नियंत्रण /controlling
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Toggleनियंत्रण का अर्थ-:
प्रबंधक द्वारा कार्य का मूल्यांकन करना तथा उसमें सुधार हेतु आवश्यक कदम उठाना।
नियंत्रण की परिभाषा-:
“नियंत्रण का आशय अधीनस्थों की क्रियाओं मापन एवं सुधार करना है”—- कुटज एवं ओ’डोनेल।
नियंत्रण का महत्व-:
संगठन के लक्ष्य को शीघ्रता से पानी में सहायक।
संगठन की कार्य कुशलता में वृद्धि
संगठन की अपव्यय या लागत में कमी।
संगठन के सीमांत लाभ को बढ़ाने में सहायक।
सीमित संसाधनों द्वारा अधिकतम लक्ष्य की प्राप्ति।
व्यावसायिक समस्याओं का समाधान कर औद्योगिक शांति की स्थापना में सहायक।
नियंत्रण की विशेषताएं-:
यह एक उद्देश्य पूर्ण प्रक्रिया है
यह एक सदस्य क्रिया है
यह एक मानवीय क्रिया है
यह अधोगामी क्रिया है
प्रबंधकीय कार्य है
यह सर्वव्यापी कार्य है।
नियंत्रण की प्रक्रिया के चरण या घटक-:
निष्पादन मानकों का निर्धारण- नियंत्रण की क्रिया के अंतर्गत सर्वप्रथम संबंधित कार्य निष्पादन की मानक निर्धारित किए जाते हैं ; उदाहरण के लिए किसी दो मंजिला मकान के निर्माण में लगभग 50 लख रुपए का मानक।
वास्तविक निष्पादन की माप-: तत्पश्चात वास्तविक निष्पादन की माप की जाती है, जैसे कि कितना समय लगा, कितना पैसा लगा?
वास्तविक निष्पादन की तुलना-: इसके बाद वास्तविक निष्पादन की तुलना मानकीय निष्पादन से करके यह पता लगाया जाता है कि विचलन की सीमा क्या रही?
उदाहलिएके लिए दो मंजिला मकान बनाने के लिए लगभग 50 लख रुपए लगते हैं लेकिन 75 लख रुपए लग गए यानी की 25 लख रुपए एक्स्ट्रा लगे।
विचलनों का विश्लेषण -: फिर यह देखा जाता है कि- विचलन सकारात्मक रहा या नकारात्मक।
सुधारात्मक उपाय-: अंत में विचलन के कारक पता किए जाते हैं और नकारात्मक विचलन को कम करने का प्रयास किया जाता है।
नियंत्रण की तकनीकें-:
पारंपरिक तकनीकें-:
व्यक्तिगत अवलोकन तकनीक -: इसमें प्रबंधक स्वयं कार्यस्थल पर जाकर, कार्य की जांच या देखरेख करता है।
सांख्यिकी प्रतिवेदन तकनीक -: इसमें प्रबंधक, कार्य संबंधी प्रगति रिपोर्ट का अवलोकन कर नियंत्रण रखता है।
लिखित निर्देश विधि-: इसमें प्रबंधन कर्मचारियों को कार्य संबंधी लिखित निर्देश देकर यह मूल्यांकन करता है, कि- कर निर्देशों के अनुरूप हुआ है या नहीं।
बजटीय नियंत्रण- कार्य संबंधी बजटीय मानक निर्धारित किए जाते हैं, फिर मानक बजट से वास्तविक बजट की तुलना करके कार्य का मूल्यांकन किया जाता है।
आधुनिक तकनीकें -:
निवेश पर प्रत्याय विधि- इसमें निवेश की तुलना प्राप्त ऐसे करके,कार्य का मूल्यांकन किया जाता है।
प्रबंधन अंकेक्षण विधि- इसमें प्रबंधन की लेखा-जोखा द्वारा कार्यदक्षता का अवलोकन किया जाता है।
पुनर अवलोकन तकनीक (P.E.R.T.) तथा आलोचनात्मक उपाय प्रणाली (C.P.M.)
प्रबंध सूचना प्रणाली-: यह कंप्यूटर आधारित प्रणाली है जिसमें डाटा एनालिसिस द्वारा नियंत्रण स्थापित किया जाता है।