मानदण्ड या प्रतिमान/ Norms
This page Contents
Toggleमानदंड का अर्थ-:
समाज में प्रचलित ऐसे नियम, जो सामाजिक सदस्यों के व्यवहार को नियमित एवं नियंत्रित करते हैं, वे मानदंड कहलाते हैं।
उदाहरण-
बड़ों के पैर छूना
अतिथि सत्कार आदि।
मानदंड की विशेषताएं-
नियम एवं उप नियम-: मानदंड के अंतर्गत नियम एवं प्रथाएं सम्मिलित होती हैं।
स्वत: विकसित-: मानदण्ड लंबे समय अंतराल के बाद सोता ही विकसित हो जाते हैं, नियोजित तरीके से नहीं विकसित किया जाता।
परिवर्तन-शील-: मानदंड सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप परिवर्तित होते रहते हैं।
नैतिक कर्तव्य- सामाजिक मानदंड का पालन करना सामाजिक मनुष्य का एक नैतिक कर्तव्य होता है।
अलिखित स्वरूप-: मानदंड लिखित रूप में न होकर, अलिखित होते हैं।
मूल्य पर आधारित-: सामाजिक मानदंड, नैतिक मूल्यों पर आधारित होते हैं।
मानदंड के प्रकार-:
सकारात्मक मानदंड -: ऐसे सामाजिक मानदंड, जो समाज द्वारा स्वीकृत होते हैं जैसे– बड़ों के पैर छूना।
नकारात्मक मानदंड-: ऐसे सामाजिक मानदंड जो समाज द्वारा अस्वीकृत होते हैं, जैसे– दूसरी जाति में विवाह करना, कूड़ा फैलना।
सामाजिक मानदंड का महत्व-:
समाजीकरण में उपयोगी।
सामाजिक नियंत्रण का एक प्रमुख साधन।
व्यक्ति के व्यवहार को सकारात्मक दिशा देते हैं।
व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास में सहायक हैं।
संस्कृति के संरक्षण में सहायक।
मानदंड एवं मूल्य में अंतर-:
आधार | मानदंड | मूल्य |
अर्थ- | समाज स्वीकृत व्यवहार | ऐसे समाज स्वीकृत आदर्श, जो सकारात्मक लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक हों |
निर्भरता | मानदंड मूल्य पर आधारित होते हैं। | मूल्य मानदंड का आधार है। |
स्वरूप | मंडल सामाजिक स्वरूप के होतेहैं। | मूल्य नैतिक एवं व्यक्तिगत स्वरूप के होते हैं |
प्रकृति | मानदंड की प्रकृति व्यवहारिक होती है | मूल्य की प्रकृति सैद्धांतिक होती है |
साधन/साध्य | मानदंड साधन के रूप में होते हैं। | मूल्य साध्य के रूप में होते हैं। |
उदाहरण | बड़ों के पैर छूना, अतिथि सत्कार | सतनिष्ठा, साहस ,उदारता ,निष्पक्षता। |