महिलाउद्यमिता
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Toggleमहिला उद्यमिता का अर्थ-:
जब किसी महिला या महिलाओं के समूह द्वारा किसी उद्यम की स्थापना संचालन किया जाता है तो इस महिला उद्यमिता कहा जाता है।
महिला उद्यमिता की विशेषताएं-:
उद्यम में महिलाओं की न्यूनतम 51% हिस्सेदारी हो।
उद्यम में न्यूनतम 50% महिला कर्मचारी हो।
पत्राचारों में महिला हस्ताक्षर हों।
भारत में महिला उद्यमिता की स्थिति
आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी 33% है।
लघु उद्योगों में महिलाओं द्वारा संचालित उद्योगों की संख्या केवल 10% ही है।
महिला उद्यमियों के गुण-:
संवेदनशीलता महिलाएं संवेदनशील ढंग से परिस्थितियों को बारीकी से समझने का गुण रखतीं हैं।
सामंजस्य-सहयोगियों के साथ प्रभावी ताल में बैठने का गुण
ईमानदारी-कार्य के प्रति पुरुषों की तुलना में ज्यादा ईमानदार होना
उत्साह-विपरीत परिस्थितियों में भी उत्साह पूर्वक कार्य करने की दक्षता
मितव्ययता- कार्यों में मितव्ययिता लाने का गुण
सकारात्मक परिणाम के प्रति आशावादी दृष्टिकोण।
महिला उद्यमियों की प्रमुख चुनौतियां-:
- पारिवारिक जिम्मेदारियां-खाना बनाना बच्चों का पालन पोषण करना घरेलू कार्यों में व्यस्तता के कारण व्यावसायिक क्षेत्र में ध्यान नहीं दे पाती हैं
वित्त संबंधी समस्या-: ना ही उनके पास स्वयं के कार्यशील पूंजी होती है ना ही परिवार वाले या बैंक आसानी से वित्त उपलब्ध करवाते हैं अतः वित्त के अभाव में भी व्यवसाय नहीं कर पाते हैं
पारिवारिक कुरीतियों-: घर से बाहर न निकलना ,पर्दा प्रथा आदि
अशिक्षा- एक ओर महिलाओं की ड्राप आउट रेट अधिक है अतः वे कम साक्षर है जैसे- भारत में 65 प्रतिशत ही महिला साक्षरता दर है, वहीं दूसरी ओर व्यवसाय संबंधी व्यावहारिक प्रशिक्षण नहीं प्राप्त हो पाना, भी एक प्रमुख चुनौती है
पैतृक समाज- समाज के लोग महिलाओं को घरेलू कार्यों तक सीमित रखना चाहते हैं अगर उनमें उद्यमशीलता का विचार आता भी है तो उन्हें समाज में ही दबा दिया जाता है।
आत्मविश्वास में कमी- जोखिम उठाने की क्षमता कम होती है क्योंकि शुरुआत में परिवार का सहयोग नहीं मिलता।
गतिशीलता की समस्या-: केरल राज्य में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार महिला उद्यमी इसलिए उद्यमशीलता की ओर नहीं जाती क्योंकि उन्हें आर्डर लेने और उत्पादन वितरण करने के संबंध में पुरुषों की तुलना में अधिक कठिनाई महसूस होती है।
मनोवैज्ञानिक चुनौतियां-उद्यमशीलता के प्रति कम रुझान होना।
महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के उपाय-:
स्वयं सहायता समूह तथा बैंक सखी जैसी योजनाओं का व्यापक स्तर पर क्रियान्वयन।
महिलाओं के लिए पृथक व्यावसायिक प्रशिक्षण।
महिलाओं के लिए पृथक उद्यम सहायता केंद्रोऔ की स्थापना।
महिला साक्षरता को बढ़ावा दिया जाना।
विभिन्न सामाजिक कुरीतियों जैसी पर्दा-प्रथा, दहेज प्रथा के विरुद्ध जागरूकता।
उद्यम स्थापना संबंधित कार्य प्रणालियों को ऑनलाइन बनाया जाना सिंगल विंडो को बढ़ावा दिया जाना; ताकि,महिला उद्यमी घर बैठे ही इसका लाभ ले सके।