[सांवेगिक बुद्धि]
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सांवेगिक बुद्धि को समझने से पूरी बुद्धि शब्द का अर्थ समझ लेना उपयुक्त होगा।
सामान्यता बुद्धि शब्द का अर्थ व्यक्ति की योग्यता एवं कुशलता से होता है। अर्थात व्यक्ति के अंदर जितनी अधिक योग्यताएं एवं किसी कार्य को करने की कुशलता होती है उसे उतना अधिक बुद्धिमान माना जाता है।
वास्तव में:-
बुद्धि का तात्पर्य- परिस्थिति के अनुसार उचित निर्णय लेने, समस्याओं का शीघ्रता के साथ उपयुक्त तरीके से समाधान करने एवं किसी कार्य को कुशलता पूर्वक करने कीपडं क्षमताओं से है।
बुद्धि की विशेषताएं
बुद्धि जन्मजात होती है अर्थात जन्म से प्राप्त योग्यता है।
बुद्धि शीघ्रता से सीखने ,समझने में सहायक होती है।
बुद्धि व्यक्ति को उचित-अनुचित, सत्य-असत्य ,बुरे-भले का ज्ञान कराती है।
सांवेगिक बुद्धि
सांवेगिक बुद्धि शब्द दो शब्दों के योग से बना है
:- संवेग और बुद्धि।
यहां पर संवेग का अर्थ व्यक्ति की भावनाओं से है, तथा बुद्धि का अर्थ व्यक्ति की योग्यता एवं क्षमताओं से है।
अर्थात:-
“अपनी तथा दूसरों की भावनाओं को उपयुक्त तरीके से समझने,समझाने एवं उद्देश्यानुसार (भावनाओं को)नियंत्रित करने की क्षमता को सांवेगिक बुद्धि कहते हैं। “।
जैसे:-
यदि सामने वाला व्यक्ति गुस्से में है, तो उसकी गुस्सा को समझकर ,उपयुक्त अभिव्यक्ति द्वारा गुस्सा को शांत कर देने की क्षमता।
किसी व्यक्ति को अपने पक्ष में करने की क्षमता।
किसी व्यक्ति या जनसमूह को समझाने की क्षमता।
और सार्वजनिक एवं सामाजिक गतिविधियों को उपयुक्त तरीके से संचालित करने के लिए लोगों की भावनाओं का प्रबंधन करना आवश्यक होता है।
अपनी भावनाएं उपयुक्त तरीके से दूसरे व्यक्ति को समझाने और उन्हें आवश्यकतानुसार नियंत्रित रखने, तथा दूसरों की भावना को उपयुक्त तरीके से समझने एवं उन को नियंत्रित करने की क्षमता सांवेगिक बुद्धि कहलाती है।
किसी व्यक्ति की सफलता के लिए दोनों ही प्रकार की योग्यताएं आवश्यक है, किंतु सामाजिक एवं सार्वजनिक जीवन के लिए बुद्धिलब्धि से ज्यादा महत्वपूर्ण सांवेगिक बुद्धि है। क्योंकि बुद्धिलब्धि के द्वारा किसी विशेष कौशल कुछ सीख कर आर्थिक सफलता प्राप्त की जा सकती है, लेकिन किसी दूसरे व्यक्ति से जुड़ने ,एवं उसे अपने अनुसार प्रभावित करने के लिए सांवेगिक बुद्धि की आवश्यकता होती है।
जान मेयर एवं पीटर सेलोवी के अनुसार:-
जान मेयर एवं पीटर सेलोवी ने 1997 ईस्वी में अपनी पुस्तक what is emotional intelligence में सांवेगिक बुद्धि से संबंधित अपने मॉडल को प्रस्तुत किया, जिसमें सांवेगिक बुद्धि के
निम्न चार तत्व बताए:-
भावना को प्रत्यक्ष करना,
अर्थात हाव-भाव एवं व्यवहार के माध्यम से दूसरों की मन:स्थिति को जानना।
जैसे:- यदि सामने वाला गुस्सा है तो यह परखना या जानना कि वह वास्तव में गुस्सा है या दिखावा कर रहा है।
भावनाओं को अपनी विचार पर क्रिया से जोड़ना,
अर्थात तुरंत प्रतिक्रिया न देकर, भावनाओं का विश्लेषण करना।
जैसे:- यदि सामने वाला वास्तव में गुस्सा है तो, तुरंत प्रतिक्रिया ना देकर विचार करना कि-क्या मैंने कोई गलती तो नहीं की ।
भावनाओं को समझना
अर्थात भावना के पीछे का वास्तविक कारण जानना।
जैसे:- यदि सामने वाला गुस्सा है तो उसके पीछे की वास्तविक वजह को समझना।
भावनाओं का प्रबंधन करना
अर्थात भावनाओं को समझ कर संतोषप्रद प्रतिक्रिया देना।
जैसे:- सामने वाली की गुस्सा को समझ कर, ऐसी अभिव्यक्ति ना करना जिससे उसकी गुस्सा और बढ़े, बल्कि उसके शांत होने पर ऐसे विचार व्यक्त करना जिससे उसकी गुस्सा शांत हो।
सांवेगिक बुद्धि के घटक
डेनियल गोलमैन के अनुसार :-
सांवेगिक बुद्धि , व्यक्ति की निम्नलिखित पांच क्षमताओं(घटकों) का समूह है।
स्व-जागरूकता
आत्म-नियमन
आत्म-अभिप्रेरणा
समानुभूति
सामाजिक बोध
स्व-जागरूकता:-
स्व-जागरूकता का तात्पर्य- स्वयं की भावनाओं,अनुभूतियों,क्षमताओं,कमजोरियों एवं उद्देश्यों आदि को उपयुक्त तरीके से समझने की क्षमता से है। और जब तक हम स्वयं को नहीं समझेंगे, तब तक हम ना तो अपने उद्देश्य के अनुसार उपयुक्त निर्णय ले सकेंगे और ना ही अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख सकते हैं। अतः सांवेगिक बुद्धि के लिए स्व-जागरूकता आवश्यक है।
जैसे:- स्वयं की राजनैतिक योग्यताओं को जाने बिना, राजनीति में जाने पर, सफलता की संभावना कम होती है।
आत्म-विनियमन:-
आत्म-विनियमन का तात्पर्य:- स्वयं की भावनाओं को उद्देश्य एवं परिस्थिति के अनुसार नियंत्रित(काबू में) रखने की क्षमता से है। अर्थात हमें अपने भावों की अभिव्यक्ति उचित समय पर ही,उचित तरीके से करनी चाहिए।
जैसे:-यदि सामने वाला गुस्से से हमको डांट रहा है, तो तुरंत प्रतिक्रिया ना देकर,उसकी गुस्सा शांत होने के बाद अपनी शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति करनी चाहिए।
आत्म-अभिप्रेरण:-
आत्म-अभिप्रेरण का तात्पर्य- निराशा या विफलता के समय स्वयं को प्रेरित करने की क्षमता से है। अर्थात यदि हमारी भावनाओं के अनुसार कार्य नहीं होता तो हमें उस स्थिति में स्वयं को अवसाद से बचाकर, प्रेरित रखना चाहिए।
जैसे:-
यदि हम किसी परीक्षा को पास करना चाहते हैं लेकिन हम शुरुआत में असफल हो जाते हैं तो यह विश्वास रखना कि अगली बार निकल जायेगी।
समानुभूति:-
सहानुभूति का तात्पर्य- दूसरों की भावनाओं को उपयुक्त तरीके से समझने की क्षमता से है। अर्थात हमें,स्वयं को कल्पनात्मक रूप से दूसरे की स्थिति में रखकर उसकी भावनाओं को समझना चाहिए।
जैसे:- किसी पुलिस वाले को गलत या भ्रष्ट कहने के पूर्व, स्वयं को उसकी स्थिति में रखकर उसकी वास्तविकता का संज्ञान लेना चाहिए।
सामाजिक दक्षता:-
सामाजिक दक्षता का तात्पर्य- समाज को समझकर, अपनी अभिव्यक्ति द्वारा समाज के साथ उपयुक्त तालमेल स्थापित करने की क्षमता से है।
जैसे:- समाज की कुरीतियों को समझकर अपनी तर्कपूर्ण अभिव्यक्ति द्वारा उन कुरीतियों के विरुद्ध समाज को समझाने की क्षमता।
सांवेगिक बुद्धि (EQ) और बुद्धिलब्धि(IQ):-
सांवेगिक बुद्धि का तात्पर्य :-अपनी तथा दूसरों की भावनाओं को उपयुक्त तरीके से समझने,समझाने एवं उद्देश्यानुसार (भावनाओं को)नियंत्रित करने की क्षमता से है।
जबकि बुद्धि लब्धि का तात्पर्य:- किसी विशेष कौशल को ज्ञान के आधार पर सीखने समझने एवं प्रयोग करने की क्षमता से है।
जैसे:-
उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्ति का बुद्धि लब्धि स्तर अधिक होता है, जबकि अपने भाषण से लोगों को प्रभावित करने वाले राजनेता के अंदर भले ही बुद्धि लब्धि का स्तर कम हो लेकिन सांवेगिक बुद्धि का स्तर अधिक होता है।
सांवेगिक बुद्धि से युक्त व्यक्ति की विशेषताएं:-
वह स्वयं की क्षमताओं ,कमजोरियों, संवेदना,अनुभूतियों को जानता है।
वह स्वयं की भावनाओं पर नियंत्रण रख पाता है।
उसके अंदर संयम का गुण होता है अर्थात् सामने वाले की विरोधी/ नकारात्मक बात को भी धैर्य पूर्वक सुनता है।
वह परिस्थिति के अनुसार अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है। जैसे:-यदि सामने वाला गुस्सा है तो उस समय अपनी भावनाओं को ना बताना शांत रहना।
वह व्यक्ति स्वयं को आत्मप्रेरित कर सकता है, अर्थात वह सदैव अपने लक्ष्य के प्रति प्रेरित रहता है।
वह दूसरों की भावना को उपयुक्त तरीके से समझ पाता है।
वह अपनी अभिव्यक्ति द्वारा दूसरों को प्रभावित कर लेता है, अर्थात उसके अंदर नेतृत्व क्षमता होती है।
सांवेगिक बुद्धि से युक्त लोक सेवक के गुण
संयम:- उसके अंदर अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखकर,सामने वाले की बात को धैर्य पूर्वक सुनने की क्षमता होगी।
समानुभूति:- उसके अंदर दूसरों की वास्तविक भावनाओं को समझने की क्षमता होती है। भले ही सामने वाला भावनाओं को छुपा रहा हो।
सहानुभूति:- वह दूसरों के प्रति उपयुक्त तरीके से सहानुभूति प्रकट करने में सक्षम होता है।
लक्ष्योन्मुखी:-वह विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं को एवं दूसरों को लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रोत्साहित करता रहता है।
उच्च संप्रेषण क्षमता:-उसके अंदर अपनी बात को उपयुक्त तरीके से व्यक्त करने की क्षमता होती है।
नेतृत्व क्षमता:-उसके अंदर अपने सहकर्मियों का नेतृत्व करने की क्षमता होती है।
उच्च निर्णय क्षमता:- उसके अंदर किसी भी विपरीत परिस्थिति में अपने उद्देश्य के अनुसार शीघ्रता के साथ, उपयुक्त निर्णय लेने की क्षमता होती है।
दूरगामी परिणाम आधारित सोच- सांवेगिक बुद्धि से युक्त लोक सेवक कोई भी क्रिया करने से पहले उस क्रिया का दूरगामी परिणाम ध्यान में रखता है।
सामंजस्य:- वह विभिन्न कार्यों विभिन्न क्षेत्रों, विभिन्न लोगों, विभिन्न गतिविधियों के मध्य सामंजस्य बिठा पाने की क्षमता होती है।
सांवेगिक बुद्धि का विकास
निम्न उपायों के माध्यम से सांवेगिक बुद्धि का विकास किया जा सकता है:-
आत्म मूल्यांकन द्वारा
हम अपनी कमजोरियों एवं गलतियों को पहचान कर एवं सुधारकर उनको दूर करके सांवेगिक बुद्धि का विकास कर सकते हैं।
प्रेरक प्रसंग द्वारा सीख लेकर
हम विभिन्न प्रकार के प्रेरक प्रसंग जैसे :- प्रेरणादाई नाटक ,पंचतंत्र की कहानियां ,भावनात्मक फिल्म, सफल लोगों की जीवनी के ज्ञान को अर्जित करके सांवेगिक बुद्धि का विकास कर सकते हैं।
गैर-पाठ्यक्रम क्रियाओं द्वारा
जैसे:- योग ,ध्यान, सूर्य-नमस्कार, वाद विवाद प्रतियोगिता संगोष्ठी के माध्यम से सांवेगिक बुद्धि का विकास कर सकते हैं।
अभ्यास द्वारा
हम विभिन्न में मनोवैज्ञानिक पुस्तकों का अध्ययन करके जैसे- कि किन परिस्थितियों में क्या और क्यों निर्णय लेना चाहिए। तथा मनोविज्ञान एक प्रश्नावली के उत्तर देकर भी सांवेगिक बुद्धि का विकास कर सकते हैं।
प्रशिक्षण द्वारा:-
भावनात्मक सलाह एवं नियंत्रित मात्रा में दण्ड आधारित प्रशिक्षण लेकर भावनात्मक बुद्धि का विकास किया जा सकता है।
शासन-प्रशासन में सांवेगिक बुद्धि की उपयोगिता एवं अनुप्रयोग:-
प्रशासन की प्रति जनता का विश्वास बढ़ाने में सहायक।
हिंसक घटना प्रबंधन में सहायक
सामाजिक एवं राजनीतिक समस्याओं के समाधान में सहायक
किसी विवाद या केस को सुलझाने में सहायक
कार्य परिवेश के दबाव एवं तनाव प्रबंधन में सहायक
सबको साथ लेकर चलने में सहायक
स्वस्थ कार्य संस्कृति के विकास में सहायक
प्रतिकूल परिस्थिति में भी कार्य प्रेरणा देने में सहायक
कर्तव्यनिष्ठ की भावना के विकास में सहायक
कुशल नेतृत्व में सहायक
प्रशासन(शासन) की प्रति जनता का विश्वास बढ़ाने में सहायक:-
सीमित संसाधन होने या विपरीत परिस्थिति होने के कारण अनेकों बार प्रशासन समय के साथ जनता की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाता साथ ही अनेक प्रशासनिक अधिकारी एवं कर्मचारी भ्रष्टाचार ,कालाबाजारी ,भाई-भतीजावाद करते हैं जिससे जनता के अंदर प्रशासन के प्रति अविश्वास एवं असंतोष उत्पन्न होता है, ऐसी स्थिति में सांवेगिक बुद्धि के माध्यम से जनता की समस्याओं को ध्यान पूर्वक सुनकर ,उनके प्रति संतावना जताकर तथा उनकी समस्या के समाधान का आश्वासन देकर जनता का विश्वास प्रशासन के प्रति बढ़ाया जा सकता है।
हिंसक घटना प्रबंधन में सहायक:-
प्रशासन का कार्य, शांति सुव्यवस्था बनाए रखना होता है, किंतु अनेकों बार जनता किसी विशेष कारण (बेरोजगारी, संप्रदायिकता) से हिंसक प्रदर्शन करने लगती है ऐसी स्थिति में सांवेगिक बुद्धि के द्वारा उनकी भावनाओं को समझ कर एवं उन्हें अपनी उद्देश्य पूर्ण भावना के अनुसार समझा-बुझाकर, संतावना देकर शांत इस व्यवस्था बनाई जा सकती है। अर्थात यह हिंसक घटना प्रबंधन में सहायक है।
सामाजिक एवं राजनीतिक समस्याओं के समाधान में सहायक:-
हमारे देश में व्यापक मात्रा में जातिवाद, नक्सलवाद ,क्षेत्रवाद, भाषावाद तो है ही साथ ही साथ विभिन्न सामाजिक कुरीतियां(रूढ़िवादिता) भी प्रचलित है, जिनका समाधान करना आवश्यक और इन सभी समस्याओं का समाधान सांवेगिक बुद्धि के माध्यम से लोगों की मनोवृत्ति को बदलकर किया जा सकता है।
किसी विवाद या केस को सुलझाने में सहायक:-
पुलिस प्रशासन को विभिन्न विवादों, केसों की सत्यता के बारे में जानकारी नहीं होती, ऐसी स्थिति में विवादों को सुलझा में काफी मुश्किल होता है किंतु सांवेगिक बुद्धि पर आधारित भावनात्मक परीक्षण का प्रयोग करके अपराधी की या संबंधित केस की सत्यता का पता लगाया जा सकता है।
जैसे:-
अनेकों बार पुलिस वाले किसी व्यक्ति को मारपीट कर जिस बात का पता नहीं लगा पाते, उस बात का पता व्यक्ति की भावनात्मक परीक्षण द्वारा लगा लिया जाता है।
कार्य परिवेश के दबाव एवं तनाव प्रबंधन में सहायक:-
वर्तमान में लोक प्रशासन ऐसे माहौल में काम करना पड़ता है जहां विभिन्न प्रकार की समस्याएं, दबाव एवं चुनौतियां होती हैं जैसे:- राजनीतिक दबाव, मीडिया का दबाव, धरना प्रदर्शन की समस्या,प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती, उच्च अधिकारी का दवाब, पारिवारिक तनाव आदि, ऐसी स्थिति के प्रबंधन में ज्ञान या बुद्धि लब्धि से ज्यादा भावनात्मक बुद्धि सहायक होती है। क्योंकि हम अपनी भावनाओं को उपयुक्त तरीके से समझा कर तथा दूसरे की भावनाओं को प्रभावित करके इसका बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं।
सबको साथ लेकर चलने में सहायक:-
प्रशासन का लक्ष्य सभी लोगों की समस्याओं का समाधान करके अधिकतम जनकल्याण करना होता है, अतः इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों ,विभिन्न लोगों, गतिविधियों के मध्य तालमेल बैठाना आवश्यक होता है, और बेहतर तालमेल बैठाने का कार्य उच्च संवेगिक बुद्धि वाला व्यक्ति ही कर सकता है। अर्थात सांवेगिक बुद्धि सामंजस्य बिठाने में सहायक है।
स्वस्थ कार्य संस्कृति के विकास में सहायक:-
प्रशासनिक कार्य स्थल एक सार्वजनिक कार्यस्थल होता है यहां पर विभिन्न भाषा ,धर्म ,जाति ,क्षेत्र के लोग होते हैं। जो विभिन्न योजना एवं मुद्दों पर भिन्न-भिन्न मत रख सकते हैं, जिस कारण से कार्यस्थल में उनके मध्य आपसी तनाव का माहौल भी उत्पन्न हो सकता है, किंतु एक सांवेगिक बुद्धि से युक्त प्रशासक कार्यस्थल के विभिन्न लोगों के मध्य सामंजस्य बैठाकर स्वस्थ कार्य संस्कृति का निर्माण कर पाता है।
प्रतिकूल परिस्थिति में भी कार्य प्रेरणा देने में सहायक
सांवेगिक बुद्धि प्रतिकूल परिस्थिति में अपने सहयोगी एवं जनता को प्रेरणा देने तथा उनका मनोबल बनाए रखने में सहायक होती पंहै।
कर्तव्यनिष्ठ की भावना के विकास में सहायक:-
सांवेगिक बुद्धि युक्त लोक सेवक अपने उच्च अधिकारी एवं जनता की भावनाओं को बेहतर समझकर उनका कार्य उचित समय में, उपयुक्त तरीके से करता है, जिससे प्रशासन ने कर्तव्य निष्ठा एवं उत्तरदायित्व का विकास होता है।
कुशल नेतृत्व में सहायक:-
सांवेगिक बुद्धि युक्त प्रशासक में ही दूसरों के प्रति सहानुभूति ,सहानुभूति ,संवेदनशीलता ,सहयोग का भाव एवं बेहतर संप्रेषण क्षमता होती है जिससे वह उपयुक्त तरीके से नेतृत्व कर पाता है। जो एक प्रशासनिक अधिकारी के लिए अत्यंत आवश्यक है।