तनाव एवं विवाद प्रबंधन

तनाव प्रबंधन का अर्थ-: 

विभिन्न कारणों से संगठन में होने वाले तनाव या अवसादों के स्तर को कम करना या नियंत्रित करना तनाव प्रबंधन कहलाता है। 

तनाव प्रबंधन के कारण-:

  • अत्यधिक कार्यबोझ होना। 

  • अपेक्षित कार्यदशा‌ओं का अभाव। 

  • पक्षपात पूर्ण राजनितिक दबाव। 

  • पारिवारिक दबाव की स्थिति। 

  • जनता का जन आक्रोश एवं दबाव। 

  • मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक दबाव। 

  • आकस्मिक विपदाएं या घटनाएं। 

तनाव प्रबंधन की तकनीकें-:

  • CALM तकनीक-: डॉ नंदकुमार के अनुसार –

    • C – connect 

    • A – active 

    • L – learning 

    • M – mindfulness 

  • 4A तकनीक -: 

    • A- avoid(तनाव संबंधी कारकों को अवॉइड करना।)

    • A- after (तनाव वाले कार्य बाद में करना)

    • A- Adopt (आसपास अनुकूल परिस्थितियों रखना)

    • A- eccept(कुछ गलती होने पर उसे स्वीकार करना) 

  • सामाजिक समर्थन-: परिवार दोस्त या सहयोगी से बात करके, सहानुभूति प्राप्त करना। 

  • आत्म नियंत्रण- आत्मविश्वास रखने तथा अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना। 

  • क्षमता एवं कृतज्ञता-: गलती होने पर क्षमता तथा उपकार पर कृतज्ञता व्यक्त करना। 

  • योग एवं व्यायाम-: इससे शांति एवं हैप्पीनेस को बढ़ावा मिलता है। 

  • स्वास्थ्य आदतों में सुधार-: खानपान नियमित करना, नशा आदि न करना। 

  • नियोजित दिनचर्या-: नियोजित एवं नियमित दिनचर्या अपने से अनावश्यक बोझ नहीं आता

  • मनोरंजन-: अपनी दिनचर्या में मनोरंजन को शामिल करना। 

  • अन्य उपाय-: 

    • टॉक थेरेपी। 

    • लाफ थेरेपी। 

तनाव प्रबंधन का महत्व-:

  • कार्य-कुशलता में वृद्धि। 

  • स्मरण क्षमता तथा निर्णय क्षमता में वृद्धि। 

  • मानसिक थकान में कमी। 

  •  आत्मविश्वास एवं साहस में वृद्धि। 

  • शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव। 

  • बेहतर व्यक्तित्व विकास में सहायक। 

परिणामस्वरूप निर्धारित लक्ष्य शीघ्रता से प्राप्त हो जाते हैं। 

विवाद प्रबंधन 

विवाद प्रबंधन का अर्थ-:

विभिन्न कारणों से संगठन के लोगों या समूहों के मध्य उत्पन्न विवादों का उपयुक्त तरीके से समाधान कर, शांति व्यवस्था स्थापित करना; विवाद प्रबंधन कहलाता है।  

संगठन में विवाद उत्पन्न के कारण 

  • भिन्न-भिन्न मान्यताओं का विरोधाभास। 

  • संगठन में बदलाव का विरोध। 

  • व्यक्तिगत स्वार्थता। 

  • अन्य कारण जैसे जातिवाद, कार्यों की प्राथमिकता, सांप्रदायिकता। 

विवाद प्रबंधन की शैलियां-:

K.w. थामस तथा राल्फ किल्मन के अनुसार प्रबंधन की पांच शैलियां हैं –

  • सहयोगात्मक शैली-दोनों पक्षों के मध्य सहयोग प्रबल दिया जाता है। 

  • प्रतिस्पर्धात्मक शैली-इसमें अपनी जरूरत को ऊपर रखा जाता है। 

  • बचाओ शैली- इसमें विवाद को बाद में डालने का प्रयास किया जाता है। 

  • अनुकूलन शैली- विवाद समाप्ति हेतु, स्वयं को दूसरों के अनुकूल करना। 

  • समझौताशैली- आपसी समझौते पर बल।

विवाद प्रबंधन की तकनीकें –

  1. मुद्दे की पहचान- सबसे पहले वास्तविक मुद्दे एवं उसके कारकों की पहचान की जाती है। 

  2. विश्लेषण-तत्पश्चात विवादित मुद्दे का विश्लेषण कर समाधान पर विचार किया जाता है। 

  3. सक्रिय श्रवण-दोनों पक्षों की बातों को ध्यानपूर्वक सुनना। 

  4. सीधा संचार-दोनों पक्षों के मध्य आपसी संप्रेषण कराया जाना। 

  5. मध्यस्थता –दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करना। 

  6. समझौता- अंत में प्रासंगिक के पहलुओं को दृष्टिगत रखते हुए व्यवहारिक समझौता कर दिया जाता है। 

विवाद प्रबंधन में निम्न 6C तकनीक का प्रयोग किया जाता है-

  1. C- communication

  2. C- collaboration

  3. C- compromise

  4. C- control 

  5. C- civility

  6. C- commitment.

विवाद प्रबंधन का महत्व 

  • कार्य-कुशलता में वृद्धि। 

  • शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव।

  • स्मरण क्षमता तथा निर्णय क्षमता में वृद्धि। 

  • मानसिक थकान में कमी। 

  • बेहतर व्यक्तित्व विकास में सहायक।

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