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कबीर जी के दार्शनिक विचार

[कबीर]
जीवन-परिचय:-
कबीर की रचनाएं:-
कबीर का व्यक्तित्व:-
कबीरदास के दार्शनिक विचार:-
तत्व मीमांसा संबंधी विचार:-
ज्ञान मीमांसा संबंधी विचार:-
कबीर के नैतिक विचार:

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तुलसीदास जी के धार्मिक एवं दार्शनिक विचार

-:गोस्वामी तुलसीदास:-
तुलसीदास जी का जीवन परिचय
रामचरित्र मानस:-
तुलसीदास के दार्शनिक विचार:-
तुलसीदास जी के नैतिक विचार:-
तुलसीदास के सामाजिक विचार:–
तुलसीदास के राज्य संबंधी विचार:-
तुलसीदास के आदर्शों की प्रशासन में उपयोगिता:-

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गुरु नानक एवं उनके दार्शनिक विचार

[गुरुनानक]
गुरु नानक का जीवन परिचय
नानक की प्रमुख रचनाएं:-
गुरु नानक देव के नैतिक विचार:-
गुरु नानक देव का सामाजिक चिंतन:-
गुरु नानक के धार्मिक विचार:-
गुरु नानक के 10 सिद्धांत:-
गुरु नानक की शिक्षाओं का प्रभाव:-

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महावीर स्वामी जैन दर्शन

महावीर स्वामी
महावीर स्वामी का जीवन परिचय
जैन दर्शन की तत्व मीमांसा/अनेकांतवाद:-
अनेकांतवाद:-
जैन दर्शन की ज्ञानमीमांसा/स्यादवाद:-
जैन-दर्शन का सप्तभंगी सिद्धांत:-
जैन-दर्शन की नीति-मीमांसा:-
बंधन एवं मोक्ष
मोक्ष प्राप्ति के साधन:-
त्रिरत्न
पंच महाव्रत
महावीर के अनुसार कर्मवाद का सिद्धांत:-
महावीर के अनुसार पुनर्जन्म का सिद्धांत
कायाक्लेश सिद्धांत:-
महावीर का अनीश्वरवादी सिद्धांत:-
आत्मवादी सिद्धांत:-
महावीर स्वामी का स्त्रियों के प्रति मत:-
पुद्गल:-
आस्त्रव:-
बंधन:-
संवर:-
निर्जरा:-
महावीर के दर्शन के नकारात्मक पहलू:-
महावीर स्वामी के दर्शन के सकारात्मक पहलू:-

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चार्वाक दर्शन/charvak darshan

[चार्वाक दर्शन]
चार्वाक दर्शन की उत्पत्ति-:
चार्वाक की तत्व मीमांसा:-
चार्वाक दर्शन का जगत विचार:-
चार्वाक दर्शन का आत्मा संबंधी विचार
चार्वाक दर्शन का ईश्वर संबंधी विचार
आलोचना या प्रश्न?
चार्वाक दर्शन के स्वर्ग-नरक संबंधी विचार:-
पुनर्जन्म संबंधी विचार:-
चार्वाक दर्शन की ज्ञान मीमांसा:-
चार्वाक दर्शन की ज्ञान मीमांसा की आलोचना:-
चार्वाक दर्शन की नीति मीमांसा या नैतिक विचार:-
चार्वाक दर्शन की नीति मीमांसा की आलोचना:-

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दार्शनिक प्लेटो/ploto

[प्लेटो]
प्लेटो की ज्ञान मीमांसा
प्लेटो की दार्शनिक समस्या:-
न्याय का सिद्धांत
प्लेटो के न्याय के सिद्धांत की विशेषताएं:-
प्लेटो के न्याय के सिद्धांत की आलोचना:-
महत्व
शिक्षा का सिद्धांत
प्लेटो की शिक्षा प्रणाली की आलोचना:-
प्लेटो का आदर्श राज्य
प्लेटो के आदर्श राज्य के तीन तत्व हैं:-
उत्पादक वर्ग:-
सैनिक वर्ग:-
दार्शनिक वर्ग:-
आदर्श राज्य के अंग/ सिद्धांत:-
प्लेटो के आदर्श राज्य की आलोचना
प्लेटो का साम्यवादी सिद्धांत:-
प्लेटो का नैतिक दर्शन
प्लेटो के अनुसार न्याय क्या है:-
प्लेटो की दार्शनिक प्रणाली क्या है
क्या प्लेटो ईश्वर वादी है?
द लाज:-

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दार्शनिक चिंतक सुकरात/ Socrates

[सुकरात]
सुकरात का जीवन परिचय
सुकरात की दार्शनिक समस्या
सुकरात की ज्ञान मीमांसा
सुकरात की नीति मीमांसा (नैतिक विचार):-
सुकरात के अनुसार ज्ञान
सद्गुण संबंधी मत:-
सुकरात के अनुसार ज्ञान और सद्गुण का संबंध:–
नैतिक बुराइयां अज्ञान से पैदा होती हैं /अज्ञान की सबसे बड़ा पाप है यही मनुष्य को अनुचित कार्य की ओर प्रवृत्त करता है” पुष्टि करो:–
सुकरात के अनुसार ज्ञान किससे प्राप्त होता है?
सुकरात के दर्शन का मूल्यांकन:-

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दार्शनिक अरस्तु/Aristotle

[अरस्तु]
जीवन परिचय
अरस्तु का राज्य का सिद्धांत
अरस्तु के अनुसार राज्य की विशेषताएं:-
अरस्तु के अनुसार राज्य के उद्देश्य एवं कार्य:-
मूल्यांकन
अरस्तु के नागरिकता संबंधी विचार:-
अरस्तु के कानून संबंधी विचार:-
अरस्तु की न्याय संबंधी अवधारणा
वितरणात्मक न्याय:-
सुधारात्मक न्याय
अरस्तु के अनुसार नैतिक सद्गुण/अरस्तु की नीति मीमांसा:-
अरस्तु का मध्य मार्ग सिद्धांत:-
अरस्तु की शिक्षा व्यवस्था
आलोचना:-
अरस्तु और प्लेटो के विचारों का तुलनात्मक अध्ययन:-
नगर-राज्य:-
पॉलिटिक्स:-
अरस्तु के अनुसार द्रव्य क्या है?
अरस्तु के अनुसार जगत का स्वरूप
अरस्तु के अनुसार राज्य का उद्देश्य

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भ्रष्टाचार निवारण हेतु सरकारी प्रयास

भ्रष्टाचार निवारण हेतु सरकारी प्रयासभ्रष्टाचार भारतीय शासन एवं प्रशासन की सबसे बड़ी समस्या है और इसे रोकने के लिए आजादी के बाद से ही ढांचागत एवं कानूनी प्रयास शुरू किए गए थे जिसका विवरण निम्नलिखित है:-संस्थागत प्रयास:-केंद्रीय सतर्कता आयोग का निर्माण। केंद्रीय सूचना आयोग का निर्माण। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की स्थापना। भ्रष्टाचार नियंत्रक कानून:-भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1947। भ्रष्टाचार निवारण…