसे एंटीबॉडी का अध्ययन किया जाता है।
एंटीबॉडी ऐसे प्रोटीन होते हैं जो एंटीजन के विरुद्ध प्रतिक्रिया देते हैं।
उपयोग या महत्व
शरीर में एंटीबायोटिक की पहचान करके किसी रोग का पता लगाया जा सकता है।
कृत्रिम तरीके से एंटीबॉडी देखकर रोगों का उपचार किया जा सकता है।
सेरोलॉजी, किसी दवा के साइड इफेक्ट का अवलोकन करने में सहायक है।
इससे संबंधित प्रमुख टेस्ट-:
विडाल टेस्ट– बैक्टीरियल इनफेक्शन जैसी टाइफाइड आदि का पता लगाने के लिए।
एलिसा टेस्ट-: हानिकारक सूक्ष्म जीवों के विरुद्ध एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए
वेस्टर्न ब्लोट टेस्ट- इसका उपयोग एचआईवी का पता लगाने के लिए किया जाता है।
पॉलीमर चैन रिएक्शन टेस्ट।