Internet/ इंटरनेट

[Internet/ इंटरनेट]

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इंटरनेट का पूरा नाम है- इंटरनेशनल नेटवर्क। 

अर्थात इंटरनेट, दुनिया के सभी कंप्यूटरों(स्मार्टफोन सहित) को आपस में जोड़ने वाला एक ऐसा नेटवर्क है, जिसके माध्यम से दुनिया के लगभग सभी भागों में डाटा का आदान-प्रदान हो पाता है। 

इंटरनेट की कार्यप्रणाली-:

इंटरनेट विश्व के सभी कंप्यूटरों को आपस में जोड़ने वाला नेटवर्क है, जिसके अंतर्गत सभी कंप्यूटर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों द्वारा अपने नजदीकी सेल टावर से जुड़े होते हैं तथा ये सेल टावर ऑप्टिकल फाइबर केबल द्वारा “डाटा सर्वर” से जुड़े होते हैं, जिसमें बहुत सारा डाटा स्टोर होता है। 

और हम इसी डाटा सर्वर में अपने डाटा को अपलोड करके एवं अपनी पसंदानुसार अपलोडेड डाटा को प्राप्त करके इंटरनेट चला पाते हैं। 

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इंटरनेट का इतिहास-:

सर्व प्रथम वर्ष 1950 में विंट कर्फ नामक अमेरिकी वैज्ञानिक ने विभिन्न कंप्यूटरों को जोड़कर नेटवर्क बनाया था इसलिए उन्हें इंटरनेट का जनक कहा जाता है, इसके बाद 1969 में एंजेल इंवर्सिटी एवं कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी द्वारा ARPANET की शुरुआत की गई,जो विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं रक्षा मंत्रालय के कंप्यूटरों को आपस में जोड़कर, डाटा को आदान प्रदान करने वाला नेटवर्क था। इसके बाद 1980 के दशक में अमेरिका की नेशनल साइंस फाउंडेशन संस्था द्वारा NSFnet नेटवर्क का विकास किया गया जो एक शैक्षिक अनुसंधान का नेटवर्क था। बाद में ARPANET और NSFnet को मिलाकर वैश्विक स्तर पर इंटरनेट की शुरुआत की गई। 

किंतु भारत में जन सामान्य के लिए इंटरनेट सेवा की शुरुआत 15 अगस्त 1995 से भारत की कम्युनिकेशन कंपनी- विदेश संचार निगम लिमिटेड(VSNL) द्वारा की गई। 

इंटरनेट का महत्व-:

इंटरनेट पूरी दुनिया के लिए एक वरदान के समान है, क्योंकि इंटरनेट विभिन्न क्षेत्रों में काफी उपयोगी साबित हुआ है जैसे-:

व्यापार के क्षेत्र में-: इंटरनेट के माध्यम से घर बैठे ही अपने व्यापार को चलाया जा सकता है तथा अपने प्रोडक्टों का विज्ञापन किया जा सकता है। 

संचार के क्षेत्र में-: इंटरनेट के माध्यम से दुनिया में कहीं भी किसी भी व्यक्ति से घर में बैठे ही संपर्क किया जा सकता है। 

शिक्षा के क्षेत्र-: इंटरनेट के माध्यम से आजकल ऑनलाइन अध्ययन अध्यापन का कार्य संभव हो पाया है जो काफी ज्यादा किफायती एवं प्रभावशाली है। 

विज्ञान एवं तकनीकी के प्रचार में-: इंटरनेट के माध्यम से हम अपनी सूचना या तकनीकी को पूरे विश्व में पहुंचा सकते हैं तथा दूसरे देशों के तकनीकी को प्राप्त कर सकते हैं। 

प्रशासन के क्षेत्र-: इंटरनेट के माध्यम से ही प्रशासन में ई गवर्नेंस जैसी अवधारणा साकार हो पाई है, जिसके प्रयोग से प्रशासन में लालफीताशाही एवं भ्रष्टाचार कम हुआ है। 

राजनीतिक क्षेत्र में-: इंटरनेट के माध्यम से संचार व्यवस्था दुरुस्त हुई है जिससे राजनेता आसानी से अपनी बातों को जनता तक पहुंचा सकते हैं और जनता भी अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचा सकती हैं। 

इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर-:

ऐसी कंपनियां जो हमें इंटरनेट सेवा प्रदान करती हैं उन्हें इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कहा जाता है जैसे-: बीएसएनएल, जिओ, वोडाफोन, एयरटेल। 

इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां तीन प्रकार के हो सकते हैं-:

टियर-1-: जो समुद्र के अंदर केवल बिछाकर विभिन्न देशों के मध्य इंटरनेट सेवा प्रदान करती हैं। 

टियर-2 देश के अंदर भूमि पर केवल बिछाकर विभिन्न प्रदेशों में इंटरनेट सेवा प्रदान करती हैं। 

टियर-3 जो घर-घर तक इंटरनेट सेवा प्रदान करते हैं। 

इंटरनेट प्रोटोकोल-:

इंटरनेट में डाटा सर्वर से क्लाइंट कंप्यूटर तक डाटा के आदान-प्रदान के लिए, कुछ निश्चित नियम या तरीके होते हैं उन्हें इंटरनेट प्रोटोकॉल कहते हैं। 

कुछ प्रमुख इंटरनेट प्रोटोकॉल इस प्रकार है-:

  • TCP/IP-: टीसीपी का पूरा नाम है ट्रांसफर कंट्रोल प्रोटोकोल और आई पी का पूरा नाम है इंटरनेट प्रोटोकोल यह दोनों मिलकर हमारे कंप्यूटर के डाटा को सर्वर तक तथा सर्वर के डाटा को हमारे कंप्यूटर तक सुरक्षित रूप से भेजने का कार्य करते हैं। इस प्रक्रिया के अंतर्गत जहां एक ओर IP यह निर्धारित करता है कि कहां पर डाटा भेजना है वहीं दूसरी ओर TCP डाटा को छोटे-छोटे टुकड़ों के पैकेज में तोड़कर,उनको क्रमबद्ध रूप से निर्धारित ip address में भेजता है। 

  • Http-: Hypertext transfer protocol वह तरीका या नियमों का सेट है जिसके माध्यम से ब्राउज़र में क्लाइंट का डाटा सर्वर तक तथा सर्वर डाटा क्लाइंट कंप्यूटर तक सुरक्षित तरीके से पहुंच पाता है।

  • SMTP-: simple mail transfer protocol इसका उपयोग मेल के डाटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में भेजने में किया जाता है। 

  • FTP-: file transfer protocol इस प्रोटोकॉल का प्रयोग 2 कंप्यूटरों के मध्य फाइल ट्रांसफर को रेगुलेट करने के लिए किया जाता है। 

इंटरनेट को चलाने में उपयोग होने वाले प्रमुख प्रोग्राम या टूल-:

वेब ब्राउज़र-:

वेब ब्राउज़र, एक ऐसा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है, जो हमारी रिक्वेस्ट के अनुसार डाटा सर्वर(www) से उपयोगी वेब-कांटेण्ट को ढूंढकर, हमारे कंप्यूटर की स्क्रीन में प्रस्तुत करता है।  

वर्तमान में प्रचलित प्रमुख वेब ब्राउज़र निम्नलिखित है-:

  • गूगल क्रोम

  • माइक्रोसॉफ्ट इजिप्ट

  • ओपेरा ब्राउज़र 

  • ब्रेव ब्राउजर

  • यूसी ब्राउजर। 

वेबपेज-: 

वेब पेज, एचटीएमएल भाषा में लिखे गए डॉक्यूमेंट होते हैं जिसमें टेक्स्ट के साथ ऑडियो, वीडियो ,इमेज शामिल हो सकती है। 

वेबपेज दो प्रकार के होते हैं-

  • स्टैटिक वेब पेज- ऐसे व्यक्ति जिनमें बार-बार परिवर्तन नहीं किया जा सकता। 

  • डायनेमिक वेब पेज- ऐसे वेब पेज जिसमें बार बार परिवर्तन किया जा सकता है। 

वेबसाइट-:

वेबसाइट, एचटीएमएल भाषा में लिखे गए वेब-पेजों का संग्रह होती है, जिसमें सभी वेब पेज हाइपरलिंक द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं। 

जैसे-: www.mppcs.nic.in

वर्ल्ड वाइड वेब(www)-:

वर्ल्ड वाइड वेब एक प्रकार का विभिन्न वेबसाइटों का सर्वर होता है जिसमें वेबसाइट की सभी प्रकार के डाटा जैसे- टेक्स्ट, इमेज, वीडियो, ऑडियो, ग्राफिक्स स्टोर रहता है। 

तथा वर्ल्ड वाइड वेब को एक्सेस करने के लिए यूआरएल की आवश्यकता होती है। 

URL-:

इसका पूरा नाम है- यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर, जो किसी वेबसाइट के रिसोर्स का लोकेशन होता है। इसके माध्यम से ही ब्राउज़र किसी भी वेबसाइट को खोज पाता है। 

यूआरएल में सबसे पहले प्रोटोकॉल का नाम, फिर संबंधित वेबसाइट का नाम,और इसके बाद उस वेबसाइट की डोमेन का नाम होता है। 

जैसे-: https://mppsc.nic.in

HTTP-:

Hypertext transfer protocol वह तरीका या नियमों का सेट है जिसके माध्यम से ब्राउज़र में क्लाइंट का डाटा सर्वर तक तथा सर्वर डाटा क्लाइंट कंप्यूटर तक सुरक्षित तरीके से पहुंच पाता है। 

IP- Internet protocol-;

इंटरनेट प्रोटोकोल, कंप्यूटर डिवाइस एवं वेब सर्वर का एड्रेस होता है, जिससे संबंधित डिवाइस या वेब सर्वर की लोकेशन पता चल पाती है। 

डोमेन नेम-:

डोमेन नेम, किसी वेबसाइट का नाम होता है जिससे उस वेबसाइट की पहचान की जाती है। 

जैसे- mppsc.nic.in, amazon.in

और प्रत्येक वेबसाइट अर्थात डोमेन नेम का एक आईपी एड्रेस होता है। 

सर्च इंजन-:

वेब ब्राउज़र में वेबसाइट को सर्च करने वाला प्रोग्राम सर्च इंजन कहलाता है। 

जैसे- Google.com,  Yahoo.com, khoj.com

पोर्टल-:

विभिन्न वेबसाइटों का संग्रह पोर्टल कहलाता है जैसे- एमपी ऑनलाइन पोर्टल। 

[ई-मेल]

ई-मेल का पूरा नाम है- इलेक्ट्रॉनिक मेल, जो एक इंफॉर्मेशन मैसेंजर सॉफ्टवेयर है, 

ई-मेल का उपयोग किसी डॉक्यूमेंट या सूचना को इलेक्ट्रॉनिक रूप से, एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में भेजकर, कम्युनिकेशन करने के लिए किया जाता है। 

ई-मेल के उपयोग का महत्व-:

  • ई-मेल के उपयोग से दूर के मित्र या संबंधित व्यक्ति से कम्युनिकेशन कर सकते हैं।  

  • किसी आवश्यक पत्र या विज्ञापन को संबंधित व्यक्तियों तक फिजिकल रूप से वहां जाए बिना पहुंचा सकते हैं। 

  • ई-मेल द्वारा किसी मैसैज को डाक पत्र की तुलना में शीघ्रता से पहुंचाया जा सकता है। 

किसी भी व्यक्ति या संस्था को ईमेल भेजने के लिए एक ईमेल एड्रेस की जरूरत होती है जिसके 3 भाग होते हैं

  • यूजर का नाम

  • @ चिन्ह

  • सर्वर का नाम

जैसे-: amitsahu@gmail.com

इसमें Amit Shah यूजर का नाम है,@ ई-मेल चिन्ह है,और gmail.com सर्वर का नाम है। 

ई-मेल लेखन के सेक्शन-:

To-: इसके अंतर्गत उस व्यक्ति का ईमेल एड्रेस लिखा जाता है जिसे मैसेज भेजना होता है। 

CC-: इसके अंतर्गत उस व्यक्ति का ईमेल एड्रेस लिखा जाता है जिसे भेजे गए ई-मेल की कार्बन कॉपी देनी होती है। 

BCC-: इसके अंतर्गत उस व्यक्ति का ईमेल एड्रेस लिखा जाता है जिसे, मुख्य प्राप्तकर्ता (To )को बिना बताए, भेजे गए ई-मेल की कॉपी कॉपी देनी होती है। 

Subject-: इसमें संबंधित ईमेल का विषय डाला जाता है। 

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