मध्य प्रदेश में जैव विविधता
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Toggleमध्य प्रदेश भारत का केंद्रीय भूभाग होने के साथ-साथ जैव विविधता का भी प्रमुख केंद्र है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश को वन संपन्न राज्य या टाइगर स्टेट आदि के नाम से जाना जाता है।
मध्य प्रदेश में अधिक जैव विविधता पाए जाने के कारण या आधार-:
मध्य प्रदेश पश्चिमी घाट तथा हिमालय हॉट-स्पॉट के मध्य का संक्रमण क्षेत्र।
मध्य प्रदेश के लगभग 77492 वर्ग किलोमीटर में वनों का विस्तार है।
भौगोलिक भिन्नता-: मैदान, पर्वत ,पहाड़ी ,पठार, नदियां, झीलें, घटिया आदि की मौजूदगी।
मध्यप्रदेश में जैव विविधता की स्थिति-:
मध्य प्रदेश जैव विविधता बोर्ड (2005) तथा चंद्रा रिपोर्ट के अनुसार-:
वनस्पति विविधता-: 5000 से अधिक पादप प्रजातियां।
स्तनधारी-: 45 से अधिक स्तनधारी की प्रजातियां पंजीकृत है।
मत्स्य वर्ग-: मध्य प्रदेश में 165 से अधिक मछली की प्रजातियां पाई जाती हैं।
सरीसृप वर्ग-: मगरमच्छ, छिपकली, कछुआ, सांप की मौजूदगी
सरीसृप पार्क पन्ना में है।
मगरमच्छ का संरक्षण केन ,सोन और चंबल नदी में किया जा रहा है।
कछुआ की 10 प्रजातियां मध्य प्रदेश में पाई जाती(जबकि भारत में मीठी जल की 34
पक्षी-वर्ग-: 500 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है।
>इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश में लगभग 4.5 करोड़ से अधिक पशुधन(गाय, भैंस, बकरी, भेड़ आदि) मौजूद है।
मध्य प्रदेश में जैव विविधता का संरक्षण-:
इसके संरक्षण के लिए जहां एक और वृक्षारोपण एवं जैविक कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर स्व-स्थाने संरक्षण के तहत-: 11 राष्ट्रीय उद्यान 24 अभ्यारण 7 टाइगर प्रोजेक्ट तथा तीन जैव आरक्षित क्षेत्र बनाए गए हैं।
इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश जैव विविधता अधिनियम 2004 तथा जैव विविधता बोर्ड-2005 बनाया गया है।