प्रमुख जनजातिय व्यक्तित्व

टा़ट्या भील –

टा़ट्या भील / tatya bheel

भारत के आदिवासियों के रॉबिनहुड कहे जाते हैं। 

परिचय-: 

  • जन्म – 1842 ई को

  • स्थान – खंडवा के बड़दा ग्राम में

  • सैन्य गुरु- तात्या टोपे। 

टांट्या भील गोरिल्ला युद्ध पद्धति तथा धनुर्विद्या में निपुण थे।

1857 की क्रांति में तात्या भील का योगदान-

टांट्या भील ने अग्रोलिखित कारणों से 1857 की क्रांति में भाग लिया-

  • अंग्रेजों की औपनिवेशिक नीतियों का विरोध करने के लिए। 

  • अपने क्षेत्र को स्वतंत्र रखने के लिए। 

  • जंगल कानून का विरोध करने के लिए। 

क्रांति के दौरान-:

  • तात्या टोपे के साथ मिलकर खरगोन के किले को जीता 

  • रघुनाथ मंडलोई के साथ मिलकर जबलपुर झील के कैदियों को छुड़ाया 

  • अनेकों बार अंग्रेजी खजाना लूटकर उसका धन गरीबों में वितरित किया। 

अंत में 1889 को जबलपुर न्यायालय द्वारा राजद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। और इंदौर के पातालपानी में फांसी दी गई। 

गजन सिंह कोरकू गजन सिंह कोरकू / ganjan singh korku

कोरकू जनजाति के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। 

जन्म स्थान- गंजन सिंह कोरकू का जन्म बैतूल के घोड़ा डोंगरी में हुआ था। 

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान-.

इन्होंने महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन की तर्ज पर, 1930 को बैतूल के जंगलों में जंगल सत्याग्रह किया। 

कार्य प्रणाली- 

जंगल कानूनों के विरुद्ध घास काटकर विरोध का प्रदर्शन करना। 

बादल भोई

बादल भोई गोंड जनजाति के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। 

परिचय-:

  • जन्म – 1845 को। 

  • स्थान – छिंदवाड़ा की डुंगरिया में। 

  • उपाधि- भोई। 

-: उनके अंदर अपने क्षेत्रीय संसाधनों जैसे- जल, जंगल, जमीन तथा क्षेत्र लोगों की प्रति अटूट लगाओ का भाव था। 

-: किंतु जब बेटे सरकार के जंगल कंगना द्वारा उन पर प्रतिबंध लगाए गए तो इसके विरोध में बादल भोई ने ब्रिटिश विरोधी आंदोलन किया 

  • जंगल सत्याग्रह का नेतृत्व। 

  • रेल रोको आंदोलन। 

-: अंत में 1940 को महाराष्ट्र की चंद्रपुर जेल में उनकी मृत्यु हो गई। 

  • इन्हीं के नाम पर छिंदवाड़ा संग्रहालय का नाम बदलकर बादल भोई संग्रहालय किया गया। 

पेमा फाल्या

पेमा फाल्या, मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध भील चित्रकार थे। 

  • इनका जन्म- झाबुआ में हुआ था। 

  • योगदान– एक पिथौरा-चित्रकला में निपुण थे। 

 पिथौरा चित्रकला-: 

  • भीलों की चित्रकला है 

  • प्रचलन- झाबुआ में है। 

  • विशेष-  इसमें घोड़े की आकृति के चित्र बनाए जाते हैं। 



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