समाजशास्त्र का भारतीयकरण

समाजशास्त्र का भारतीयकरण

भारतीय मूल्यों ,मान्यता तथा भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप समाजशास्त्रीय अध्ययन किया जाना। 

उदाहरण के लिए- भारतीय वर्ण व्यवस्था का अध्ययन, भारतीय आश्रम व्यवस्था का अध्ययन आदि। 

भारतीय समाजशास्त्री

  • गोविंद सदाशिव घुरिये (भारतीय समाजशास्त्र के जनक) 

  • प्रोफेसर इरावती कर्वे (पहली भारतीय महिला समाजशास्त्री)

  • S.C. दुबे- मध्य प्रदेश की समाजशास्त्री। 

  • प्रोफेसर लीना दुबे– मध्य प्रदेश की महिला समाजशास्त्री। 

समाजशास्त्र के भारतीयकरण के प्रमुख एवं तत्व-:

  1. भारतीय सामाजिक व्यवस्थाओं का अध्ययन; जैसे – वर्ण व्यवस्था का अध्ययन, जाति व्यवस्था का अध्ययन, आश्रम व्यवस्था का अध्ययन, पुरुषार्थ का अध्ययन। 

  2. भारतीय सामाजिक संस्थाओं का अध्ययन; जैसे – परिवार का अध्ययन ,विवाह का अध्ययन, नातेदारी वंश गोत्र का अध्ययन।

  3. भारतीय सामाजिक प्रक्रियाओं का अध्ययन; जैसे -भारतीय संस्कृतिकरण का अध्ययन, पश्चिमीकरण का अध्ययन ,स्तरीकरण का अध्ययन। 

  4. भारतीय वर्गों का अध्य्यन; जैसे – श्रमिक वर्ग, कृषक वर्ग, व्यापारी वर्ग का अध्ययन। 

  5. भारतीय महिलाओं की सामाजिक स्थिति का अध्ययन, जैसे – महिलाओं के घरेलू कार्यों का अध्ययन, महिलाओं की भूमिका एवं स्थिति का अध्ययन, महिलाओं के प्रति हिंसा का अध्ययन। 

  6. ग्रामीण भारतीय समाज का अध्ययन; जैसे – ग्रामीण रहन-सहन, खान पान, रीति रिवाज का अध्ययन। 

  7. भारतीय शिक्षा प्रणाली का अध्ययन आदि।

 

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