सफलता की अवधारणा
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Toggleसफलता एक निजी एहसास है जिसके मायने हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होते हैं, उदाहरण के लिए निम्न आय वाले व्यक्ति के लिए एक साधारण नौकरी मिल जाना सफलता है, तो उच्च आय वाले व्यक्तियों के लिए नौकरी मिलना सफलता नहीं होती है।
सफलता को परिभाषित करना मुश्किल है,लेकिन साधारण तौर पर सफलता का आशय-: निर्धारित किए गए लक्ष्यों की प्राप्ति तथा उससे प्रसन्नता का अनुभव होना ही सफलता है।
अर्ल नाइटेंगल -: “मूल्यवान लक्ष्य की लगातार प्राप्ति ही सफलता है”
सफलता की विशेषता
सफलता एक निजी एहसास है।
प्रत्येक व्यक्ति के लिए सफलता के मानक भिन्न-भिन्न होते हैं
निर्धारित लक्ष्यों का सकारात्मक परिणाम ही सफलता का पर्यायवाची है।
सफलताओं से आत्मविश्वास, धैर्य में बढ़ोतरी होती है।
सफलता, व्यक्ति के मन में सकारात्मक सोच पैदा करती है।
सफलता प्राप्त करने में बाधाएं -:
आत्मविश्वास में कमी(जिसके कारण हम अपने कार्य को दृढ़ता से नहीं कर पाते।
असफलता का डर(इससे नकारात्मक सोच को बढ़ावा मिलता है)
सामाजिक बाधाएं (सामाजिक आलोचना, सामाजिक बंधन जैसे- कम उम्र में विवाह)
आर्थिक बाधाएं (लक्ष्य प्राप्ति हेतु आवश्यक धनराशि का अभाव)
आत्म-नियंत्रण में कमी (अन्य सुखदाई कार्यों में व्यस्त रहना)
समय प्रबंधन की कमी (सफलता प्राप्ति की एक प्रमुख बाधा उपयुक्त समय पर प्रयुक्त कार्य ना करना है।)
अन्य बाधाएं (नियोजन, त्याग,समर्पण,लग्न निरंतरता का अभाव)
सफलता के लिए जिम्मेदार कारक-:
लक्ष्य का निर्धारण (सफलता के लिए सबसे पहले आवश्यक है कि लक्ष्य का निर्धारण एवं उसका नियोजन किया जाए)
प्रतिबद्धता (लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बनाई गई योजना का पूर्ण प्रतिबद्धता से पालन)
समर्पण तथा लगन (लक्ष्य को प्राप्ति के प्रति समर्पण एवं लगन की भावना होना)
आत्मविश्वास (लक्ष्य प्राप्ति के प्रिया आत्मविश्वास तथा सकारात्मक सोच होना चाहिए)
त्याग (अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखते हुए सुखदाई विषयों का त्याग)
निरंतरता (प्रतिदिन लक्ष्य के लिए एक नया कदम बढ़ाने की आवश्यकता)
संतुलित प्रयास (लक्ष्य प्राप्ति हेतु प्रत्येक पक्ष के लिए संतुलित प्रयास करना)
सफलता के प्रति एपीजे अब्दुल कलाम के विचार-:
सपना तभी सच होते हैं जब हम सपना देखना प्रारंभ करते हैं।
सफलता का आनंद तभी आता है जब सफलता कठिनाई से प्राप्त होती है
हमें अपनी पहली सफलता के बाद नहीं रुकना चाहिए क्योंकि अगर आप दूसरे प्रयास में नाकाम हो जाएंगे तो लोग यही कहेंगे की पहली सफलता भाग्य से मिली थी।
अब्दुल कलाम ने सफलता के लिए कुछ आवश्यक तत्व बताए हैं -:
लक्ष्य का निर्धारण (लक्ष्य का निर्माण सफलता का पहला कदम होता है)
मेहनत एवं समर्पण (लक्ष्य प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है समर्पित रहना पड़ता है)
आत्म नियंत्रण (अपनी भावना एवं क्रियाओं को सही दिशा में रखने की क्षमता)
अपनी क्षमताओं को समझना (अपनी क्षमताओं को समझ कर ही आगे कदम रखना चाहिए)
सकारात्मक एवं उत्साह पूर्ण मानसिकता के साथ आगे बढ़ना।
सफलता के प्रति स्वामी विवेकानंद के विचार-:
“एक विचार लें और उस विचार को अपनी जिंदगी बना लें, तथा उसके बारे में सोचें,सपने देखें और उसे जियें वह विचार आपके मन एवं शरीर में समाहित हो जाना चाहिए यही सफलता का एक तरीका है”