पठार /pthar/(विश्व के)

विश्व भूगोल-:  पठार

द्वितीय श्रेणी के ऐसे उच्चावच जो अपने समीपवर्ती धरातल से उठे हुए एवं खडे ढाल व सपाट शिखर वाले हो, उन्हें पठार कहा जाता है। 

पठार की विशेषताएं-: 

  • पठार द्वितीय श्रेणी के उच्चावच होते हैं। 

  • पठार की मुख्य विशेषता यह होती है कि इनका शेखर सपाट होता है ना कि पर्वतों की भांति चोटीनुमा। 

  • पठान मुख्यता खड़े ढाल वाले होते हैं।  

  • पठानों का आधार चौड़ा होता है जबकि शिखर की ओर जाने पर यह चौड़ाई कम होती जाती है। 

  • संपूर्ण भूपटल के लगभग 33% भाग पर पठानों का विस्तार है। 

पठार/pthar विश्व के

पठानों के प्रकार

पठार के प्रकार

उत्पत्ति के आधार पर-: 

  • ज्वालामुखी पठार। 

  • गुम्बदाकार पठार। 

  • हिमानीकृत पठार

  • जलज पठार 

  • वायुजनित पठार

ज्वालामुखी पठार-: 

ऐसे पठार जिनका निर्माण ज्वालामुखी के उद्भेदन से निकले क्षारीय लावा के फैलने से हुआ है, उन्हें लावा पठार या ज्वालामुखी पठार कहते हैं। 

जैसे-: भारत में दक्कन का पठार। 

कोलंबिया का पठार। 

गुम्बदाकार पठार-: 

ऐसी पठार जिनका निर्माण अंतर्जात बल से उत्पन्न वलन की क्रिया द्वारा, भूखंड पर गुंबद के आकार का मोड़ पड़ने से हुआ है। 

जैसे-: भारत का छोटा नागपुर का पठार। 

यूएसए का ओजार्क पठार। 

हिमानीकृत पठार -: 

ऐसी पठार जिनका का निर्माण पर्वतों में हिमानदों के अपरदन से होता है,

अर्थात जब किसी पर्वत का लगातार हिमनद द्वारा अपरदन होता है तो वह पर्वत सपाट शिखर वाला पठार जाता है हिमानीकृत पठार कहते हैं। 

जैसे-: एन्टार्कटिका का पठार। ,

भारत का गढ़वाल का पठार। 

कश्मीर में गुलमर्ग का पठार हिमानीकृत पठार ही हैं।

जलज पठार -: 

ऐसी पठार जिनका निर्माण नदी द्वारा बहा कर लाए गए निक्षेपों के जमाव से होता है, उन्हें जलज पठार कहते हैं। 

जैसे भारत में विंध्य में पठार,

म्यांमार का शान पठार। 

वायुजनित पठार-: 

ऐसे पठार जिनका निर्माण वायु द्वारा उड़ा कर लाए गए निक्षेपों के जमाव से होता है, उन्हें वायुजनित पठार कहते हैं। 

जैसे-: चीन का लोयस का पठार,

पाकिस्तान का पोटवार का पठार। 

स्थिति के आधार पर पठार के प्रकार

  • अंतरपर्वतीय पठार

  • गिरीपदीय पठार

  • महाद्वीपीय पठार।

अंतरपर्वतीय पठार-: 

ऐसे पठार जो चारों तरफ से पर्वतों से घिरे हों , उन्हें अंतरपर्वतीय पठार कहते हैं

जैसे-: कोलंबिया का पठार,

बोलिविया का पठार,

मेक्सिको का पठार। 

गिरीपदीय पठार-: 

ऐसे पठार जो एक तरफ ऊंचे पर्वतों से तथा दूसरी तरफ सागरीय तट या मैदानों से घिरे हो , उन्हें गिरीपदीय पठार कहते हैं। 

जैसे-: पेटागोनिया का पट्ठा दक्षिण अमेरिका,

शिलांग का पठार , मेघालय,भारत। 

पींडमांट का पठार अमेरिका। 

महाद्वीपीय पठार-: 

ऐसे पठार जो पर्वतीय भागों से काफी दूर होते हैं तथा सागरीय तट या मैदान से घिरे होते हैं उन्हें महाद्वीपीय पठार कहते हैं

जैसे-: प्रायद्वीपीय भारत का पठार। 

साइबेरिया शील्ड, कनाडियन शील्ड। 

विकास की अवस्था के आधार पर पठारों के प्रकार-:

  • तरुण पठार। 

  • प्रोढ़ पठार। 

  • जीर्ण पठार।

तरुण पठार-:

ऐसे पठार जो युवा अवस्था के होते हैं परिणाम स्वरूप इनमें अपरदन की क्रिया अत्यधिक सक्रिय होती है, उन्हें तरुण पठार कहते हैं। 

जैसे-: कोलोरेडो का पठार अमेरिका। 

इदाहो का पठार अमेरिका। 

प्रोढ़ पठार-: 

ऐसी पठार जो युवावस्था के बाद की अवस्था में होते हैं परिणाम स्वरूप इनमें अपरदन की क्रिया अपेक्षाकृत कम होती है उन्हें प्रोढ़ पठार कहते हैं

जैसे-: अप्लेशियन का पठार अमेरिका

जीर्ण अवस्था के पठार-: 

ऐसी पठार जो अपनी जीर्ण अवस्था में होते हैं परिणाम स्वरूप इनमें अपरदन के कारण उच्च पद समाप्त हो चुके होते हैं अतः इन्हें अपरदन की क्रिया भी बहुत मंद होती है उन्हें जीर्ण अवस्था के पठार कहते हैं।

जैसे-: मध्य रांची का पठार। 

नोट-: जीर्ण पठार की ऊंची उठे हुए सेलों को बूटी कहते हैं तथा मेज के आकार के दिखाई देने वाली आकृति को मेसा कहते हैं।

विश्व के प्रमुख पठार -:

भारत की प्रमुख पठार

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