-:अभिक्षमता:-
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प्रत्येक व्यक्ति की कार्यप्रणाली, व्यवहार में हमें उसके कुछ ऐसे लक्षण या विशेष योग्यताएं दिखाई देती हैं, जिससे हम यह अंदाजा लगा सकते हैं कि वह भविष्य में किस कार्य में सफल हो सकता है उन्हें उन लक्षण एवं क्षमताओं को ही अभिक्षमता कहते है।
वास्तव में अभिक्षमता शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है
अभि+ क्षमता।
यहां पर अभि का अर्थ है:-विशिष्ट।
और क्षमता का अर्थ है :- सामर्थ्य योग्यता।
अर्थात अभिक्षमता का तात्पर्य व्यक्ति की विशिष्ट योग्यताओं से है।
वास्तव में अभिक्षमता का तात्पर्य:- व्यक्ति के ऐसे अंतर्निहित गुण ,लक्षणों या क्षमताओं से है, जो उसके किसी कार्य विशेष में निपुण होने की संभावना को दर्शाते है।
जैसे:-
यदि किसी व्यक्ति के अंदर दूसरों को प्रभावित करने एवं सभी को साथ लेकर चलने का गुण है, तो वह उसकी नेता बनने की अभिक्षमता को दर्शाता है।
यदि कोई व्यक्ति के अंदर अच्छी तरह से अपनी बात को रखने का गुण है तो वह उसकी एंकर बनने की अभियोग्यता को दर्शाता है।
अभिक्षमता की विशेषताएं:-
अभिक्षमता व्यक्ति की विशिष्ट योग्यता होती है जिसके कारण वह किसी विशिष्ट कार्य को दूसरों से अच्छी तरह से कर पाता है।
व्यक्ति के अंदर की अभिक्षमता को पहचान कर,उसकी कार्यसफलता का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
जैसे:- अच्छी तरह से बोलने वाले व्यक्ति को देखकर यह पूर्वानुमान लगाना कि वह एंकर बनेगा।
दूसरों को अपनी बात अच्छी तरह से समझा पाने वाले व्यक्ति को देखकर यह अनुमान लगाना कि वह नेता बनेगा।
यदि उसे उसकी अभिक्षमता के अनुसार प्रशिक्षण दे दिया जाए तो उसकी सफलता की संभावना काफी बढ़ जाती है।
अभिक्षमता ना तो पूर्णतः जन्मजात होती है ना ही पूर्णतः अर्जित होती हैं, किंतु सामान्यतः जन्मजात ही होती है।
अभिक्षमता के कारण ही सामान्य परिस्थिति मिलने पर भी एक व्यक्ति सफल हो एवं दूसरा असफल हो जाता है।
अभिक्षमता व्यक्ति का आंतरिक सामर्थ्य है।
अभिक्षमता जन्मजात होती है या अर्जित ?
स्पष्ट रूप से यह कह पाना मुश्किल होगा कि अभिक्षमता जन्मजात होती है या अर्जित, क्योंकि अभिक्षमताएं वंश क्रम के अनुसार जन्मजात एवं वातावरण द्वारा अर्जित दोनों ही प्रकार की हो सकती है।
जैसे:- यदि किसी व्यक्ति के अंदर अच्छा संगीत गाने की अभिक्षमता है, तो हो सकता है कि वंशानुगत रूप से उसका गला सुरीला हो जो उसकी वंशानुगत योग्यता को दर्शाता है, और यह भी हो सकता है कि अच्छे संगीतज्ञों की संगति में रहता हो,इसलिए उसके अंदर अच्छे संगीत गाने की अभिक्षमता विकसित हुई।
अभिक्षमता एवं योग्यता:-
अभिक्षमता और योग्यता एक दूसरे के पर्याय नहीं है बल्कि इन दोनों में पर्याप्त अंतर है, क्योंकि व्यक्ति की अभिक्षमता यह प्रकट करती है कि संबंधित व्यक्ति भविष्य में किस कार्य को करने में निपुण बन सकता है, जबकि योग्यता व्यक्ति की वर्तमान समय की कार्यकुशलता को दर्शाती है।
जैसे:-
यदि कोई व्यक्ति अच्छा खाना बना लेता है तो अच्छा खाना बनाना उसकी वर्तमान समय की योग्यता है। किंतु हो सकता है कि उसके अंदर अच्छा संगीत गाने के गुण हों और यदि उसे प्रशिक्षण दिया जाए तो वह गायक बन जाए। तो संगीत गाना उसकी अभिक्षमता कहलाएगी।
अर्थात यदि व्यक्ति को उसकी अभिक्षमता के अनुरूप प्रशिक्षण दे दिया जाए तो वह अभिक्षमता उसकी योग्यता बन जाती है।
अभिक्षमता और कौशल में अंतर
अभी क्षमता और कौशल एक दूसरे के पर्याय नहीं है बल्कि दोनों में पर्याप्त अंतर है।
क्योंकि अभिक्षमता व्यक्ति के उन गुणों का संग्रह है जो यह बताते हैं कि व्यक्ति किस कार्य को करने में निपुण हो सकता है, जबकि कौशल शिक्षण प्रशिक्षण द्वारा अर्जित कार्य करने की कुशलता है।
जैसे:- यदि कोई व्यक्ति सिलाई कर लेता है तो यह व्यक्ति का कौशल कहलाएगा, लेकिन यदि किसी व्यक्ति के अंदर कोट और पैंट सिलने के गुण दिखाई दे रहे हैं तो वह उस व्यक्ति की अभिक्षमता कहलाएगी।
अभिक्षमता एवं उपलब्धि
अभिक्षमता एवं उपलब्धि एक-दूसरे का पर्याय नहीं है बल्कि इनमें पर्याप्त अंतर है। क्योंकि अभिक्षमता का तात्पर्य व्यक्ति के अंतर्निहित उन गुणों से है जो यह दर्शाते हैं कि व्यक्ति भविष्य में किस कार्य को करने में निपुण बन सकता है। जबकि उपलब्धि का तात्पर्य भूतकाल में किए गए कार्यों की सफलता से है।
जैसे:-
किसी व्यक्ति के अंदर क्रिकेटर बनने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो क्रिकेटर बनने की क्षमता उस व्यक्ति की अभिक्षमता कहलाएगी, जबकि उस व्यक्ति ने अपने भूतकाल में जो जो कार्य किए हैं उन कार्यों की सफलता उसकी उपलब्धि कहलाएगी।
अभिक्षमता एवं रुचि में अंतर
अभिक्षमता एवं रुचि एक-दूसरे का पर्याय नहीं है बल्कि इनमें पर्याप्त अंतर है।
क्योंकि अभिक्षमता का तात्पर्य व्यक्ति के अंतर्निहित उन गुणों से है जो यह दर्शाते हैं कि व्यक्ति भविष्य में किस कार्य को करने में निपुण बन सकता है। जबकि रुचि का तात्पर्य व्यक्ति की किसी विषय विशेष के प्रति लगाव या पसंद से है।
जैसे:-
हो सकता है किसी व्यक्ति के अंदर नेता बनने की क्षमता हो, जो उसकी अभिक्षमता कहलाएगी। जबकि उसकी पसंद संगीत गाना हो,जो उसकी रूचि कहलाएगी।
अभिक्षमता या अभिरुचि के प्रकार
संवेदनात्मक अभिरुचि:-
व्यक्ति की ऐसी क्षमताएं, जिनका संबंध संवेदनात्मक अभिव्यक्ति से होता है जैसे- सुनने की क्षमता, स्वाद पता करने की क्षमता, ध्यानपूर्वक सुनने की क्षमता।
यांत्रिक अभिरुचि:-
व्यक्ति की ऐसी क्षमताएं, जिनका संबंध यांत्रिक गतिविधियों से होता है।
जैसे- किसी मशीन को सुधारने की क्षमता, बढ़ईगिरी का काम करने की क्षमता।
कलात्मक अभिरुचि:-
व्यक्ति की ऐसी क्षमताएं, जिनका संबंध कलात्मक अभिव्यक्ति से होता है।
जैसे- चित्र बनाने की क्षमता, नृत्य करने की क्षमता, गाना गाने की क्षमता ,कविता लेखन की क्षमता।
व्यवसायिक अभिरुचि:-
व्यक्ति की ऐसी क्षमताएं, जिनका संबंध व्यवसायिक गतिविधियों से होता है।
जैसे- दुकान चलाने की क्षमता, किसी वाहन या मशीन को चलाने की क्षमता।
शारीरिक अभिरुचि:-
व्यक्ति की ऐसी क्षमताएं, जिनका संबंध शारीरिक गतिविधियां से होता है।
जैसे-
शारीरिक खेल खेलने की क्षमता, लड़ने की क्षमता।
शैक्षिक अभिरुचि:-
व्यक्ति की ऐसी क्षमताएं, जिनका संबंध पठन-पाठन से होता है
जैसे-
सीखने ,समझने ,सोचने की क्षमता। दूसरों को शिक्षित करने की क्षमता।
अभिरुचि परीक्षण की उपयोगिता:-
अभिरुचि परीक्षण किसी व्यक्ति की सफलता की रीड की हड्डी के समान है, क्योंकि हम बालक की अभी क्षमता का परीक्षण करके उसकी अभिक्षमता के अनुरूप प्रशिक्षण देकर उसे संबंधित क्षेत्र का मास्टर बना सकते हैं।
जैसे – यदि कोई व्यक्ति गाना गाने कि अभि क्षमता रखता है लेकिन यदि उसे हम पढ़ाने का काम दे तो वह तरीके से नहीं पढ़ा सकते लेकिन यदि गाना गाने का प्रशिक्षण देकर, गायक बनाए तो वह अच्छा गायक बन सकता है।
लोकसेवा हेतु आधारभूत योग्यता
ऐसी योग्यताएं या क्षमताएं जो एक अच्छा लोकसेवक बनने के लिए आवश्यक होती है,उन्हें लोकसेवा हेतु आधारभूत योग्यताएं क्षमता कहते हैं।
एक लोक सेवक के ऐसे आदर्श, जो लोग सेवा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक होते हैं, उन्हें लोक सेवा के आधारभूत मूल्य कहते हैं।
और एक लोक सेवक के अंदर मुख्यतः निम्न आधारभूत गुण/क्षमता होनी चाहिए :-
बौद्धिक योग्यताएं
उसे संबंधित देश प्रदेश के इतिहास, संस्कृति, भाषा, भौगोलिक स्थिति आदि की सामान्य समझ होनी चाहिए।
वर्तमान समस्या, चुनौतियां एवं उनके समाधान की समझ होनी चाहिए।
सरकार द्वारा चलाई जाने वाली सामाजिक एवं आर्थिक कार्यक्रमों की समझ होनी चाहिए।
राज्य के कानून नियम एवं संविधान की सामान्य समझ होनी चाहिए।
मानसिक एवं अभिव्यक्ति संबंधित योग्यताएं
अपनी बात को संक्षेप में युक्तिसंगत एवं प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करने की क्षमता होनी चाहिए।
उद्देश्य के अनुसार परिस्थिति के अनुरूप तत्काल निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए।
दूसरों को भावनाओं को समझने अपनी भावनाओं को समझाने की क्षमता होनी चाहिए।
अपने अधीनस्थों का मार्गदर्शन करने या उनसे कार्य करवाने की क्षमता होनी चाहिए।
उसके अंदर किसी भी परिस्थिति या घटना का पूर्वानुमान लगाने की क्षमता होनी चाहिए।
नैतिक मूल्य आधारित योग्यताएं
एक लोक सेवा के अंदर सत्य निष्ठा, निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता, समानुभूति ,सहानुभूति,सहनशीलता, सहिष्णुता, संवेदना, अनामिकता जैसे मूल्य होने चाहिए।
उसके अंदर अनुशासन, धैर्य, संयम उत्तरदायित्व,आत्मविश्वास एवं लोक सेवा के प्रति समर्पण का भाव जैसे गुण होना चाहिए।
संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता।