समन्वय एवं निर्णयन
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समन्वय का अर्थ
संगठन की विभिन्न क्रियाओं के मध्य तालमेल स्थापित करना समन्वय कहलाता है।
समन्वय की परिभाषा-: “समन्वय प्रबंधन का सार है, जो निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रयासों के मध्य सामंजस्य पैदा करता है” —– कुट्ज एण्ड ओ’ डोनेल।
समन्वय की विशेषताएं
समन्वय प्रबंधन का सार है।
यह एक सतत प्रक्रिया है
यह एक उद्देश्य पूर्ण प्रक्रिया है
यह क्षैतिज या लंबवत दोनों रूपों में हो सकता है
सर्वव्यापी कार्य है
प्रबंधकीय कार्य है
निर्णयन
निर्णयन का अर्थ-:
उपलब्ध सभी विकल्पों का विश्लेषण करके, संगठन की क्षमता के अनुसार सर्वश्रेष्ठ विकल्प का चयन करना ही निर्णय है।
निर्णय की विशेषताएं-:
यह एक उद्देश्य पूर्ण प्रक्रिया है
यह एक सदस्य क्रिया है
यह एक मानवीय क्रिया है
यह अधोगामी क्रिया है
प्रबंधकीय कार्य है
यह सर्वव्यापी कार्य है।
निर्णयन के प्रकार-:
हर्बर्ट साइमन के अनुसार निर्णयन दो प्रकार के होते हैं-:
कार्यात्मक निर्णय ्-: दिन प्रतिदिन के कार्यों से संबंधित निर्णय।
जैसे रिपोर्ट देना, अवकाश स्वीकृत करना आदि।
अकार्यात्मक निर्णय-: विशेष परिस्थिति में लिए जाने वाले निर्णय। जैसे -: घटना प्रबंधन संबंधी निर्णय।
निर्णय की प्रक्रिया के चरण या घटक
हर्बर्ट साइमन ने निर्णय के तीन चरण बताए हैं –
बौद्धिक क्रिया- चित्तर मां द्वारा समस्या को पहचान कर, यह पता लगाना की कहां निर्णय लेने की आवश्यकता है।
स्वरूप निर्धारण- समस्या के समाधान के विभिन्न विकल्पों की पहचान करना एवं तुलना करना।
चयन – अंत में सर्वश्रेष्ठ विकल्प का चयन करना।
निर्णयन की विधियां -:
ब्रेनस्टॉर्मिंग-: संबंधित व्यक्तियों का समूह बनाकर, समस्या के संबंध में गहन चिंतन-मनन किया जाता है; उसके समाधान के विकल्प ढूंढे जाते हैं।
पुराने अनुभव द्वारा-: इसके अंतर्गत पुराने समय के अनुभवों को ध्यान में रखकर व, निर्णय लिया जाता है।
चेकलिस्ट निर्णय-: विभिन्न विकल्पों के लाभ-हानि की सूची बनाकर निर्णय लिया जाता है।
प्रायिकता आधारित निर्णय- इसके अंतर्गत विभिन्न विकल्पों की सफल होने की संभावना या प्रायिकता ज्ञात करके, सर्वाधिक के सफलता की प्रायिकता वाले विकल्प को चुना जाता है।
डेल्फी विधि।